Transfer Of Property में Lessee की लायबिलिटी

Shadab Salim

24 Feb 2025 4:20 AM

  • Transfer Of Property में Lessee की लायबिलिटी

    संपत्ति अन्तरण अधिनियम की धारा 108 एक वृहद धारा है तथा इसमे अनेक प्रावधान Lessor और Lessee के दायित्व और अधिकारों के संबंध में प्रस्तुत किये गए है।

    Lessee की लाइबिलिटी-

    तथ्य प्रकट करने का दायित्व

    यह धारा उपबन्धित करती है Lessee उस हित की, जिसे वह लेने वाला है, प्रकृति या विस्तार के में ऐसा तथ्य, जिसे Lessee जानता है और Lessor नहीं जानता और जिससे ऐसे हित के मूल्य में तात्विक वृद्धि होती है, Lessor को प्रकट करने के लिए आबद्ध है। Lessee का यह कर्तव्य होता है कि वह पट्टे पर लो जाने वाली सम्पत्ति की प्रकृति उसके विस्तार एवं ऐसा समस्त तथ्यों को Lessor के समक्ष प्रकट करने के लिए बाध्य है क्योंकि ये तत्व प्रस्तावित हित के मूल्य में तात्विक वृद्धि करते हैं तथा इनके विषय में Lessor को ज्ञान नहीं रहता है और Lessee अच्छी प्रकार जानता है।

    Lessee का यह दायित्व इसी अधिनियम की धारा 155 (क) में वर्णित अप्रकटीकरण का कृत्य कपटपूर्ण आचरण घोषित है तथा इस कारण से संविदा समाप्त की जा सकती है, जबकि इस उपबन्ध के अन्तर्गत अप्रकटीकरण की स्थिति में Lessor क्षतिपूर्ति के लिए वाद संस्थित कर सकेगा। उदाहरण के लिए यदि Lessee Lessor से भूमि का एक टुकड़ा पट्टे पर लेता है यह जानते हुए कि उस भूमि की सतह के नीचे खनिज विद्यमान है। इस तथ्य का ज्ञान Lessor को नहीं है। इस संव्यवहार में Lessee अप्रकटीकरण का दोषी होगा तथा Lessor वाद संस्थित करने का हकदार होगा।

    किराया या भाटक का भुगतान

    Lessee उस तिथि से किराये का भुगतान करने के दायित्वाधीन होगा जिस तिथि को उसने सम्पत्ति का कब्जा प्राप्त किया था न कि उस तिथि से जिस तिथि को Lessor ने लीज़ विलेख पर हस्ताक्षर किया था। Lessee, लीज़ सम्पत्ति के उस अंश का किराया प्रदान करने के दायित्वाधीन नहीं होगा जिसका कब्जा उसे प्राप्त नहीं हुआ है। यदि एकमुश्त किराया सम्पूर्ण सम्पत्ति के लिए निर्धारित किया गया था तथा Lessor, Lessee को लीज़ सम्पत्ति के एक अंश से बेदखल कर देता है वह तब तक किराया को मांग करने के लिए प्राधिकृत नहीं होगा जब तक कि वह किरायेदार को सम्पत्ति के उस भाग का कब्जा नहीं प्रदान कर देता है जिससे उसे बेदखल किया गया था।

    यह तथ्य कि किरायेदार को जिस भाग से बेदखल किया गया था, वह केवल एक तुच्छ भाग महत्व का नहीं है। Lessee को उस सम्पूर्ण सम्पत्ति का कब्जा मिलना चाहिए जिसके लिए करार हुआ था तथा जिसके लिये वह किराया अदा करने के दायित्वाधीन था। यदि लीज़ सम्पत्ति साइक्लोन (चक्रवात) या किसी अन्य नैसर्गिक कारण से नष्ट हो जाती है तो इस आधार पर Lessee किराया कम कराने का अधिकारी नहीं होगा।

    यदि Lessee लीज़ की अवशिष्ट कालावधि का समर्पण करने के लिए Lessor को नोटिस देता है पर Lessor ऐसी नोटिस लेने के लिए मनाकर देता है एवं समर्पण को भो अस्वीकार कर देता है, तो यह नहीं कहा जा सकेगा कि Lessee का किराया का भुगतान करने का दायित्व समाप्त हो गया है।

