क्या कर्मचारी का स्थानांतरण करना उसका अधिकार है या प्रशासनिक विवेक का हिस्सा? न्यायालय का दृष्टिकोण
Himanshu Mishra
24 Jan 2025 12:16 PM

सुप्रीम कोर्ट ने एसके नौशाद रहमान बनाम भारत संघ मामले में सेवा कानून (Service Law) के जटिल पहलुओं पर विचार किया।
इस मामले में मुख्य रूप से यह सवाल उठा कि क्या Recruitment Rules, 2016 (RR 2016) में प्रावधानों की अनुपस्थिति को प्रशासनिक निर्देशों (Administrative Instructions) से पूरा किया जा सकता है और क्या संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार, जैसे समानता और गरिमा, सेवा शर्तों (Service Conditions) को प्रभावित करते हैं।
संवैधानिक और कानूनी ढांचा (Constitutional and Legal Framework)
यह विवाद संविधान के अनुच्छेद 309 (Article 309) के तहत बनाए गए नियमों पर आधारित था। Recruitment Rules, 2002 (RR 2002) में अंतर आयुक्तालय स्थानांतरण (Inter-Commissionerate Transfers या ICTs) का स्पष्ट प्रावधान था, जो प्रमुख आयुक्त (Chief Commissioner) को विशेष परिस्थितियों में अन्य आयुक्तालयों से अधिकारियों को नियुक्त करने का अधिकार देता था।
लेकिन RR 2016 में इस प्रावधान को हटा दिया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि प्रत्येक कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी (Cadre Controlling Authority या CCA) का अलग कैडर होगा, जब तक कि CBIC (Central Board of Indirect Taxes and Customs) कुछ और निर्देश न दे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 309 के तहत बनाए गए नियम प्रशासनिक निर्देशों पर प्राथमिकता रखते हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक निर्देश नियमों की खामियों को पूरा कर सकते हैं, लेकिन वे नियमों के खिलाफ नहीं हो सकते। यह सिद्धांत Union of India बनाम Somasundaram Viswanath (1989) और State of Orissa बनाम Prasanna Kumar Sahoo (2007) जैसे मामलों में भी लागू किया गया है।
मौलिक अधिकार और नीतिगत विचार (Fundamental Rights and Policy Considerations)
कोर्ट ने यह भी जांचा कि RR 2016 में ICTs के प्रावधानों की अनुपस्थिति संविधान के अनुच्छेद 14 (Equality), 15 (Non-discrimination), और 21 (Right to Life and Dignity) का उल्लंघन करती है या नहीं। कोर्ट ने माना कि राज्य को नीतियां बनाते समय संवैधानिक मूल्यों, जैसे समानता और परिवार के जीवन के अधिकार, को बनाए रखना चाहिए।
Bank of India बनाम जगजीत सिंह मेहता (1992) और Union of India बनाम एसएल अब्बास (1993) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक आवश्यकताओं (Administrative Needs) के कारण कर्मचारियों की सुविधा पर हमेशा विचार करना संभव नहीं है। हालांकि, नीति बनाते समय कर्मचारियों, विशेष रूप से विवाहित दंपत्तियों (Spouses) और दिव्यांग व्यक्तियों (Disabled Persons) की सुविधाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
नीतिगत मामलों में न्यायिक समीक्षा (Judicial Review of Policy Matters)
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायालय नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता लेकिन यह सुनिश्चित कर सकता है कि नीतियां संविधान के अनुरूप हों। यह सिद्धांत TMA Pai Foundation बनाम कर्नाटक राज्य (2002) जैसे मामलों में भी लागू किया गया है।
कैडर की परिभाषा और प्रशासनिक सीमाएं (Definition of Cadre and Administrative Limitations)
कैडर की अवधारणा इस मामले में एक महत्वपूर्ण मुद्दा थी। JS Yadav बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2011) और Jarnail Singh बनाम लक्ष्मी नारायण गुप्ता (2022) जैसे मामलों का उल्लेख करते हुए, कोर्ट ने कहा कि कैडर विशिष्ट प्रशासनिक इकाइयों (Administrative Units) का प्रतिनिधित्व करता है। RR 2016 में ICTs का प्रावधान न होने का उद्देश्य कैडर संरचना (Cadre Structure) को बनाए रखना है।
DoPT निर्देश और भर्ती नियमों का आपसी संबंध (Interplay Between DoPT Instructions and Recruitment Rules)
अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया कि Department of Personnel and Training (DoPT) द्वारा जारी निर्देश ICTs का मार्गदर्शन कर सकते हैं। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि प्रशासनिक निर्देश उन नियमों पर प्राथमिकता नहीं ले सकते जो अनुच्छेद 309 के तहत बनाए गए हैं।
प्रशासनिक और व्यक्तिगत हितों का संतुलन (Balancing Administrative and Individual Interests)
कोर्ट ने प्रशासनिक आवश्यकता और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखा। कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए CBIC को निर्देश दिया कि वह दयालुता और विवाहित दंपत्तियों के आधार पर ICT नीतियों पर पुनर्विचार करे।
एसके नौशाद रहमान मामला सेवा कानून में एक महत्वपूर्ण मिसाल है। यह निर्णय न केवल यह स्थापित करता है कि संवैधानिक मूल्यों को नीतियों में शामिल किया जाना चाहिए बल्कि यह भी दिखाता है कि न्यायपालिका प्रशासनिक ढांचे और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन सुनिश्चित कर सकती है। यह मामला भविष्य की नीति-निर्माण प्रक्रिया के लिए एक मानक स्थापित करता है।