भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 की धारा 68 और 69 के अनुसार गलत तारीख वाले दस्तावेजों और अवैध स्टांप बिक्री पर कानूनी प्रावधान
Himanshu Mishra
20 March 2025 11:31 AM

भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) एक महत्वपूर्ण कानून है जो विभिन्न वित्तीय लेनदेन (Financial Transactions) और कानूनी दस्तावेजों (Legal Documents) पर स्टांप शुल्क (Stamp Duty) के भुगतान को नियंत्रित करता है।
इस कानून का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी अनुबंध (Agreement), विनिमय बिल (Bill of Exchange), प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) और अन्य दस्तावेज सही ढंग से स्टांप किए जाएं ताकि सरकार को राजस्व (Revenue) की हानि न हो।
पिछली धाराओं में, हमने कई अपराधों के बारे में चर्चा की है, जैसे कि बिना स्टांप वाले दस्तावेज़ निष्पादित करना (Section 62), एडहेसिव स्टांप (Adhesive Stamp) को रद्द करने में विफलता (Section 63), और स्टांप शुल्क से बचने के लिए दस्तावेज़ में गलत जानकारी देना (Section 64)।
अब, धारा 68 और धारा 69 दो विशिष्ट मामलों से संबंधित हैं—
1. धारा 68: वित्तीय दस्तावेज़ों को जानबूझकर बाद की तारीख (Post-Dating) में बनाने और अन्य धोखाधड़ी करने वालों को दंडित करता है।
2. धारा 69: स्टांप बेचने के नियमों के उल्लंघन और अवैध रूप से स्टांप बेचने पर दंड का प्रावधान करता है।
इस लेख में, हम इन दोनों धाराओं को विस्तार से समझेंगे, इनसे जुड़े अपराधों की प्रकृति को जानेंगे और व्यावहारिक उदाहरणों के साथ इनके प्रभावों को देखेंगे।
धारा 68: बिल को जानबूझकर बाद की तारीख में बनाना और अन्य राजस्व धोखाधड़ी (Post-Dating of Bills and Other Revenue Frauds)
पोस्ट-डेटिंग (Post-Dating) क्या है और यह क्यों की जाती है?
पोस्ट-डेटिंग का मतलब है कि जब कोई व्यक्ति किसी वित्तीय दस्तावेज़ (Financial Document) जैसे कि विनिमय बिल (Bill of Exchange) या प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) को तैयार करता है, लेकिन उस पर वास्तविक तिथि (Actual Date) के बजाय एक बाद की तारीख लिखता है।
कई बार, पोस्ट-डेटिंग वैध कारणों से की जाती है, जैसे कि भुगतान (Payment) के लिए समय देने के लिए। लेकिन जब यह केवल स्टांप शुल्क से बचने के लिए किया जाता है, तो यह एक अपराध बन जाता है।
धारा 68 के तहत अपराध (Offenses under Section 68)
इस धारा में तीन मुख्य अपराध शामिल हैं:
1. जानबूझकर बाद की तारीख में बिल या प्रोमिसरी नोट बनाना
यदि कोई व्यक्ति सरकार को स्टांप शुल्क से वंचित (Evade) करने के इरादे से किसी विनिमय बिल या प्रोमिसरी नोट पर वास्तविक तारीख के बजाय बाद की तारीख डालता है, तो यह अपराध माना जाएगा।
2. गलत तारीख वाले दस्तावेज़ का उपयोग करना
यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी कि दस्तावेज़ की तारीख बदली गई है, फिर भी उसे हस्तांतरित (Transfer), स्वीकार (Accept), भुगतान (Payment) या विनिमय (Negotiate) करता है, तो वह भी इस अपराध में दोषी होगा।
3. अन्य धोखाधड़ी के तरीके अपनाना
यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य तरीके से स्टांप शुल्क से बचने की कोशिश करता है और यह किसी अन्य कानून में निर्दिष्ट नहीं है, तो वह भी इस धारा के तहत दंडित किया जा सकता है।
धारा 68 के तहत दंड (Penalty under Section 68)
यदि कोई व्यक्ति इस अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसे ₹1,000 तक का जुर्माना (Fine) भरना पड़ सकता है। भले ही यह राशि आज के संदर्भ में छोटी लगे, लेकिन यह धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।
उदाहरण (Illustration)