    यह खण्ड Lessee पर यह बाध्यकारी करता है कि वह नियम समय एवं स्थान पर किराये का भुगतान करे या भुगतान की निविदा करें। इसमें यह अपेक्षा नहीं की गयी कि लीज़कतां किराये की मांग करें।

    यदि लीज़ हेतु किए गये संव्यवहार में लीज़कतों ने यदि समनुदेशन नहीं किया है तथा Lessee अग्रिम रूप में किराए का भुगतान करता है जिसे Lessor स्वीकार कर लेता है, तो वह अग्रिम भुगतान की रकम को किराये के भुगतान के रूप में उस समय स्वीकार करेगा जब किराया देय होगा। एक किरायेदार युक्तियुक्त किराये के निर्धारण की माँग नहीं कर सकेगा जबकि किरायादारी इस अधिनियम के अन्तर्गत सृजित की गयी हो। Lessee किराये की मात्रा में कमी की माँग नहीं कर सकेगा यदि Lessee लीज़ सम्पत्ति के किसी भाग से बेदखल नहीं होता।

    भले ही मरम्मत न होने के कारण सम्पति का एक भाग Lessee के लिए अनुपयोगी हो गया हो। पर यदि लीज़ सम्पत्ति का एक भाग आप्लावन के कारण अनुपयोगी हो जाता है तो Lessee किराया में कमी की माँग कर सकेगा भले ही अधिनियम में इस आशय के प्रावधान न हो यदि Lessor लीज़ सम्पत्ति का असली स्वामी नहीं है और इस कारण Lessee लीज़ सम्पति से बेदखल कर दिया जाता है असली स्वामी द्वारा, तो ऐसी स्थिति से Lessee Lessor को रेन्ट का भुगतान करने के दायित्वाधीन नहीं होगा।

    यह सिद्धान्त Lessee Lessor एवं उपLessor के बीच लागू नहीं होगा। यदि मूल Lessor ने मूलLessee के विरुद्ध बेदखली हेतु डिक्री प्राप्त कर लिया है तो भी उपLessee मूल Lessee Lessor को किराये का भुगतान करने के दायित्वाधीन होगा जब तक कि वह स्वयं (उपLessee) अपने Lessor के विरुद्ध पारित डिक्री के उपरान्त सम्पत्ति को धारण किए रहता है।

    Lessee द्वारा मरम्मत : (धारा 108 (ड):-

    यह उपबन्ध Lessee पर महत्वपूर्ण दायित्व अधिरोपत करता है। इसके अनुसार Lessee का यह कर्तव्य है कि वह लीज़ सम्पत्ति में युक्तियुक्त घिसाई या अप्रतिरोध बल द्वारा हुए परिवर्तनों के सिवाय सम्पत्ति को वैसी ही अच्छी हालत में जैसी में पट्ट समय थी जब उस पर उसका कब्जा कराया गया था, रखने के लिए और पट्टे के पर्यवसान पर प्रत्यावर्तन करने के लिए और Lessor तथा उसके अभिकर्ता को पट्टे की अवधि के दौरान सब युक्तियुक्त समयों पर सम्पत्ति में प्रवेश करने और उसकी हालत में किसी खराबी को सूचना देने पर सूचना वहाँ छोड़ने की अनुज्ञा देने के लिए आबद्ध है तथा जबकि ऐसी खराबी Lessee या उसके सेवकों या अभिकर्ताओं के किसी कार्य या व्यतिक्रम द्वारा हुई हो तब वह ऐसी सूचना के दिए जाने पर छोड़े जाने से तीन मास के अन्दर उसे ठीक कराने के लिए आबद्ध है।

    इस उपबन्ध के अन्तर्गत Lessee का यह कर्तव्य है कि वह लीज़धृति को अच्छी संस्थिति में रखे तथा पट्टे के पर्यवसान के उपरान्त सम्पत्ति उसी स्थिति में Lessor को लौटाया जिस स्थिति में सम्पत्ति उसे सौंपी गयी थी, पर सम्पत्ति को सामान्य रूप में होने वाली क्षतियों, जैसे टूट-फूट या अवरोधी शक्ति से होने वाली टूट-फूट की मरम्मत अपेक्षित नहीं है। Lessee का कर्तव्य लीज़ में सम्मिलित सम्पूर्ण सम्पत्ति पर विस्तारित होगा। मरम्मत से यह अभिप्राय नहीं है कि Lessee एक ऐसे भवन की मरम्मत कराये जिसकी वर्षों से मरम्मत नहीं हुई थी, केवल इसलिए कि उसने उक्त भवन को पट्टे पर लिया है।

