सरकारी स्टैम्प और टकसाल से जुड़े अपराध: भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत धारा 184 - 188

Himanshu Mishra

10 Sept 2024 6:09 PM IST

  • सरकारी स्टैम्प और टकसाल से जुड़े अपराध: भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत धारा 184 - 188

    भारतीय न्याय संहिता 2023, जो पहले के भारतीय दंड संहिता को बदलकर आई है, 1 जुलाई 2024 से लागू हो गई है। इस नए कानून में सरकारी स्टैम्प और टकसाल से जुड़े अपराधों के खिलाफ सख्त प्रावधान हैं। यह लेख धारा 184, 185, 186, 187 और 188 के बारे में विस्तार से बताएगा। ये प्रावधान सरकार के राजस्व संग्रह प्रणाली को सुरक्षित रखने और सरकारी स्टैम्प और टकसाल से छेड़छाड़ को रोकने के लिए बनाए गए हैं।

    इससे पहले के प्रावधान, जिनमें सिक्कों, मुद्रा नोटों, और स्टैम्प की जालसाजी से जुड़े अपराधों का उल्लेख है, उन्हें भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 178 से 183 में विस्तार से बताया गया है। इन धाराों के बारे में और अधिक जानकारी के लिए, कृपया Live Law Hindi पर पहले के लेखों को देखें।

    भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 184 से 188 तक के प्रावधान सरकार द्वारा जारी स्टैम्प, डाक प्रणाली और टकसाल संचालन की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। सरकार के राजस्व प्रणाली को धोखाधड़ी से बचाने के लिए इन प्रावधानों में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

    स्टैम्प और टकसाल से जुड़े धोखाधड़ी के अपराधों पर सख्त दंड लगाए गए हैं ताकि व्यक्ति और कर्मचारी कानून का सम्मान करें और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त न हों, जो सरकार के आर्थिक संसाधनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

    नवीन भारतीय न्याय संहिता सरकार की कानूनी प्रणाली को मजबूत बनाने और आधुनिक चुनौतियों से निपटने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पहले के प्रावधानों, जैसे कि धारा 178 से 183 में सिक्कों और स्टैम्प की जालसाजी से संबंधित अपराधों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया Live Law Hindi पर पहले के लेखों को देखें।

    धारा 184: पहले इस्तेमाल किए गए सरकारी स्टैम्प का धोखाधड़ी से उपयोग (Fraudulent Use of Previously Used Government Stamp)

    धारा 184 उस स्थिति पर लागू होती है, जब कोई व्यक्ति जानबूझकर या धोखाधड़ी से ऐसा सरकारी स्टैम्प उपयोग करता है, जो पहले से ही राजस्व (Revenue) के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है। इस अपराध का उद्देश्य सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाना होता है। ऐसे अपराध के लिए दो साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    उदाहरण और व्याख्या: मान लीजिए रवि ने एक ₹50 का राजस्व स्टैम्प खरीदा और उसे एक कानूनी दस्तावेज़ पर इस्तेमाल किया। बाद में, वह उसी स्टैम्प को किसी और दस्तावेज़ पर लगाने के लिए फिर से इस्तेमाल करता है ताकि नया स्टैम्प न खरीदना पड़े। इस तरह वह सरकार को नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि स्टैम्प को केवल एक बार उपयोग किया जाना चाहिए। धारा 184 के तहत रवि को दो साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।

    धारा 185: सरकारी स्टैम्प से निशान मिटाना (Fraudulently Erasing Marks from Government Stamps)

    धारा 185 उन मामलों को कवर करती है, जहां कोई व्यक्ति सरकारी राजस्व स्टैम्प से उस निशान को मिटाता है, जो यह दर्शाता है कि स्टैम्प पहले ही इस्तेमाल किया जा चुका है। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसे बदले हुए स्टैम्प को अपने पास रखता है या बेचता है, तो वह भी इस धारा के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा। इस अपराध के लिए तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    उदाहरण और व्याख्या: मान लीजिए सुनील को एक पुराना ₹100 का स्टैम्प मिलता है, जिस पर पहले इस्तेमाल होने का निशान है। सुनील रसायन का इस्तेमाल करके उस निशान को हटा देता है और उसे किसी दूसरे व्यक्ति को बेचने की कोशिश करता है। इस तरह वह धोखाधड़ी कर रहा है और सरकार को नुकसान पहुंचा रहा है। धारा 185 के तहत सुनील को तीन साल की सजा, जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।

