राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत लाइसेंस को रद्द और निलंबित करने की शक्ति – धारा 34

Himanshu Mishra

10 Feb 2025 11:42 AM

  • राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत लाइसेंस को रद्द और निलंबित करने की शक्ति – धारा 34

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) राज्य में शराब और अन्य नशीले पदार्थों के व्यापार को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम के तहत शराब के निर्माण, बिक्री और परिवहन को कानूनी रूप से संचालित करने के लिए लाइसेंस (Licence), परमिट (Permit) और पास (Pass) दिए जाते हैं।

    हालांकि, सरकार ये लाइसेंस जारी करती है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करती है कि इनका दुरुपयोग न हो। धारा 34 (Section 34) विशेष रूप से उन परिस्थितियों को निर्धारित करती है जिनमें लाइसेंस, परमिट या पास को रद्द (Cancel) या निलंबित (Suspend) किया जा सकता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लाइसेंस धारक (Licence Holder) सभी नियमों का पालन करें और कानूनी ढांचे का उल्लंघन न करें।

    इस धारा को पूरी तरह समझने के लिए धारा 31 (Section 31) का संदर्भ लेना जरूरी है, जिसमें लाइसेंस के रूप और शर्तों को बताया गया है और धारा 33 (Section 33), जो अधिकारियों को लाइसेंस धारक से अतिरिक्त सुरक्षा की मांग करने का अधिकार देती है। इन प्रावधानों के आधार पर धारा 34 यह सुनिश्चित करता है कि जो कोई भी नियमों का उल्लंघन करता है, उसका लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द या निलंबित किया जा सके।

    धारा 34(1): लाइसेंस, परमिट या पास रद्द (Cancel) या निलंबित (Suspend) करने के कारण

    सरकार को यह अधिकार है कि वह कुछ शर्तों के उल्लंघन पर लाइसेंस, परमिट या पास को रद्द या निलंबित कर सके। ये शर्तें निम्नलिखित हैं:

    अनधिकृत रूप से लाइसेंस (Licence) स्थानांतरित (Transfer) या किराए पर देना (Sublet)

    अगर कोई लाइसेंस धारक अपने लाइसेंस को किसी अन्य व्यक्ति को बिना सरकारी अनुमति के स्थानांतरित (Transfer) या किराए पर देता है (Sublet), तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि लाइसेंस केवल एक निश्चित व्यक्ति या व्यवसाय को सत्यापन के बाद दिया जाता है और उसका अनधिकृत हस्तांतरण कानून का उल्लंघन होता है।

    उदाहरण: अगर अजय को जयपुर में शराब की दुकान चलाने के लिए लाइसेंस दिया गया है, लेकिन वह इस लाइसेंस को बिना अनुमति के रवि को किराए पर दे देता है, तो यह अवैध है। सरकार इस स्थिति में लाइसेंस तुरंत रद्द कर सकती है।

    शुल्क (Fee) या आबकारी शुल्क (Excise Duty) का भुगतान न करना

    हर लाइसेंस धारक को निश्चित समय सीमा में लाइसेंस शुल्क (Fee) और आबकारी शुल्क (Excise Duty) का भुगतान करना अनिवार्य है। अगर यह शुल्क समय पर नहीं चुकाया जाता है, तो सरकार लाइसेंस रद्द या निलंबित कर सकती है।

    उदाहरण: उदयपुर में एक बार (Bar) के मालिक को हर साल ₹5 लाख का वार्षिक शुल्क (Annual Fee) देना होता है। अगर वह समय पर भुगतान नहीं करता, तो सरकार उसकी बार का लाइसेंस रद्द कर सकती है।

    लाइसेंस (Licence) की शर्तों (Conditions) का उल्लंघन

    अगर कोई लाइसेंस धारक, उसका कर्मचारी या उसके स्थान पर काम करने वाला कोई भी व्यक्ति लाइसेंस, परमिट या पास की किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है, तो सरकार उसे रद्द कर सकती है।

    उदाहरण: अजमेर में एक शराब की दुकान को लाइसेंस मिला है शर्त के साथ कि वह 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को शराब नहीं बेचेगा। लेकिन अगर दुकान के कर्मचारी नाबालिगों को शराब बेचते हैं, तो यह लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन होगा और प्रशासन दुकान का लाइसेंस रद्द कर सकता है।

