फैक्ट इश्यू और रिलीवेंट फैक्ट के मतलब
Shadab Salim
29 Jun 2024 11:02 AM GMT
एक जुलाई से इंडिया में नया एविडेन्स एक्ट लागू हो रहा है। एविडेन्स एक्ट में कुछ चीज़ें नई जोड़ी गयी है लेकिन पुराने कॉन्सेप्ट लगभग वैसे ही हैं। उनमें सबसे महत्वपूर्ण फैक्ट,इश्यू और रिलीवेंट फैक्ट है। यह ही किसी भी केस में सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।
इन तीनों शब्दों को साक्ष्य अधिनियम की परिधि माना जा सकता है। सारा एविडेन्स एक्ट इन तीनों शब्दों के अंतर्गत ही रहता है।
फैक्ट किसे कहते हैं-
पुराने एविडेन्स एक्ट की धारा 3 के अंतर्गत तथ्य की परिभाषा दी गई थी। इस परिभाषा के अंतर्गत कुछ दृष्टांत के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया था। तथ्य होता क्या है,उसकी प्रकृति क्या होती है,तथा उसका अर्थ क्या है। एविडेन्स एक्ट में में तथ्य को किन अर्थों में लिया जाए। एविडेन्स एक्ट में साक्ष्य की परिभाषा से प्रतीत होता है कि साक्ष्य तथ्यों से संबंधित है इसलिए साक्ष्य को मामले के तथ्यों तक ही सीमित रखना पड़ता है। इस प्रयोजन हेतु तथ्य शब्द की परिभाषा आवश्यक हो गई थी जो अधिनियम में निम्नलिखित तरीके से दी गई है-
'तथ्य से अभिप्रेत है और उसके अंतर्गत आती है
ऐसी कोई वस्तु ,वस्तुओं की अवस्था या वस्तुओं का संबंध जो इंद्रियों द्वारा बोधगम्य हो'
'कोई मानसिक दशा जिसका भान किसी व्यक्ति को हो'
तथ्य उसे कहा जाता है जिसे मनुष्य भौतिक और मानसिक रूप से प्रतीत कर सके,आभास कर सके उसे महसूस कर सकें। विधि के अंतर्गत कार्य और लोप दोनों को तथ्य माना गया है।कार्य भी तथ्य और लोप भी तथ्य है।
हम इस बात को इस उदाहरण के माध्यम से सकते है-
कार्य- जैसे विधि द्वारा किसी व्यक्ति को यह कार्य बताया गया है वह किसी व्यक्ति की हत्या नहीं करेगा।किसी भी व्यक्ति की हत्या करने के लिए तथा इस हत्या के लिए हमें शास्ति दी जाएगी,दंड दिया जाएगा।कार्य यही है जिसे करने से निवारित किया गया है।
लोप-जैसे विधि के अंतर्गत हमें यह बताया गया है की हमें आयकर हमारी सालाना आय पर प्रत्येक वर्ष भरना होगा, परंतु हम आयकर नहीं भरते है,तो यह लोप है तथा आपराधिक लोप है, और इस लोप के लिए हमें दंडित किया जाएगा।
कोई भी तथ्य कार्य या लोप दोनों हो सकते है। तथ्य इंद्रियों को मानसिक व शारीरिक रूप से आभास होता है,तथ्य को पहचाना जा सकता है,तथ्य को महसूस किया जा सकता है,तथ्य को समझा जा सकता है तथ्य को देखा जा सकता है तथ्य किसी भी भांति का हो सकता है।
फैक्ट ऑफ इश्यू
फैक्ट ऑफ इश्यू का अर्थ होता है जिन फैक्ट पर विवाद है। किसी वाद या कार्यवाही के पक्षकार उन तथ्यों पर सहमत नहीं है उन्हें विवाधक तथ्य कहा जाता है।
साक्ष्य अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत जहां निर्वाचन खंड दिया गया था, विवाधक तथ्य की परिभाषा भी दी गयी थी।
"विवाधक तथ्य" से अभिप्रेत है और उसके अंतर्गत आता है -
ऐसा कोई भी तथ्य जिस अकेले ही से, या अन्य तथ्यों के संसर्ग,में किसी ऐसे अधिकार, दायित्व या निर्योग्यता के,जिसका किसी वाद या कार्यवाही में प्रख्यान या प्रत्याख्यान किया गया है, अस्तित्व, अनस्तित्व, प्रकृति या विस्तार की उत्पत्ति अवश्यमेव होती हैं।
विविध तथ्य का आशय विवादित तथ्य से ही है, अर्थात जिन तथ्यों पर विवाद है। किसी भी विवाद में केवल एक पक्षकार नहीं होता है। किसी विवाद में एक से अधिक ही पक्षकार होते है,तथा इस विवाद का कोई तथ्य होता है,कोई कारण होता है जिसे समझा जा सकता है देखा जा सकता है आभास किया जाता है।
ऐसे में कुछ पक्षकार किन्ही तथ्यों पर सहमत होते हैं किन्ही तथ्यों पर असहमत होते हैं। पक्षकारों के भीतर जिन तथ्यों को लेकर विवाद होता है उन तथ्यों को विवाधक तथ्य कहा जाता है। इन तथ्यों के माध्यम से वाद की प्रकृति को समझा जाता है।
विवाधक तथ्य क्या होता है इसे आप इस उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हैं-
जिसे राज्य द्वारा किसी व्यक्ति के ऊपर कोई मुकदमा चलाया जाता है,कोई अभियोजन लाया जाता है।ऐसे में आरोपी व्यक्ति पर जब आरोप तय किए जाते हैं उस समय वह उन आरोपों में से किन आरोपों को स्वीकार कर लेता है तथा किन्ही आरोपों को अस्वीकार भी कर सकता है,वह जिन आरोपों को स्वीकार करता है यह उसका अभिवचन हो जाते हैं तथा जिन आरोपों को स्वीकार नहीं करता है यह विवाधक तथ्य हो जाते हैं।
कोई सिविल कार्यवाही चल रही है। किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति पर इस तथ्य के अंतर्गत वाद लाया गया है। कोई भूमि किसी व्यक्ति के कब्जे में है परन्तु भूमि का मालिकाना हक कोई अन्य व्यक्ति दावा कर है।
ऐसी सिविल कारवाही लायी जाती है, जिसके पास कब्ज़ा है वह व्यक्ति इस बात का खंडन यह कहते हुए करता है कि यह भूमि मेरे पुरखों की है तथा इस पर मेरा कब्जा भी है और मालिकाना हक भी है तो इससे विधायक तथ्य निम्न होंगे-
क्या भूमि पर कब्ज़ा रखने वाले व्यक्ति का मालिकाना हक़ है?
