क्या POCSO मामलों में सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति कानूनी अधिकार है या सिर्फ एक सलाह?

Himanshu Mishra

2 July 2025 5:26 PM IST

  • क्या POCSO मामलों में सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति कानूनी अधिकार है या सिर्फ एक सलाह?

    POCSO कानून के तहत बाल संरक्षण की व्यवस्था (Child Protection Framework under POCSO)

    POCSO अधिनियम, 2012 (Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012) बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया एक विशेष कानून है। इसका उद्देश्य बच्चों के लिए संवेदनशील और सुरक्षित कानूनी प्रक्रिया (Child-Friendly Legal Framework) सुनिश्चित करना है।

    इस कानून में न केवल विशेष न्यायालय (Special Courts) की व्यवस्था की गई है बल्कि पीड़ित बच्चों को न्याय प्रक्रिया में सहयोग देने के लिए सपोर्ट पर्सन (Support Person) की भूमिका भी निर्धारित की गई है। यह सहायक व्यक्ति (Support Person) न केवल कानूनी प्रक्रिया में मदद करता है बल्कि बच्चे की मानसिक और भावनात्मक स्थिति को भी संभालता है।

    POCSO नियम 2020 में सपोर्ट पर्सन की भूमिका (Role of Support Person under POCSO Rules, 2020)

    POCSO नियमों (Rules) के अनुसार, सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (Child Welfare Committee – CWC) द्वारा की जाती है। यदि बच्चा या उसके परिवार को किसी अन्य व्यक्ति पर अधिक भरोसा हो, तो वे अपनी पसंद से भी सपोर्ट पर्सन चुन सकते हैं।

    यह व्यक्ति बच्चे को पुलिस जांच, अदालत में पेशी, और अन्य कानूनी कार्यवाही में सहयोग करता है। सपोर्ट पर्सन, एक प्रकार के गार्जियन एड लाइटम (Guardian ad Litem – अदालत द्वारा नियुक्त संरक्षक) के समान कार्य करता है जो बच्चे की भलाई को प्राथमिकता देता है।

    नियम 4 और 5 में कानूनी दायित्व (Legal Duties under Rules 4 and 5)

    नियम 4 के तहत सपोर्ट पर्सन यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे को पूरी जानकारी दी जाए, उसकी गोपनीयता (Confidentiality) बनी रहे और उसे भावनात्मक सहायता मिले।

    नियम 5 यह स्पष्ट करता है कि सपोर्ट पर्सन, दुभाषिया (Interpreter), सलाहकार (Expert), या अन्य पेशेवर (Professional) की तरह आवश्यक सहयोगी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि यह कोई विकल्प नहीं बल्कि एक कानूनी अनिवार्यता (Legal Entitlement) है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

    फॉर्म-A और पीड़ित के अधिकार (Form-A and Rights of the Victim)

    नियम 4(14) के अनुसार, हर पीड़ित बच्चे को Form-A दिया जाना चाहिए जिसमें उसे मिलने वाले अधिकारों की सूची होती है – जैसे मुफ्त कानूनी सहायता (Legal Aid), काउंसलिंग (Counseling), मेडिकल जांच (Medical Examination), और सपोर्ट पर्सन की उपलब्धता। कोर्ट ने कहा कि सपोर्ट पर्सन का अधिकार उतना ही अनिवार्य है जितना इन अन्य सेवाओं का। इस फॉर्म में यह भी लिखा होता है कि सपोर्ट पर्सन को किन-किन चरणों (Stages) में बच्चे के साथ होना चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट की मुख्य टिप्पणियां (Key Observations of the Supreme Court)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सपोर्ट पर्सन न्याय प्रक्रिया को बच्चों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने में बेहद जरूरी भूमिका निभाता है। FIR दर्ज होने से लेकर सुनवाई और पुनर्वास (Rehabilitation) तक, सपोर्ट पर्सन एक पुल का काम करता है जो बच्चे को कानूनी डर से बचाकर न्याय की ओर ले जाता है।

    कोर्ट ने कहा कि न्याय केवल आरोपी को सजा देने तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चे की गरिमा (Dignity), सुरक्षा (Safety), और आत्मविश्वास (Confidence) को भी बहाल करना न्याय का हिस्सा है।