मान लीजिए कि राहुल, एक व्यापारी, 1 मार्च 2025 को एक प्रोमिसरी नोट जारी करता है, लेकिन उस पर जानबूझकर 15 मार्च 2025 की तारीख डालता है ताकि स्टांप शुल्क बाद में दे सके। बाद में, उसका दोस्त अमित, जो इस हेराफेरी के बारे में जानता है, उस नोट को किसी तीसरे व्यक्ति को हस्तांतरित कर देता है। इस मामले में, राहुल और अमित दोनों पर धारा 68 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
धारा 69: स्टांप बेचने के नियमों का उल्लंघन और अनधिकृत बिक्री (Unauthorized Sale of Stamps and Violation of Rules)
स्टांप बिक्री के लिए प्राधिकृत विक्रेताओं (Authorized Vendors) का महत्व
सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्टांप शुल्क प्रणाली सुरक्षित और विश्वसनीय बनी रहे, केवल अधिकृत विक्रेताओं (Authorized Vendors) को ही स्टांप बेचने की अनुमति देती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जो स्टांप उपयोग किए जा रहे हैं, वे प्रामाणिक (Genuine) और सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
धारा 69 के तहत अपराध (Offenses under Section 69)
इस धारा के अंतर्गत दो अपराध आते हैं:
1. स्टांप बेचने के नियमों का उल्लंघन
यदि कोई व्यक्ति जिसे सरकार द्वारा स्टांप बेचने के लिए अधिकृत किया गया है, वह सरकार द्वारा बनाए गए नियमों (Section 74) का पालन नहीं करता है, तो उसे इस धारा के तहत दोषी माना जाएगा।
2. अनधिकृत रूप से स्टांप बेचना
यदि कोई व्यक्ति जिसे सरकार ने स्टांप बेचने की अनुमति नहीं दी है, वह फिर भी स्टांप बेचता है या बिक्री के लिए पेश करता है, तो यह एक अपराध है। हालांकि, छोटे मूल्य के एडहेसिव स्टांप (Adhesive Stamps), जैसे दस नए पैसे (Ten Naye Paise) या पांच नए पैसे (Five Naye Paise) के स्टांप, को इस नियम से छूट दी गई है।
धारा 69 के तहत दंड (Penalty under Section 69)
इस धारा के उल्लंघन पर व्यक्ति को:
• छह महीने तक की कैद (Imprisonment up to 6 months),
• ₹500 तक का जुर्माना (Fine up to ₹500), या
• दोनों (Both imprisonment and fine) हो सकते हैं।
उदाहरण (Illustration)
मान लीजिए कि विक्रम, जो सरकार द्वारा अधिकृत विक्रेता नहीं है, फिर भी अदालत के बाहर गैर-न्यायिक स्टांप (Non-Judicial Stamps) बेचता है। एक वकील उससे एक स्टांप खरीदता है और बाद में उसे पता चलता है कि यह स्टांप नकली (Counterfeit) है। इस स्थिति में, विक्रम पर धारा 69 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, और यदि वकील को अनधिकृत विक्रेता से खरीदने का ज्ञान था, तो उसे भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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धारा 68 और धारा 69 के बीच अंतर (Difference Between Section 68 and Section 69)
विशेषता (Aspect) धारा 68 (Section 68) धारा 69 (Section 69)
अपराध का प्रकार (Type of Offense) जानबूझकर गलत तारीख डालना और अन्य धोखाधड़ी स्टांप बेचने के नियमों का उल्लंघन और अनधिकृत बिक्री
दोषी कौन हो सकता है? (Who Can Be Guilty?) कोई भी व्यक्ति जो पोस्ट-डेटिंग करता है या इसका समर्थन करता है अधिकृत विक्रेता जो नियमों का पालन नहीं करता या कोई अनधिकृत विक्रेता
दंड (Penalty) ₹1,000 तक का जुर्माना छह महीने तक की कैद, ₹500 तक का जुर्माना, या दोनों
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भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 68 और धारा 69 सरकार के राजस्व की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। ये धाराएँ यह सुनिश्चित करती हैं कि:
• सभी वित्तीय दस्तावेज़ सही ढंग से दिनांकित और स्टांप किए जाएं।
• केवल अधिकृत विक्रेता ही स्टांप बेचें, जिससे नकली स्टांप की बिक्री रोकी जा सके।
इन नियमों का पालन करके, हम कानूनी विवादों (Legal Disputes) से बच सकते हैं और भारत की वित्तीय और कानूनी प्रणाली को मजबूत बना सकते हैं।