क्या भूमि पर मालिकाना हक बताने वाले व्यक्ति का दावा सही है?
विवाधक तथ्य भिन्न-भिन्न भी हो सकते है तथा किसी एक वाद में बहुत सारे विवाधक तथ्य हो सकते है। वह सभी तथ्यों को समझना अत्यंत आवश्यक होता है। कोई भी वाद या कार्यवाही इन विवाधक तथ्यों के आधार पर ही चलती है। सारे साक्ष्य इन विवाधक तथ्यों को साबित और नासाबित करने हेतु ही दिए जाते हैं,अर्थात साक्ष्यों को पेश किया जाना इन तथ्यों को साबित और नासाबित करना ही लक्ष्य होता है।
किसी व्यक्ति ने किसी व्यक्ति की हत्या की है। हत्या का आरोप लगाया गया है। अभियोजन यह कह रहा है कि किसी व्यक्ति ने हत्या की है और आरोपी कहता है मैंने हत्या नहीं कि तो ऐसी परिस्थिति में हत्या वह आमुख व्यक्ति ने की है या नहीं की है यह विवाधक तथ्य है। अभियोजन इस तथ्य को साबित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करेगा तथा वह आरोपी व्यक्ति जिस पर अभियोजन चलाया जा रहा है इस बात को नासाबित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करेगा कि हत्या उसके द्वारा नहीं की गई है।विवाधक तथ्य यह हो सकता है कि हत्या के आरोपी व्यक्ति द्वारा हत्या की गई है या नहीं की गयी है।
किसी तथ्य को विवाधक तथ्य तब ही माना जा सकता है जब वह यह शर्ते पूरी करता है-
प्रथम यह कि उस तथ्य के बारे में पक्षकारों में मतभेद हो।
दूसरा यह कि वह इतना महत्व रखता हो कि उसी पर पक्षकारों के दायित्व तथा अधिकार निर्भर करते हैं।
जिस सीमा तक पक्षकारों के दायित्व तथा अधिकार किसी विशेष विधि के उपबंधों पर निर्भर करते हैं,उस विशेष विधि के संबंध में ही जाना जा सकता है कि विवादित तथ्य क्या है!
उदाहरणार्थ यदि असावधानी से की गई क्षति के लिए बाद लाया गया है तो दुष्कृत्य विधि के असावधानी से संबंधित नियम और पक्षकारों की दुष्कृति के बारे में मतभेद यह तय करेंगे कि विवाधक तत्व कौन से है।
अगर वादी का कहना है कि प्रतिवादी उसके प्रति सावधानी का कर्तव्य रखता है, प्रतिवादी या कहे कि उसका कोई ऐसा कर्तव्य नहीं था तो यह तथ्य ऐसा कर्तव्य था या नहीं विवादित तथ्य बन जाएगा।निष्कर्ष यह है कि विवादित तथ्य विवाद की विषय वस्तु से संबंध रखने वाली विधि की आवश्यकता है,तथा पक्षकारों के अभिभाषण पर निर्भर करते हैं।
सुसंगत तथ्य-
यह इस अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण शब्द है जिसे सुसंगत तथ्य कहा जाता है। इसकी परिभाषा पुराने अधिनियम की धारा 3 में ही दी गयी थी
"एक तथ्य दूसरे तथ्य से सुसंगत कहा जाता है,जबकि तथ्यों की सुसंगती से संबंधित इस अधिनियम के उपबंधों में निर्दिष्ट प्रकारों में से किसी भी एक प्रकार से वह तथ्य उस दूसरे तथ्य से संसक्त हो"
कौन सा तथ्य सुसंगत है यह बताने के लिए साक्ष्य अधिनियम 1872 में एक पूरा अध्याय दिया गया था, जिसके माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है कि कौन से तथ्य सुसंगत होंगे। यह अध्याय अधिनियम की धारा 5 से लेकर धारा 55 तक है। इन सभी धाराओं में कौन से तत्व सुसंगत होंगे इस पर वर्णन किया गया है।
सुसंगत तथ्य अधिनियम का अति महत्वपूर्ण शब्द है किसी भी व्यक्ति को सर्वप्रथम इस बात को समझना चाहिए की कौन से तथ्य सुसंगत होंगे।
यह बहुत महत्वपूर्ण बात है, सुसंगत तथ्यों से मिलकर विवाधक तथ्य तक पहुंचा जाता है। यदि किसी वाद में या कार्यवाही में सुसंगत तथ्यों को साबित कर दिया जाता है, नासाबित कर दिया जाता है तो विवाधक तथ्य भी साबित या नासाबित हो जाते है। इस अधिनियम के अनुसार किसी विवाद या कार्यवाही में अनेकों सुसंगत तथ्य होते है।