नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाने और उससे जुड़े उपकरण रखने पर कानून: भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 348

Himanshu Mishra

13 Jan 2025 9:32 PM IST

  • नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाने और उससे जुड़े उपकरण रखने पर कानून: भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 348

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) में प्रॉपर्टी मार्क्स (Property Marks) को लेकर ठगी और जालसाजी को रोकने के लिए सख्त प्रावधान दिए गए हैं।

    जहां धारा 345 से 347 तक प्रॉपर्टी मार्क्स के गलत उपयोग, छेड़छाड़, और नकली मार्क बनाने से जुड़े अपराधों को परिभाषित किया गया है, वहीं धारा 348 विशेष रूप से उन उपकरणों और औजारों को निशाना बनाती है जो इन अपराधों को अंजाम देने के लिए बनाए जाते हैं।

    यह प्रावधान इस अपराध के जड़ तक पहुंचने और इसे शुरू होने से पहले रोकने के लिए बनाया गया है।

    यह लेख धारा 348 का विस्तार से विश्लेषण करता है, इसके दायरे, प्रभाव और उदाहरणों को सरल हिंदी में समझाता है। साथ ही, इसे पहले की धाराओं के साथ जोड़कर समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

    धारा 348: उद्देश्य और दायरा

    धारा 348 दो मुख्य प्रकार की गतिविधियों को अपराध मानती है:

    1. नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाने के लिए उपकरण तैयार करना: जैसे डाई, प्लेट (Plate), या अन्य उपकरण जो नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाने के लिए बनाए जाते हैं।

    2. ऐसे उपकरणों या नकली प्रॉपर्टी मार्क को रखना: इन्हें रखने का उद्देश्य केवल धोखाधड़ी करना है।

    इस प्रावधान में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है इरादा (Intent)। जब तक यह साबित नहीं होता कि उपकरण बनाने या रखने का उद्देश्य नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाना था, तब तक यह अपराध सिद्ध नहीं होता।

    धारा 348 के तहत सजा

    धारा 348 के तहत निम्नलिखित दंड दिए जा सकते हैं:

    • तीन साल तक की जेल, जो साधारण या कठोर (Simple or Rigorous) हो सकती है।

    • जुर्माना।

    • जेल और जुर्माना, दोनों।

    यह प्रावधान इस बात पर जोर देता है कि नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाने की प्रक्रिया को जड़ से खत्म करना जरूरी है।

    पिछली धाराओं से संबंध

    धारा 348 का सीधा संबंध धारा 345, 346 और 347 से है:

    1. धारा 345 प्रॉपर्टी मार्क को परिभाषित करती है और नकली प्रॉपर्टी मार्क का उपयोग करने पर दंड देती है।

    2. धारा 346 प्रॉपर्टी मार्क में छेड़छाड़ जैसे उसे हटाना, खराब करना, या बदलने से जुड़े अपराधों को संबोधित करती है।

    3. धारा 347 नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाने को अपराध मानती है।

    जहां धारा 347 नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाने के कृत्य को दंडित करती है, वहीं धारा 348 उन उपकरणों पर ध्यान देती है जो इस अपराध को अंजाम देने में मदद करते हैं।

    नकली उपकरणों को निशाना बनाने का महत्व

    जालसाजी (Counterfeiting) आमतौर पर एक संगठित प्रक्रिया होती है जिसमें विशेष उपकरणों और औजारों का उपयोग किया जाता है। धारा 348 इन उपकरणों को अपराध का मुख्य स्रोत मानकर कार्रवाई करती है।

    उदाहरण के लिए, अगर किसी प्रसिद्ध ब्रांड का लोगो (Logo) बनाने के लिए डाई बनाई जाती है, तो इससे बड़ी मात्रा में नकली उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। ऐसे मामलों में उपकरणों को जब्त कर प्रक्रिया को रोकना बेहद जरूरी हो जाता है।

