Indian Partnership Act, 1932, की धारा 48-50 : फर्म के विघटन के बाद खातों का निपटान और देनदारियों का भुगतान

Himanshu Mishra

14 July 2025 12:35 PM

  • Indian Partnership Act, 1932, की धारा 48-50 : फर्म के विघटन के बाद खातों का निपटान और देनदारियों का भुगतान

    भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (Indian Partnership Act, 1932) का यह खंड फर्म के विघटन (Dissolution of a Firm) के बाद के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक पर केंद्रित है: खातों का निपटान (Settlement of Accounts) और देनदारियों का भुगतान (Payment of Liabilities). यह सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय के समापन पर वित्तीय मामलों को एक व्यवस्थित और न्यायसंगत तरीके से संभाला जाए।

    भागीदारों के बीच खातों के निपटान का तरीका (Mode of Settlement of Accounts Between Partners)

    धारा 48 (Section 48) यह बताती है कि फर्म के विघटन के बाद खातों का निपटान करते समय, भागीदारों के बीच समझौते (Agreement) के अधीन, किन नियमों का पालन किया जाएगा:

    • (क) नुकसान की भरपाई (Covering Losses): घाटे (Losses), जिसमें पूंजी की कमी (Deficiencies of Capital) भी शामिल है, का भुगतान सबसे पहले मुनाफे (Profits) में से किया जाएगा। यदि मुनाफा पर्याप्त नहीं है, तो अगले चरण में पूंजी (Capital) में से भुगतान किया जाएगा। अंत में, यदि आवश्यक हो, तो भागीदारों द्वारा व्यक्तिगत रूप से उन अनुपातों (Proportions) में भुगतान किया जाएगा जिनमें वे मुनाफे को साझा करने के हकदार थे। यह नियम नुकसान को पूरा करने का एक स्पष्ट पदानुक्रम (Hierarchy) स्थापित करता है।

    • (ख) फर्म की संपत्ति का उपयोग (Application of Firm's Assets): फर्म की संपत्ति, जिसमें पूंजी की कमी को पूरा करने के लिए भागीदारों द्वारा योगदान की गई कोई भी राशि शामिल है, को निम्नलिखित तरीके और क्रम में उपयोग किया जाएगा:

    o (i) तीसरे पक्षों के ऋणों का भुगतान (Paying Debts to Third Parties): सबसे पहले, फर्म के तीसरे पक्षों (Third Parties) के सभी ऋणों और देनदारियों का भुगतान किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि बाहरी लेनदारों को प्राथमिकता मिले।

    o (ii) भागीदारों को अग्रिमों का भुगतान (Paying Advances to Partners): इसके बाद, प्रत्येक भागीदार को उस राशि का आनुपातिक (Rateably) भुगतान किया जाएगा जो उसे फर्म से अग्रिम (Advances) के लिए देय है, पूंजी के रूप में नहीं। ये वे ऋण होते हैं जो एक भागीदार ने फर्म को व्यवसाय के लिए दिए थे।

    o (iii) भागीदारों को पूंजी का भुगतान (Paying Capital to Partners): फिर, प्रत्येक भागीदार को उस राशि का आनुपातिक भुगतान किया जाएगा जो उसे पूंजी खाते (Account of Capital) पर देय है।

    o (iv) अवशिष्ट का वितरण (Distribution of Residue): यदि कोई अवशिष्ट (Residue) बचता है, तो उसे भागीदारों के बीच उन अनुपातों में विभाजित किया जाएगा जिनमें वे मुनाफे को साझा करने के हकदार थे। यह अंतिम चरण है जहां भागीदारों को उनके मूल निवेश और मुनाफे के अधिकारों के अनुसार शेष संपत्ति मिलती है।

    फर्म के ऋणों और अलग-अलग ऋणों का भुगतान (Payment of Firm Debts and of Separate Debts)

    की धारा 49 (Section 49) फर्म के संयुक्त ऋणों (Joint Debts) और किसी भागीदार के व्यक्तिगत (Separate) ऋणों के बीच भुगतान की प्राथमिकता को संबोधित करती है:

    जहां फर्म से देय संयुक्त ऋण (Joint Debts) हैं, और किसी भागीदार से देय अलग-अलग ऋण (Separate Debts) भी हैं, तो फर्म की संपत्ति का उपयोग सबसे पहले फर्म के ऋणों के भुगतान में किया जाएगा। यदि कोई अधिशेष (Surplus) बचता है, तो प्रत्येक भागीदार का हिस्सा उसके अलग-अलग ऋणों के भुगतान में उपयोग किया जाएगा या उसे भुगतान किया जाएगा।

    किसी भी भागीदार की अलग संपत्ति (Separate Property) का उपयोग सबसे पहले उसके अलग-अलग ऋणों के भुगतान में किया जाएगा, और अधिशेष (यदि कोई हो) का उपयोग फर्म के ऋणों के भुगतान में किया जाएगा। यह नियम व्यक्तिगत देनदारियों और फर्म की देनदारियों के बीच एक स्पष्ट अलगाव (Clear Segregation) प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि लेनदारों को भुगतान के लिए उचित स्रोत उपलब्ध हों।

    विघटन के बाद अर्जित व्यक्तिगत लाभ (Personal Profits Earned After Dissolution)

    की धारा 50 (Section 50) विघटन के बाद भागीदारों द्वारा अर्जित व्यक्तिगत लाभों से संबंधित है:

    भागीदारों के बीच अनुबंध के अधीन रहते हुए, धारा 16 (Section 16) के खंड (a) के प्रावधान किसी भी जीवित भागीदार (Surviving Partner) द्वारा या एक मृत भागीदार (Deceased Partner) के प्रतिनिधियों द्वारा किए गए लेन-देन पर लागू होंगे, जो फर्म के भागीदार की मृत्यु के कारण भंग होने के बाद और उसके मामलों के पूरी तरह से समाप्त होने से पहले किए गए हों। धारा 16 (a) यह कहती है कि यदि कोई भागीदार फर्म के किसी लेन-देन से या फर्म की संपत्ति या व्यावसायिक संबंध के उपयोग से अपने लिए कोई लाभ कमाता है, तो उसे उस लाभ का हिसाब देना होगा और उसे फर्म को भुगतान करना होगा।

    परंतु (Provided that), जहां किसी भागीदार या उसके प्रतिनिधि ने फर्म की सद्भावना (Goodwill) खरीदी है, इस धारा में कुछ भी फर्म के नाम का उपयोग करने के उसके अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि विघटन के बाद भी, यदि कुछ लेन-देन होते हैं जो फर्म की संपत्ति या कनेक्शन का उपयोग करते हैं, तो लाभ फर्म के लिए ही होना चाहिए, जब तक कि कोई स्पष्ट अपवाद न हो।

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