    उसका दायित्व केवल यह होगा कि वह उस सम्पत्ति को उसी स्थिति में Lessor को लौटाये जिस स्थिति में सम्पत्ति उसे प्राप्त हुई थी। उससे अच्छी स्थिति में सम्पत्ति लौटाने के दायित्वाधीन Lessee नहीं होता है। अतः यदि एक जीर्णशीर्ण भवन पट्टे पर लिया गया है तो Lessee का यह कर्तव्य नहीं होगा कि भवन को वापस लौटाते समय वह उसका नव निर्माण कराये यदि Lessee ने लीज़ सम्पत्ति पर कोई कार्य यथा दरवाजे पर जालियाँ अन्य डेकोरेशन के कार्य कराया है, जो Lessor को पसन्द नहीं था और Lessor ने इस उपबन्ध से अन्तरिती उसे हटाने को नोटिस दो तथा नोटिस पाने के उपरान्त Lessee ने उसी वस्तुओं को युक्तियुक्त समय के अन्दर हटा लिया तो, Lessor इस आधार पर Lessee को लीज़ सम्पत्ति से बेदखल नहीं कर सकेगा।

    यदि Lessee नोटिस की अवहेलना करेगा तो Lessor बेदखली की कार्यवाही करा सकेगा। वर्षानुवर्षी पट्टे में Lessee पर यह परोक्ष दायित्व होता है वह लीज़ परिसर को अच्छी स्थिति में रखेः तथा युक्तियुक्त सुधार या मरम्मत की कार्यवाहों करे जैसे जाली लगवाना, टूटी खिड़को एवं दरवाजों के पल्लों को बदलना, नालियों की सफाई करवाना इत्यादि।

    यदि पट्टे पर दिया गया गोदाम, लीज़ दिये जाने के समय फिर एवं अच्छी स्थिति में था Lessor ने संविदा की थी केवल तुच्छ सुधारों एवं मरम्मतों को कराने के लिए किन्तु यदि को एक दीवाल गिर जाती है जिससे बगल के गोदाम को दोवाल नष्ट हो जाती है तो वह हुई पूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं होगा किन्तु Lessee का समनुदेशितो असमाप्त पट्टे की अवधि के लिए। दीवाल के गिरने एवं पड़ोसी की दीवाल को क्षति पहुँचने के लिए Lessee के रूप में उत्तरदायों होगा।

    Lessor को नोटिस देने का दायित्व

    यदि लीज़ सम्पत्ति या उसके किसी भाग के प्रत्युद्धरण के लिए किसी कार्यवाही को या ऐसी सम्पत्ति से संयुक्त लीज़कतों के अधिकारों पर कोई अतिक्रमण किया और उनमें किसी हस्तक्षेप को जानकारी Lessee को हो जाए तो वह Lessor को उसको सूचना युक्तियुक्त तत्परता से देने के लिए आवद्ध है इस प्रावधान को प्रयोजन यह है कि Lessor को अवसर मिले जिससे वह अपने हितों की सुरक्षा कर सके।

    यदि पट्टे को निरन्तरता के दौरान लीज़कतां को यह ज्ञात हो जाता है कि कोई व्यक्ति सम्पत्ति के सम्बन्ध में उसके अधिकार को चुनौती दे रहा है; उसको सम्पत्ति उससे छीनने की कोशिश कर रहा है तो वह अपने अधिकारों को उद्घोषणा के लिए कोर्ट के समक्ष वाद संस्थित कर सकेगा तथा अतिवारी अन्य व्यक्तियों से अपनी सम्पत्ति की सुरक्षा कर सकेगा। सामान्य स्थिति में भू-स्वामी Lessee के माध्यम से अपनी सम्पत्ति धारण करता है। यदि Lessee को सम्पत्ति से अपदस्थ कर दिया गया है तो वह भी सिद्धान्ततः अपदस्थ हो जाता है। अतः सम्पत्ति का कब्जा वापस पाने हेतु वह बाद स्थित कर सकेगा।

