राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत लाइसेंस, परमिट और पास – धारा 31, 32 और 33

Himanshu Mishra

8 Feb 2025 5:06 PM IST

  • राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत लाइसेंस, परमिट और पास – धारा 31, 32 और 33

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) राज्य में शराब और अन्य नशीले पदार्थों (Intoxicating Substances) के निर्माण, बिक्री और वितरण को नियंत्रित करता है।

    इस अधिनियम के तहत सरकार ने एक लाइसेंस (Licence), परमिट (Permit) और पास (Pass) की प्रणाली बनाई है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी व्यवसाय वैध तरीके से संचालित हों, आवश्यक शुल्क (Fees) जमा करें और निर्धारित शर्तों (Conditions) का पालन करें।

    धारा 31, 32 और 33 इन कानूनी दस्तावेजों के रूप, शर्तों, पहले से जारी लाइसेंस की वैधता और सरकारी अधिकारियों की शक्तियों को निर्धारित करती हैं।

    ये प्रावधान अधिनियम की अन्य धाराओं, जैसे कि धारा 24 (जिसमें सरकार को शराब व्यापार पर विशेष अधिकार दिया गया है), धारा 29 (जो आबकारी शुल्क लगाने की प्रक्रिया निर्धारित करता है) और धारा 30 (जो विशेष अधिकारों के लिए शुल्क तय करता है) से जुड़े हुए हैं।

    इस लेख में हम धारा 31, 32 और 33 की विस्तृत व्याख्या करेंगे और उदाहरणों (Illustrations) के माध्यम से इनके व्यावहारिक (Practical) महत्व को समझेंगे।

    धारा 31: लाइसेंस, परमिट और पास का रूप और उनकी शर्तें (Form and Conditions of Licences, Permits, and Passes)

    धारा 31 यह निर्धारित करती है कि किसी भी व्यक्ति या व्यवसाय को शराब बेचने, खरीदने या परिवहन (Transportation) करने के लिए सरकार से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। यह लाइसेंस कुछ शर्तों के अधीन होता है, जिन्हें राज्य सरकार निर्धारित करती है।

    1. लाइसेंस जारी करने का अधिकार (Authority to Grant Licence) – किसी भी लाइसेंस को जारी करने का अधिकार एक निश्चित सरकारी अधिकारी, जैसे कि आबकारी आयुक्त (Excise Commissioner) या अन्य नियुक्त अधिकारी को दिया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि लाइसेंस केवल अधिकृत (Authorized) अधिकारियों द्वारा जारी किए जाएं, ताकि धोखाधड़ी (Fraud) और अवैध लाइसेंसिंग को रोका जा सके।

    2. लाइसेंस शुल्क (Fees for Licence) – लाइसेंस जारी करने के लिए सरकार शुल्क निर्धारित करती है। यह शुल्क लाइसेंस के प्रकार और व्यवसाय की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए, थोक विक्रेता (Wholesaler) के लिए शुल्क अधिक हो सकता है, जबकि छोटे शराब विक्रेताओं के लिए कम हो सकता है।

    3. शर्तें और प्रतिबंध (Restrictions and Conditions) – सरकार लाइसेंस जारी करते समय कुछ शर्तें लागू कर सकती है, जैसे कि –

    o केवल देशी शराब (Country Liquor) बेचने का लाइसेंस या विदेशी शराब (Foreign Liquor) बेचने की अनुमति।

    o शराब बेचने की भौगोलिक सीमा (Geographical Area) निर्धारित करना।

    o शराब बेचने का समय (Operating Hours) तय करना।

    o शैक्षणिक संस्थानों (Educational Institutions) और धार्मिक स्थलों (Religious Places) के पास शराब बिक्री पर रोक।

    4. लाइसेंस का रूप और उसमें शामिल जानकारी (Format and Details in Licence) – राज्य सरकार यह तय करती है कि लाइसेंस का स्वरूप कैसा होगा। इसमें आमतौर पर निम्नलिखित जानकारी होती है –

    o लाइसेंसधारी (Licensee) का नाम

    o दुकान या व्यापार का स्थान

    o बेचे जाने वाले उत्पादों का प्रकार

    o लाइसेंस की वैधता अवधि

    o लागू शर्तें

    5. लाइसेंस की वैधता अवधि (Validity Period of Licence) – प्रत्येक लाइसेंस एक निर्धारित समय के लिए जारी किया जाता है। कुछ लाइसेंस एक वर्ष (One Year) के लिए होते हैं, जबकि कुछ छोटे कार्यों के लिए कम अवधि के लिए जारी किए जाते हैं।

