मतदाता सूची के लिए Ordinary Residence पर कानूनी प्रावधान
Shadab Salim
27 Aug 2025 9:35 AM IST

The Representation Of The People Act, 1950 की धारा 20 विशेष रूप से मतदाता पंजीकरण के लिए Ordinary Residence की परिभाषा और शर्तों को स्पष्ट करती है। यह धारा मतदाता सूची में पंजीकरण के लिए पात्रता का एक महत्वपूर्ण पहलू निर्धारित करती है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत वयस्क मताधिकार के सिद्धांत को लागू करने में मदद करती है। धारा 20 यह परिभाषित करती है कि 'सामान्य निवास' का क्या अर्थ है और यह मतदाता पंजीकरण के लिए कैसे लागू होता है। इसके अनुसार, कोई व्यक्ति उस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार है, जहां वह सामान्य रूप से निवास करता हो। धारा 20(1) स्पष्ट करती है कि कोई व्यक्ति सामान्य रूप से निवासी माना जाएगा यदि वह उस स्थान पर नियमित रूप से रहता है, भले ही वह अस्थायी रूप से अनुपस्थित हो।
धारा 20(3) में कुछ विशेष श्रेणियों, जैसे सशस्त्र बलों के सदस्य, सरकारी कर्मचारी, और उनके परिवारों के लिए विशेष प्रावधान हैं, जो उनकी ड्यूटी के कारण अस्थायी रूप से अन्यत्र रह सकते हैं। धारा 20(8) में उन व्यक्तियों के लिए प्रावधान है जो विदेश में रहते हैं लेकिन भारत में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहते हैं, बशर्ते उनका पासपोर्ट भारतीय हो और वे भारत में अपने सामान्य निवास को बनाए रखें।
धारा 20 का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वही व्यक्ति किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान करें, जिनका उस क्षेत्र से वास्तविक और स्थायी संबंध हो। यह धारा 19 के साथ मिलकर काम करती है, जो मतदाता पंजीकरण के लिए आयु और सामान्य निवास की शर्तें निर्धारित करती है। यह दोहरे पंजीकरण को रोकने में भी सहायता करती है, जो धारा 17 और 18 के तहत निषिद्ध है। चुनाव आयोग की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य निवास की सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए आधार लिंकिंग और डिजिटल टूल्स का उपयोग किया गया, जिससे मतदाता सूचियों की शुद्धता में सुधार हुआ। यह धारा विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों, सैन्य कर्मियों, और एनआरआई के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके मताधिकार को सुरक्षित रखती है।
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 20 के प्रावधानों की व्याख्या कई महत्वपूर्ण मामलों में की है। कुलदीप नायर बनाम भारत संघ' के मामले में कोर्ट ने राज्यसभा चुनावों के संदर्भ में 'सामान्य निवास' की अवधारणा पर चर्चा की। हालांकि यह मामला मुख्य रूप से खुले मतदान से संबंधित था, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सामान्य निवास का निर्धारण व्यक्ति के वास्तविक निवास और उस क्षेत्र से संबंध के आधार पर होना चाहिए। एक अन्य महत्वपूर्ण मामले, 'शशि भूषण बनाम भारत संघ में, कोर्ट ने धारा 20(3) के तहत सशस्त्र बलों के सदस्यों के लिए विशेष प्रावधानों की पुष्टि की, जिसमें कहा गया कि उनकी ड्यूटी के कारण अस्थायी अनुपस्थिति उनके मतदाता पंजीकरण को प्रभावित नहीं करती।
लिली थॉमस बनाम भारत संघ में कहा गया कि हालांकि मुख्य रूप से धारा 8(4) पर केंद्रित, कोर्ट ने अप्रत्यक्ष रूप से सामान्य निवास की शर्तों पर टिप्पणी की, विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए जो अयोग्य घोषित किए गए हों। कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची में पंजीकरण केवल योग्य व्यक्तियों तक सीमित होना चाहिए, जो धारा 20 के अनुरूप है।
हाई कोर्ट ने भी धारा 20 की व्याख्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के 'रूप लाल मेहता बनाम धन सिंह मामले में, कोर्ट ने सामान्य निवास के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पर जोर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि कुछ मतदाताओं का पंजीकरण गलत था क्योंकि वे उस निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य रूप से निवासी नहीं थे। कोर्ट ने निर्णय दिया कि निवास का प्रमाण पत्र निर्वाचन अधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए।
मद्रास हाई कोर्ट ने 2023 में एक मामले में स्थानीय निकाय चुनावों में मतदाता सूचियों की शुद्धता पर टिप्पणी की, जहां धारा 20 के तहत सामान्य निवास की परिभाषा को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि निवास का निर्धारण तथ्यात्मक साक्ष्य के आधार पर होना चाहिए, न कि केवल दस्तावेजी प्रमाण पर। एक अन्य मामले में अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका पर विचार किया, जहां सामान्य निवास के आधार पर मतदाता पंजीकरण को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह धारा 20 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करे।
धारा 20 के लागू होने में कुछ चुनौतियाँ हैं, जैसे प्रवासी श्रमिकों और बेघर व्यक्तियों का पंजीकरण। 2024 में, चुनाव आयोग ने 'नो वोटर लेफ्ट बिहाइंड' अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य इन समूहों को मतदाता सूची में शामिल करना था। इसके अलावा, एनआरआई मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक मतदान की मांग बढ़ रही है, जो धारा 20(8) के प्रावधानों को और मजबूत कर सकती है। डिजिटल सत्यापन और आधार लिंकिंग ने सामान्य निवास के सत्यापन को आसान बनाया है, लेकिन गोपनीयता संबंधी चिंताएँ भी सामने आई हैं।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 20 मतदाता पंजीकरण की आधारशिला है, जो सामान्य निवास की परिभाषा को स्पष्ट करके निर्वाचन प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखती है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्णयों ने इस धारा को और मज़बूत किया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि केवल योग्य व्यक्ति ही मतदान करें। भविष्य में, डिजिटल टेक्नोलॉजी और नीतिगत सुधार इस धारा के प्रभावी कार्यान्वयन को और बढ़ाएंगे।