    सम्पत्ति से अभिप्राय- सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम की धारा 108 खण्ड (ङ) के प्रयोजन हेतु सम्पत्ति से अभिप्रेत है वह सम्पत्ति जो लीज़ की विषयवस्तु हो । अन्य सम्पत्ति जो लीज़ को विषयवस्तु नहीं है या उसका भाग नहीं है, इस प्रावधान से आच्छादित नहीं है।

    कब्जा पुनः स्थापित करने का दायित्व

    यह खण्ड उपबन्धित करता है कि पट्टे के पर्यवसान पर Lessee Lessor को सम्पत्ति पर कब्जा देने के लिए आबद्ध है। पट्टे का पर्यवसान धारा 111 में वर्णित किसी भी कारण से हो सकेगा और जब पट्टे का पर्यवसान होगा तो Lessee का यह कर्तव्य होगा कि यह सम्पत्ति पर से अपना कब्जा हटा ले तथा सम्पत्ति Lessee को वापस लौटा दे। यदि Lessee इस मत का है कि पट्टे का पर्यवसान नहीं हुआ है तो उसे तथ्य साबित करना होगा। यदि वह ऐसा करने में विफल रहता है तो वह अनधिकृत कब्जा का दोषी होगा।

    यदि Lessee सम्पत्ति का कब्जा लीज़ के पर्यवसान पर पुनः स्थापित करने में विफल रहता है या यह साबित करने में विफल रहता है कि पट्टे का पर्यवसान नहीं हुआ है तो वह किराया के बकाये का भुगतान करने से अपने आप को नहीं बचा सकेगा। यदि पट्टे पर दी गयी सम्पत्ति का एक भाग को सरकार अधिगृहीत कर लेती है तो पट्टे के पर्यवसान पर Lessor उक्त सम्पत्ति को प्राप्त करने के लिए सरकार के विरुद्ध बाद संस्थित कर सकेगा।

    Lessee जब पट्टे के पर्यवसान पर जब सम्पत्ति Lessor को वापस लौटाता है तो उसका यह कर्तव्य होगा कि वह खाली सम्पत्ति Lessor को सौंपे। खाली सम्पत्ति लौटाने का सिद्धान्त केवल उन मामलों में ही लागू नहीं होगा जिनमें सम्पत्ति लीज़ की अवधि के समापन पर वापस की जाती है, अपितु उन मामलों में भी लागू होगा जिनमें Lessee लीज़ को शून्य मानकर जैसे सम्पत्ति के नष्ट होने पर या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपने आप सम्पत्ति का असली मालिक घोषित करने पर लीज़ संविदा को रद्द करता है। यदि Lessee सम्पत्ति का खाली कब्जा Lessor को नहीं देता है तो वह प्रतिकर अदा करने के दायित्वाधीन होगा यदि Lesseeी अनिश्चितकाल तक जारी नहीं रहती है।

    यदि संविदा के फलस्वरूप संयुक्त Lesseeी सृजन हुआ है तो Lessor के सभी Lesseeों के विरुद्ध कब्जा हेतु कार्यवाही करनी होगी। केवल कुछ Lesseeों के विरुद्ध बेदखली की डिक्री प्राप्त कर वह सभी Lesseeों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर सकेगा। यदि लीज़ सम्पत्ति तक अतिचारों के कब्जे में है तथा Lessee ने अतिचारों के कब्जे की सूचना Lessor को देकर अपनी Lesseeी का परित्याग कर दिया तो लीज़कतां Lessee से क्षतिपूर्ति नहीं प्राप्त कर सकेगा।

    यदि Lessee Lessor को नोटिस देकर अभिव्यक्त समर्पण द्वारा पट्टे का पर्यवसान करता है तो Lessor इस आधार पर सम्पत्ति का कब्जा ग्रहण करने से इन्कार नहीं कर सकेगा कि कब्जा के पुनः हस्तान्तरण से पूर्व उसे क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाना चाहिए।

    यदि लीज़ विलेख में यह प्रावधान किया गया है कि लीज़ के समापन पर Lessor, Lessee लीज़ सम्पत्ति पर निर्मित भवन को क्रय कर लेगा तो विभिन्न मानकों को ध्यान में रख कर भवन का मूल्य सुनिश्चित किया जाएगा। यदि वह भवन एक सिनेमाहाल है तो उसके लिए किसी विशेष मूल्य की मांग नहीं की जा सकेगी।