    उदाहरण (Illustration):

    अगर कोई व्यक्ति जयपुर में एक शराब की दुकान खोलना चाहता है, तो उसे आवेदन करना होगा, आवश्यक शुल्क जमा करना होगा और सरकार द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का पालन करना होगा। आबकारी विभाग (Excise Department) यह सुनिश्चित करेगा कि आवेदन सभी नियमों का पालन कर रहा है, और तभी लाइसेंस जारी किया जाएगा।

    धारा 32: अधिनियम के लागू होने से पहले जारी लाइसेंसों की वैधता (Saving of Licences in Force at the Commencement of the Act)

    जब राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 लागू हुआ, तब पहले से जारी आबकारी कानूनों (Excise Laws) के तहत जारी किए गए लाइसेंस भी प्रभावी थे। धारा 32 यह स्पष्ट करती है कि ऐसे पुराने लाइसेंस इस नए अधिनियम के अंतर्गत वैध माने जाएंगे, जब तक कि उन्हें रद्द (Cancel), निलंबित (Suspend), वापस नहीं लिया जाता (Withdraw) या धारक द्वारा आत्मसमर्पण (Surrender) नहीं किया जाता।

    यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि लाइसेंसधारियों (License Holders) को नए लाइसेंस के लिए फिर से आवेदन करने की आवश्यकता न पड़े और उनका व्यवसाय सुचारू रूप से चलता रहे।

    उदाहरण (Illustration):

    अगर किसी व्यक्ति ने 1949 में जोधपुर में एक शराब बिक्री लाइसेंस प्राप्त किया था, तो वह लाइसेंस अधिनियम लागू होने के बाद भी वैध रहेगा। लेकिन यदि वह व्यक्ति किसी भी नियम का उल्लंघन करता है, जैसे नाबालिगों (Minors) को शराब बेचना या टैक्स चोरी करना, तो सरकार उसके लाइसेंस को रद्द कर सकती है।

    धारा 33: लाइसेंसधारी से करार और सुरक्षा राशि की मांग करने की शक्ति (Power to Require Execution of Counterpart Agreement)

    धारा 33 के तहत, आबकारी विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए कि लाइसेंसधारी नियमों का पालन करेगा, उससे एक कानूनी करार (Legal Agreement) पर हस्ताक्षर करवा सकता है।

    इसके अलावा, लाइसेंसधारी को सुरक्षा राशि (Security Deposit) जमा करने या बैंक गारंटी (Bank Guarantee) देने का भी आदेश दिया जा सकता है।

    1. कानूनी करार (Legal Agreement) – यह एक दस्तावेज होता है जिसमें लाइसेंसधारी यह स्वीकार करता है कि वह सभी नियमों का पालन करेगा।

    2. सुरक्षा राशि (Security Deposit) – सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कि लाइसेंसधारी अपनी जिम्मेदारी निभाएगा, एक निश्चित राशि जमा करने के लिए कह सकती है। यदि लाइसेंसधारी नियमों का उल्लंघन करता है, तो यह राशि जब्त की जा सकती है।

    उदाहरण (Illustration):

    अगर कोटा में एक शराब वितरण कंपनी को थोक विक्रय (Wholesale) लाइसेंस मिला है, तो आबकारी विभाग कंपनी से ₹5 लाख की सुरक्षा राशि जमा करने के लिए कह सकता है। यदि कंपनी तय सीमा से बाहर शराब बेचती है, तो सरकार इस राशि को जब्त कर सकती है और लाइसेंस को निलंबित कर सकती है।

    धारा 31, 32 और 33 राजस्थान में शराब व्यापार को नियमित (Regulate) करने और सरकारी नियंत्रण बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

    ये प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि –

    1. केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही शराब बेचने का लाइसेंस मिले।

    2. सरकार को राजस्व (Revenue) प्राप्त हो और नियमों का पालन सुनिश्चित हो।

    3. पहले से जारी लाइसेंसों की वैधता बनी रहे, ताकि व्यापारियों को परेशानी न हो।

    4. लाइसेंसधारियों से कानूनी करार और सुरक्षा राशि जमा करवाई जाए, ताकि वे सभी शर्तों का पालन करें।

    इस प्रकार, राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के यह प्रावधान शराब व्यापार को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा (Legal Framework) प्रदान करते हैं।

    Next Story