Right to Information Act में लोक सेवकों से सूचना प्राप्त करना
Shadab Salim
16 Jun 2025 4:44 AM

इस एक्ट की धारा 3 भारत के नागरिकों को शासकीय सेवकों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार देती है एवं शासकीय सेवकों का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने विभाग की जन सूचनाओं को जारी किए जाने का अधिकार उन्हें प्राप्त है। वह सभी सूचनाओं को भारत के नागरिकों को दें। जब भी कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की सूचना जिसे जारी किया जा सकता है किसी भी लोक सेवक से मांगता है तब उसका यह कर्तव्य होता है कि वह सूचना को मांगे गया क्रम में प्रस्तुत करें।
मौखिक अनुदेश, आदेश, सुझायों पर कार्य नहीं करना है। उन्हें फाइल पर अनुदेश, आदेश आदि को अभिलिखित करना चाहिए, यदि ये मौखिक अनुदेश पर कार्य करते हैं। उन्हें अभिलिखित किये बिना मौखिक अनुदेशों पर कार्य करना अधिनियम को भी विफल कर देता है और भ्रष्टाचार को अवसर प्रदान करता है।
बैंक खाता के बारे में जानकारी का अधिकार व्यक्ति को बैंक में उसके पिता और माता द्वारा संयुक्त रूप से धारण किये गये बचत बैंक खाता तथा सावधि जमा रसीद के बारे में विवरण को जानने का अधिकार है।
परीक्षार्थी का अधिकार- परीक्षार्थी को उत्तर पुस्तिका देखने का अधिकार है और उत्तर पुस्तिका उसको प्रदान की जानी चाहिए यह बात प्रीतम रूज बनाम यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता, ए आई आर 2008 कलकत्ता 118।
उत्तर-पत्रकों के सम्बन्ध में सूचना उत्तर पत्रकों से सम्बन्धित सूचना प्रदान की जानी चाहिए। क्योंकि लोक कार्य का निर्वहन करने वाला परीक्षक लोगों के प्रति उत्तरदायी है और यह लोक प्रयोजन को पूरा करेगा।
धीरज पाण्डेय बनाम मध्य प्रदेश राज्य 2014 के मामले में कहा गया है बिना किसी विश्वसनीय और विशिष्ट तथ्यों के पुनर्मूल्यांकन का आदेश नहीं दिया जा सकता है।
सरूप सिंह हरया नायक बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र, ए आई आर 2007 बम्बई 121 व्यक्ति द्वारा ईप्सित सूचना उपलब्ध करायी जानी चाहिए और ऐसा व्यक्ति उस सूचना के लिए कारण देने के लिए बाध्य नहीं है जिसकी वह ईप्सा करता है।
अपेक्षा:- सूचना की मांग करने वाले से अपेक्षित सूचना को स्पष्ट रूप से विनिर्दिष्ट करने की अपेक्षा की जाती है और यदि आवश्यक है, तो उसे सुसंगत अभिलेखों और फाइलों के निरीक्षण की भी मांग करनी चाहिए जिससे अपेक्षित सूचना की शिनाख्त की जाए।
ईप्सित सूचना किसी लोक प्राधिकारी से सम्बन्धित होनी चाहिए और न कि प्राइवेट निकाय से संबंधित हो।
आवेदक अभिलेखों का निरीक्षण करने के लिए हकदार है, यदि उसे दो गयी सूचना से समाधान नहीं होता है। यदि आवेदक को दी गयी सूचना से समाधान नहीं है और सूचना का कोई प्रत्याख्यान नहीं है, तो यह सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अभिलेखों के निरीक्षण के लिए आवेदन कर सकता है।
अभिलेखों के निरीक्षण के अभिवाक को अनुज्ञात किया जाना चाहिए, जब आवेदक अभिकधित करता है कि दी गयी सूचना अपूर्ण और अशुद्ध है। यह तथ्य डॉ० पूनम नागपाल बनाम डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन, के वाद में दी गया है।
फाइलों का निरीक्षण सूचना के अधिकार में फाइलों का निरीक्षण भी शामिल है।
सांस्थानिक निर्धारण का मामला- सांस्थानिक निर्धारण के मामले में, आवेदक सभी रिपोर्टों के लिए सभी सूचना को ईप्सा करने का हकदार है, जिसे लोकहित में तैयार किया जाता है। ए० महेन्द्र बनाम रोहेबिलिटेशन कौंसिल ऑफ इंडिया के मामले में यह विचार दिया गया है।
किसके समक्ष आवेदन:- यदि सूचना का विषय राज्य से सम्बन्धित है, तो आवेदन को राज्य प्राधिकारी के समक्ष दाखिल किया जायेगा।
एक ही विषय पर दूसरा आवेदन नहीं उसी विषय पर एक के बाद दूसरा विभिन्न आवेदन दाखिल करना, जब मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अधिनियम के लाभद प्रावधान के दुरुपयोग के अतिरिक्त कुछ नहीं है।
प्रकटन आज्ञापक लोक प्राधिकारी से सम्बन्धित सूचना का प्रकटन आज्ञापक है, यदि पित सूचना अधिनियम के परिक्षेत्र के अन्तर्गत आती है।
विधिक इकाइयों द्वारा ईप्सित सूचना:- संघ या भागीदारी फर्म या हिन्दू अविभक्त कुटुम्ब से या व्यक्तियों के किसी अन्य समूह से, जो निकाय के रूप में या अन्यथा गठित है, अपील पर आवेदन को स्वीकार किया जाना चाहिए और अनुज्ञात किया जाना चाहिए।
ग्राहक सूचना के लिए हकदार:- उपभोक्ता सहकारी समिति द्वारा संचालित राशन की दुकान से सम्बन्धित विवरण प्राप्त करने के लिए हकदार है। ए सी सेकर बनाम द डिप्टी रजिस्ट्रार ऑफ कोआपरेटिव सोसाइटीज, थिरुवन्नामलाई सर्किल, ए आई आर 2008 मद्रास 224 के वाद में यह निर्णय दिया गया है।