    यदि पट्टे की अवधि के दौरान Lessee ने किसी भूमि पर अतिक्रमण किया था तो पट्टे के पर्यवसान के पश्चात् Lessee उक्त अतिक्रमित भूमि को Lessor को हस्तगत करने के दायित्वाधीन होगा।

    पट्टे की अवधि के दौरान Lessee का यह कर्तव्य है कि वह लीज़ सम्पत्ति की सीमाओं को सुरक्षित रखे तथा अपनी अन्य सम्पत्ति की सीमाओं में उसे सम्मिलित न करे। यदि Lessee को उपेक्षा या उदासीनता के कारण लीज़ सम्पत्ति किसी अन्य सम्पत्ति में सम्मिलित हो जाती है तो यह Lessor को प्रतिकर अदा करने के दायित्वाधीन होगा उस सम्पत्ति का एक भाग उसे हस्तगत कर जिसमें वह सम्पत्ति विलीन हुई थी उसे वार्षिक मूल्य के बराबर। यदि Lessee इस बात पर जोर देता है कि लीज़ संविदा में यह उपबन्ध था जिसके अन्तर्गत लीज़ के पर्यवसान के उपरान्त भी लीज़ सम्पत्ति का कब्जा उसके (Lessee) के पास रहेगा तो इस तथ्य को साबित करने का दायित्व Lessee पर होगा।

    सर्वोपरि हक धारक द्वारा बेदखली- यदि Lessee सर्वोपरि हक धारक द्वारा सम्पत्ति से बेदखल किया जाता है तो वह इस प्रकार पट्टे के समापन या पर्यवसान के पश्चात् लीज़ सम्पत्ति का कब्जा Lessee, Lessor को हस्तान्तरित करने के दायित्याधीन नहीं है। इस उपबन्ध के अन्तर्गत सर्वोपरि हक धारक द्वारा बेदखली क्या है? क्या इससे अभिप्रेत है Lessee का वास्तविक रूप में सम्पत्ति से हटाया जाना एक ऐसे व्यक्ति द्वारा जो Lessor से श्रेष्ठ हक का दावा करता है।

    वासुदेव के वाद में उच्चतम कोर्ट ने उन शर्तों को प्रतिपादित किया है जिनसे निष्काषन का गठन होगा और इसके फलस्वरूप Lessee Lessor को सम्पत्ति का कब्जा प्रदान करने के दायि से मुक्त हो जाएगा। वे शर्तें हैं-

    बेदखल करने वाले पक्षकार को लीज़ सम्पत्ति में बेहतर एवं वर्तमान हक प्राप्त है।

    Lessee ने सम्पत्ति का त्याग कर दिया हो या अपनी इच्छा के विरुद्ध सर्वोपरि हक धारक के पक्ष में प्रत्यक्षतः अभिधार कर दिया हो।

    या तो भू-स्वामी इच्छुक हो या ऐसे Lessee द्वारा ऐसे प्रत्यक्ष अभिधार के लिए सहमति दिया हो सर्वोपरि हक धारक ने या कोई घटना घटित हुई हो जैसे विधि में परिवर्तन या सक्षम कोर्ट द्वारा कोई डिको पारित हुई हो, जिसने Lessor को सहमति को आवश्यकता को समाप्त कर दिया हो या Lessor की इच्छा के औचित्य को समाप्त कर दिया हो।

    दूसरे शब्दों में सर्वोपरि हक धारक निष्कापन हेतु ऐसी विधिक प्रक्रियाओं से संसक्त हो जिसका विधितः प्रतिरोध न किया जा सके। सर्वोपरि हक धारक द्वारा निष्कासन के विरुद्ध बचाव वहाँ भी लिया जा सकेगा जहाँ वास्तविक निष्कासन या बेदखली हो ही नहीं, पर निष्कासन का वास्तविक भय हो।

    सर्वोपरि हक द्वारा निष्कासन तथा साबित करने का भार-

    सर्वोपरि हकधारक द्वारा बेदखल किए जाने तथा इस बिन्दु को उठाने एवं पुष्टि करने का भार जिससे सुस्पष्ट हो सके कि सर्वोपरि हक धारक द्वारा बेदखल किया जाना निश्चित है, उस व्यक्ति पर होता है जो इस प्रकार के बचाव को प्रस्तुत करता है।

    Next Story