    कुछ अपराधों (Crimes) में दोषी (Convicted) होने पर लाइसेंस रद्द (Cancel) करना

    अगर कोई लाइसेंस धारक आबकारी अधिनियम या किसी अन्य राजस्व (Revenue) कानून का उल्लंघन करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। साथ ही, अगर कोई व्यक्ति गंभीर और गैर-जमानती अपराध (Cognizable and Non-Bailable Offence) करता है या डेंजरस ड्रग्स एक्ट, 1930 (Dangerous Drugs Act, 1930) के तहत दोषी ठहराया जाता है, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।

    उदाहरण: बीकानेर में शराब का एक व्यापारी बिना टैक्स चुकाए अवैध रूप से शराब की तस्करी (Smuggling) करता है। यह एक गंभीर राजस्व अपराध (Revenue Crime) है, और सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द कर सकती है।

    अनन्य विशेषाधिकार (Exclusive Privilege) धारक के अनुरोध पर लाइसेंस रद्द (Cancel) करना

    कुछ मामलों में, सरकार विशेष ठेकेदार (Exclusive Contractor) को शराब के वितरण का विशेषाधिकार देती है। अगर यह व्यक्ति सरकार को लिखित रूप में अनुरोध करता है, तो संबंधित लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।

    उदाहरण: राजस्थान सरकार ने एक कंपनी XYZ लिमिटेड को विदेशी शराब (Imported Whiskey) के वितरण का विशेषाधिकार दिया। बाद में, कंपनी यह व्यापार बंद करना चाहती है और सरकार से लाइसेंस रद्द करने का अनुरोध करती है। इस अनुरोध पर सरकार लाइसेंस रद्द कर सकती है।

    सरकार की इच्छा से लाइसेंस (Licence) रद्द या निलंबित करना

    अगर लाइसेंस के शर्तों में ही यह प्रावधान हो कि सरकार किसी भी समय इसे रद्द कर सकती है, तो सरकार इसे लागू कर सकती है। कई बार सरकार सार्वजनिक हित (Public Interest) को ध्यान में रखते हुए लाइसेंस रद्द कर सकती है।

    उदाहरण: अजमेर के एक क्लब (Club) को शराब बेचने का लाइसेंस मिला, लेकिन शर्त थी कि अगर कानून-व्यवस्था (Law and Order) बिगड़ती है, तो लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। अगर क्लब के आसपास बार-बार हिंसक घटनाएं (Violent Incidents) होती हैं, तो सरकार क्लब का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर सकती है।

    धारा 34(2): एक व्यक्ति के सभी लाइसेंस रद्द करने की शक्ति

    अगर किसी व्यक्ति का लाइसेंस धारा 34(1) के तहत रद्द किया जाता है, तो सरकार को यह अधिकार है कि वह उस व्यक्ति के अन्य आबकारी (Excise) से जुड़े लाइसेंस भी रद्द कर दे।

    उदाहरण: जोधपुर में एक शराब व्यापारी के पास एक बार लाइसेंस, एक शराब वितरण लाइसेंस और अफीम व्यापार (Opium Trade) लाइसेंस है। अगर वह किसी भी एक लाइसेंस से संबंधित गंभीर अपराध (Serious Crime) करता है, तो सरकार उसके सभी लाइसेंस रद्द कर सकती है।

    धारा 34(3): लाइसेंस रद्द होने पर कोई मुआवजा (Compensation) नहीं मिलेगा

    अगर किसी व्यक्ति का लाइसेंस इस धारा के तहत रद्द या निलंबित होता है, तो उसे सरकार से कोई मुआवजा (Compensation) नहीं मिलेगा और न ही वह पहले से भरा हुआ शुल्क (Fee) या जमा राशि (Deposit) वापस पाने का दावा कर सकता है।

    उदाहरण: जैसलमेर में एक कंपनी ने शराब निर्माण का लाइसेंस पाने के लिए ₹10 लाख की सुरक्षा जमा राशि (Security Deposit) दी थी। लेकिन अगर वह स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करता है, तो सरकार उसका लाइसेंस रद्द कर सकती है, और कंपनी अपनी राशि वापस नहीं मांग सकती।

    धारा 34 आबकारी कानूनों (Excise Laws) के कठोर अनुपालन (Strict Compliance) को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो कोई भी नियमों का उल्लंघन करता है, उसे लाइसेंस रखने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। यह प्रावधान राजस्व सुरक्षा, अपराध रोकथाम और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखता है।

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