    धारा 186: नकली स्टैम्प से जुड़े अपराध (Dealing with Fictitious Stamps)

    धारा 186 नकली स्टैम्प (Fictitious Stamp) से जुड़े अपराधों के बारे में है। इसमें वह व्यक्ति अपराधी माना जाएगा, जो नकली स्टैम्प बनाता है, जानबूझकर बेचता है या इसका इस्तेमाल करता है। इसके अलावा, अगर किसी के पास बिना वैध कारण के नकली स्टैम्प मिलता है, तो वह भी इस धारा के तहत दंडनीय है। इस अपराध के लिए ₹200 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, नकली स्टैम्प बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री जब्त कर ली जाएगी।

    उदाहरण और व्याख्या: मान लीजिए रमेश एक छोटी दुकान चलाता है और उसने ऐसे स्टैम्प बेचना शुरू कर दिया है, जो दिखने में असली पोस्टल स्टैम्प जैसे लगते हैं लेकिन असल में नकली हैं। ये स्टैम्प सरकार द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। अगर रमेश पकड़ा जाता है, तो धारा 186 के तहत उसे दंडित किया जाएगा, और उसके द्वारा इस्तेमाल की गई सामग्री भी जब्त कर ली जाएगी।

    धारा में नकली स्टैम्प को ऐसे स्टैम्प के रूप में परिभाषित किया गया है, जो सरकार द्वारा जारी किए गए स्टैम्प की झूठी नकल होती है। यदि कोई व्यक्ति नकली स्टैम्प बनाने के उपकरण जैसे प्लेट या अन्य उपकरण अपने पास रखता है, तो उसे भी दंडित किया जाएगा।

    धारा 187: टकसाल कर्मचारियों द्वारा कदाचार (Misconduct by Mint Employees)

    धारा 187 भारत में कानूनी रूप से स्थापित किसी भी टकसाल (Mint) में काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा कदाचार के मामलों को कवर करती है। यदि कोई कर्मचारी जानबूझकर किसी सिक्के का वजन या उसकी संरचना बदलता है, जिससे वह सिक्का कानूनी मानकों से भिन्न हो जाता है, तो वह अपराधी माना जाएगा। ऐसे अपराध के लिए सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

    उदाहरण और व्याख्या: मान लीजिए राजीव एक टकसाल में काम करता है और ₹10 के सिक्के के निर्माण की देखरेख करता है। हालांकि, वह जानबूझकर धातु की मात्रा को बदल देता है, जिससे सिक्के की संरचना कानूनी मानकों से भिन्न हो जाती है। इस प्रकार का कृत्य धारा 187 के अंतर्गत अवैध है, और राजीव को सात साल तक की सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

    धारा 188: बिना अनुमति टकसाल के उपकरण निकालना (Unauthorized Removal of Coining Tools from Mint)

    धारा 188 के तहत किसी भी व्यक्ति द्वारा बिना वैध अधिकार के किसी टकसाल से उपकरण निकालने का अपराध दंडनीय है। ऐसे अपराध के लिए सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। टकसाल के उपकरण सिक्के बनाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, और उन्हें बिना अनुमति निकालना गैरकानूनी सिक्के बनाने या नकली सिक्कों का उत्पादन करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

    उदाहरण और व्याख्या: मान लीजिए मीना एक इंजीनियर है और एक टकसाल में काम करती है। एक दिन वह एक टकसाल उपकरण को बिना अनुमति के अपने घर ले जाती है और इसे अपने निजी कार्यों के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाती है। टकसाल के उपकरण को इस तरह निकालना एक गंभीर अपराध है और मीना को धारा 188 के तहत सात साल की सजा और जुर्माना का सामना करना पड़ सकता है।

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