    पुराने फैसलों से मिले संकेत (Comparative Insights from Past Judgments)

    कोर्ट ने Alarming Rise in Child Rape Cases, In re जैसे पुराने मामलों का हवाला दिया जिसमें सामने आया था कि केवल 4% POCSO मामलों में ही सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति हुई थी। कोर्ट ने कहा कि कानून में व्यवस्था होते हुए भी इसका सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है।

    POCSO अधिनियम की धारा 39 (Section 39) यह कहती है कि सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश (Guidelines) बनाए जाने चाहिए और नियम 12 (Rule 12) यह कहता है कि राष्ट्रीय और राज्य बाल अधिकार आयोग (NCPCR/SCPCR) को इसके अनुपालन की निगरानी करनी चाहिए।

    राज्य की जिम्मेदारी और व्यावहारिक चुनौतियाँ (Duties of State and Implementation Challenges)

    कोर्ट ने कहा कि कानून में स्पष्ट व्यवस्था होने के बावजूद सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति और प्रशिक्षण में राज्यों द्वारा समुचित कदम नहीं उठाए गए हैं। राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह District Child Protection Units के माध्यम से एक मजबूत प्रणाली बनाए, जिससे सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति, प्रशिक्षण और भुगतान सुनिश्चित हो सके। साथ ही, एक केंद्रीकृत डेटा बेस (Centralised Database) और मासिक निगरानी (Monthly Reporting) की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश (Directions Issued by Supreme Court)

    कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि महिला और बाल कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाएं और निम्नलिखित कार्य करें:

    • वर्तमान संसाधनों और ज़रूरतों का आकलन करें

    • CWC, JJB और NGO जैसे संबंधित पक्षों से सलाह लें

    • सपोर्ट पर्सन की योग्यता (Qualification), प्रशिक्षण (Training), और मानदेय (Honorarium) के लिए दिशानिर्देश तैयार करें

    • रिपोर्टिंग और सेवाओं के मूल्यांकन के लिए SOP (Standard Operating Procedure) बनाएं

    • मानदेय को पेशेवर स्तर के अनुसार बढ़ाएं, न कि इसे अकुशल श्रमिक (Unskilled Labor) के बराबर रखें

    व्यापक न्याय की परिभाषा (Justice as a Holistic Concept)

    कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सच्चा न्याय केवल आरोपी को सजा देने से नहीं होता, बल्कि पीड़ित बच्चे की पूरी देखभाल, पुनर्वास और सम्मान सुनिश्चित करना भी उसका हिस्सा है। बिना सपोर्ट पर्सन के, पीड़ित बच्चा खुद को न्याय प्रणाली में असहाय महसूस करता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि सपोर्ट पर्सन की भूमिका कानूनी रूप से मजबूत और संस्थागत रूप से संरक्षित हो।

    संस्थागत निगरानी और भविष्य की दिशा (Institutional Monitoring and Future Mandate)

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य और NCPCR को यह निर्देश दिया कि वे 4 अक्टूबर 2023 तक अनुपालन रिपोर्ट (Compliance Report) दाखिल करें। साथ ही यह निर्णय महिला और बाल विकास मंत्रालय, राज्य आयोगों और अन्य सभी संबंधित संस्थानों के साथ साझा किया जाए ताकि इसे पूरे देश में लागू किया जा सके। नियम 12 के अनुसार, इन संस्थाओं का यह कर्तव्य है कि वे प्रशिक्षण, जागरूकता अभियान और आवश्यक बुनियादी ढांचे की व्यवस्था करें।

    सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सपोर्ट पर्सन की नियुक्ति केवल एक सलाह नहीं है, बल्कि एक कानूनी अनिवार्यता है। यह पीड़ित बच्चे को न्याय प्रणाली से जोड़ने का संवेदनशील और अनिवार्य माध्यम है। राज्य सरकारों का यह दायित्व है कि वे इस व्यवस्था को प्रभावी, व्यावसायिक और संवेदनशील बनाएं। अब यह स्पष्ट है कि सपोर्ट पर्सन का अधिकार हर बच्चे का न्याय पाने के मौलिक अधिकार (Fundamental Right to Access to Justice) का हिस्सा है।

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