भारतीय न्याय संहिता, 2023 में नए प्रावधान और महत्वपूर्ण बदलाव
Himanshu Mishra
10 Feb 2025 11:39 AM

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS) में कई नए प्रावधान (Provisions) जोड़े गए हैं और पहले से मौजूद कई कानूनी परिभाषाओं (Legal Definitions) और धाराओं में बदलाव किए गए हैं।
इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य नए अपराधों को शामिल करना, कानून को अधिक स्पष्ट बनाना और न्याय व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाना है। भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code - IPC) के कई प्रावधानों को हटाया गया, बदला गया या विस्तारित किया गया है। इस लेख में हम बीएनएस में शामिल कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों (Modifications) और परिवर्तनों (Alterations) का विश्लेषण करेंगे।
संगठित अपराध की परिभाषा (Definition of Organised Crime) – धारा 111
बीएनएस में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक संगठित अपराध (Organised Crime) को धारा 111 में स्पष्ट रूप से परिभाषित करना है। इससे पहले, आईपीसी में संगठित अपराध की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं थी, जिससे कानून लागू करने में कठिनाई होती थी।
बीएनएस के तहत संगठित अपराध में अपहरण (Kidnapping), ज़मीन कब्जा (Land Grabbing) और अन्य गंभीर अपराध शामिल हैं, जो किसी गिरोह (Syndicate) के माध्यम से या उसके लाभ के लिए किए जाते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कोई गिरोह ज़मीन कब्जाने के लिए धमकी और हिंसा का सहारा लेता है, तो अब उन्हें संगठित अपराध के तहत कठोर सज़ा दी जाएगी। इससे बड़े पैमाने पर होने वाले अपराधों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
"रात" की परिभाषा में बदलाव और "आग" का विस्तार (Modification in Definition of "Night" and Expansion of "Fire") – धारा 43 और 41
आईपीसी में "रात" (Night) को परिभाषित किया गया था, लेकिन उसकी सटीक अवधि स्पष्ट नहीं थी। बीएनएस की धारा 43 में अब "रात" को "सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले" (After Sunset and Before Sunrise) के रूप में परिभाषित किया गया है। इससे उन अपराधों पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी, जो अंधेरे का फायदा उठाकर किए जाते हैं, जैसे चोरी और डकैती।
इसी तरह, धारा 41 में "आग" (Fire) की परिभाषा का विस्तार किया गया है, जिसमें "आग या किसी विस्फोटक पदार्थ (Explosive Substance) द्वारा नुकसान पहुंचाना" भी शामिल कर दिया गया है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करके किसी दुकान या फैक्ट्री को जलाता है, तो अब उसे एक व्यापक परिभाषा के तहत कठोर दंड मिलेगा।
सभी प्रारंभिक अपराध एक ही अध्याय में (All Inchoate Offences Clubbed Under One Chapter)
बीएनएस ने कानूनी प्रक्रियाओं को अधिक सुगम बनाने के लिए सभी प्रारंभिक अपराधों (Inchoate Offences) - षड्यंत्र (Conspiracy), प्रयास (Attempt) और उकसाना (Abetment) - को एक ही अध्याय के अंतर्गत रखा है। पहले, आईपीसी में ये अपराध अलग-अलग अध्यायों में थे, जिससे कानून को समझना कठिन होता था।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति चोरी करने का प्रयास करता है लेकिन असफल रहता है, और दूसरा व्यक्ति उसे उकसाता है, तो अब दोनों अपराधों को एक ही अध्याय के तहत देखा जाएगा, जिससे अभियोजन (Prosecution) की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
धोखे से यौन संबंध बनाना अपराध (Offense of Deceitful Sexual Intercourse) – धारा 69