    धारा 348 के उदाहरण

    उदाहरण 1: नकली उपकरण बनाना

    मान लीजिए, कोई व्यक्ति एक मेटल डाई (Metal Die) बनाता है जो किसी प्रसिद्ध इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड के लोगो की नकल करती है। इस डाई का उपयोग नकली लोगो वाले उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। यह धारा 348 के तहत अपराध है क्योंकि व्यक्ति ने नकली प्रॉपर्टी मार्क बनाने का उपकरण तैयार किया।

    उदाहरण 2: उपकरण रखना

    एक गोदाम में ऐसे कई प्लेट (Plates) और स्टैम्प (Stamps) पाए जाते हैं जो किसी ऑर्गेनिक फूड अथॉरिटी (Organic Food Authority) के सर्टिफिकेशन मार्क की नकल करते हैं। इनका उद्देश्य गैर-ऑर्गेनिक उत्पादों को ऑर्गेनिक दिखाना है। उपकरणों का उपयोग भले ही न हुआ हो, लेकिन धोखाधड़ी के इरादे से इन्हें रखना भी धारा 348 के तहत अपराध है।

    सार्वजनिक और व्यावसायिक हितों से संबंध

    नकली उपकरण बनाने और रखने पर प्रतिबंध से कई हितों की रक्षा होती है:

    1. उपभोक्ता संरक्षण (Consumer Protection): नकली उत्पाद अक्सर ग्राहकों को धोखा देते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बनते हैं।

    2. व्यावसायिक ईमानदारी (Business Integrity): नकली उत्पादों से असली कंपनियों को आर्थिक और प्रतिष्ठात्मक नुकसान होता है।

    3. आर्थिक प्रभाव (Economic Impact): जालसाजी से बाजार का विश्वास टूटता है और कर चोरी होती है।

    सरकारी और सार्वजनिक निशानों की सुरक्षा

    धारा 348 का दायरा निजी व्यापार से आगे बढ़कर सरकारी निशानों और प्रमाणपत्रों (Certificates) तक पहुंचता है-

    1. सरकारी प्रमाणपत्र (Government Certifications): जैसे BIS (Bureau of Indian Standards) प्रमाणन की नकली मुहरें बनाना।

    2. कस्टम और एक्साइज मार्क्स (Custom and Excise Marks): कस्टम या एक्साइज निशानों की नकल करने के उपकरण रखना गंभीर अपराध है।

    आधुनिक तकनीकों से चुनौतियां

    आज के युग में तकनीक ने नकली उपकरण बनाने को और आसान बना दिया है-

    1. 3डी प्रिंटिंग (3D Printing): नकली प्रॉपर्टी मार्क्स बनाने के उपकरण अब 3डी प्रिंटर से आसानी से बनाए जा सकते हैं।

    2. डिजिटल जालसाजी (Digital Counterfeiting): सॉफ्टवेयर-आधारित उपकरणों का उपयोग कर QR कोड या होलोग्राम (Hologram) जैसे डिजिटल प्रॉपर्टी मार्क्स की नकल की जा सकती है।

    अंतरराष्ट्रीय कानूनों से तुलना

    कई देशों में नकली उपकरणों को लेकर इसी तरह के प्रावधान हैं:

    1. संयुक्त राज्य अमेरिका (United States): Lanham Act नकली ट्रेडमार्क और उपकरणों के उपयोग और कब्जे पर प्रतिबंध लगाता है।

    2. यूरोपीय संघ (European Union): EU Intellectual Property Rights Enforcement Directive नकली उपकरणों के निर्माण और कब्जे को संबोधित करता है।

    भारत की धारा 348 इन वैश्विक मानकों के साथ मेल खाती है और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 348 नकली प्रॉपर्टी मार्क्स बनाने के लिए उपकरणों के निर्माण और कब्जे को अपराध मानकर एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार करती है। यह प्रावधान न केवल अपराधियों को रोकता है बल्कि बाजार और उपभोक्ताओं के विश्वास को भी बनाए रखता है।

    धारा 348, धारा 345 से 347 के साथ मिलकर नकली प्रॉपर्टी मार्क्स से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है। इसका सक्रिय रुख संभावित अपराधियों को हतोत्साहित करता है और व्यावसायिक और सार्वजनिक प्रणालियों में भरोसा बढ़ाता है।

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