बीएनएस में एक महत्वपूर्ण नया प्रावधान धारा 69 के तहत जोड़ा गया है, जो धोखे (Deceit) से यौन संबंध बनाने को अपराध घोषित करता है। यह प्रावधान पहले आईपीसी में स्पष्ट रूप से मौजूद नहीं था।
इस धारा के तहत, यदि कोई व्यक्ति झूठे वादे, लालच, या धोखे से किसी को यौन संबंध के लिए सहमत कराता है और बाद में उस वादे को पूरा नहीं करता, तो उसे सज़ा दी जा सकती है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति शादी का झूठा वादा करके किसी से यौन संबंध बनाता है और बाद में शादी से इंकार कर देता है, तो अब उसे धारा 69 के तहत अपराधी माना जाएगा।
गैंग रेप प्रावधान का विस्तार (Expansion of the Gang Rape Provision) – धारा 70(2)
आईपीसी में गैंग रेप (Gang Rape) का प्रावधान धारा 376DA के तहत था, जो केवल 16 साल से कम उम्र की पीड़िताओं पर लागू होता था। बीएनएस में धारा 70(2) के तहत इस उम्र सीमा को बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया है।
अब यदि 17 साल की लड़की के साथ गैंग रेप होता है, तो आरोपी को कठोर सजा मिलेगी, जबकि पहले इस उम्र के मामलों पर समान स्तर की सजा लागू नहीं होती थी।
लापरवाही से मौत के मामलों में सजा बढ़ाई गई (Increased Punishment for Causing Death by Negligence) – धारा 106(1)
पहले, आईपीसी की धारा 304A के तहत लापरवाही (Negligence) से मौत के मामलों में अधिकतम दो साल की सजा थी। अब बीएनएस की धारा 106(1) के तहत यह सजा बढ़ाकर अधिकतम पांच साल कर दी गई है।
यह बदलाव उन मामलों में महत्वपूर्ण है, जहां तेज़ रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण मौत हो जाती है। अब ऐसे मामलों में दोषी व्यक्ति को अधिक कड़ी सजा मिलेगी।
आतंकवादी गतिविधियों को अपराध घोषित किया गया (Inclusion of Terrorist Acts as an Offense) – धारा 113
बीएनएस ने पहली बार आतंकवाद (Terrorism) से संबंधित अपराधों को धारा 113 के तहत शामिल किया है। यह प्रावधान मुख्य रूप से गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (Unlawful Activities Prevention Act - UAPA) से प्रेरित है।
इस धारा के तहत आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने, आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने या सरकार को धमकाने के लिए हिंसा का उपयोग करने पर कठोर दंड का प्रावधान है।
झूठी सूचना फैलाने पर दंड (Criminalizing the Spread of Misinformation) – धारा 353
आज के डिजिटल युग में गलत सूचनाओं (Misinformation) का तेजी से प्रसार हो रहा है। बीएनएस ने इस पर रोक लगाने के लिए धारा 353 जोड़ी है, जो किसी भी झूठी जानकारी को जानबूझकर फैलाने, प्रकाशित करने या प्रसारित करने को अपराध घोषित करती है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति सरकार की किसी नीति के बारे में झूठी खबर फैलाकर जनता को उकसाता है, तो अब उसे दंडित किया जा सकता है।
सरकारी दस्तावेजों की जालसाजी पर सख्ती (Forgery of Government Documents) – धारा 337
बीएनएस की धारा 337 के तहत, अब सरकारी दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड (Aadhaar Card) या मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Card) की जालसाजी (Forgery) को स्पष्ट रूप से अपराध माना गया है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति नकली आधार कार्ड बनाकर धोखाधड़ी करता है, तो अब उसे इस धारा के तहत कठोर दंड मिलेगा।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में किए गए ये बदलाव भारतीय आपराधिक कानून को अधिक प्रभावी और समकालीन (Contemporary) बनाने के लिए किए गए हैं। इन नए प्रावधानों से कानून को अधिक स्पष्ट और न्यायसंगत बनाने में मदद मिलेगी, जिससे नागरिकों की सुरक्षा और न्यायिक व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकेगा।