The Indian Contract Act में Free Concern तब बनती है जब उसमें Undue Influence नहीं हो
Shadab Salim
15 Aug 2025 5:23 PM IST

Undue Influence शब्द थोड़ा कठिन शब्द है परंतु किसी भी स्वतंत्र सहमति के लिए Undue Influence घातक होता है, इसे हिंदी में असम्यक असर कहा जाता है। कोई भी सहमति स्वतंत्र नहीं होती है यदि उसमें असम्यक असर का समावेश होता है। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 16 के अंतर्गत असम्यक असर को परिभाषित किया गया है।
यदि संविदा असम्यक असर से पीड़ित है तो पीड़ित पक्षकार के विकल्प पर शून्यकरणीय होगी। असम्यक असर की अवधारणा प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को कुछ बातें साबित करना होती।
संविदा के पक्षकारों की स्थिति आपसी संबंध के संदर्भ में इस प्रकार की है कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की मानसिक इच्छा को अधिसूचित करने की स्थिति में है उदाहरण के लिए यदि कोई मरीज किसी डॉक्टर से अपना इलाज करवा रहा है डॉक्टर की उसकी मानसिक इच्छा इस कारण अधिशासित कर रहा है कि वह उनका चिकित्सक होने के कारण उस पर प्रभाव रख रहा।
असम्यक असर के परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति प्रकाश में आती हो कि एक पक्षकार दूसरे पक्षकार से कोई अनुचित लाभ प्राप्त किया हो असम्यक असर का साधारण सा अर्थ यह है कि कोई भी ऐसा असर जो किसी आपसी संबंधों के आधार पर उत्पन्न होता है कोई संविदा उस स्थिति में असम्यक असर से प्रेरित कही जा सकती है जबकि पक्षकारों के आपसी संबंध इस प्रकार हो कि उनमें एक पक्षकार दूसरे पक्षकार की इच्छा को अधिशासी करने की स्थिति में हो और उसके परिणामस्वरूप अनुचित लाभ प्राप्त करता हो।
जो पक्षकार असम्यक असर के आधार पर संविदा को अविधिमान्य घोषित करना चाहता है उससे कोर्ट यह अपेक्षा करेगी कि वह निम्न दो बातों को भली प्रकार से साबित करें/क्या पक्षकारों के मध्य विधमान संबंध इस प्रकार के थे कि एक पक्षकार ने दूसरे पक्षकार की मानसिक इच्छा को अधिशासित किया था?
जो पक्षकार दूसरे पक्ष कार की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में है क्या उसने कोई अनुचित लाभ प्राप्त किया है?
जब तक उपरोक्त दोनों शर्ते साबित नहीं हो जाती तब तक असम्यक असर के आधार पर कोई संविदा निरस्त नहीं कराई जा सकती है।
श्रीमथि बनाम सुधाकर मरुकर ए आई आर 1998 बॉम्बे 122 के प्रकरण में कहा है कि जहां पक्षकार ने अपनी इच्छा स्वतंत्र रूप से संविदा की बाबत प्रस्तुत की है तो वहां असम्यक अस्त का मामला न होगा।
यह कहा जाता है कि स्वतंत्र सहमति संविदा की रीढ़ है। सम्मति असम्यक असर से प्रेरित है तो ऐसी स्थिति में अविधिमान्य हो जाएगी।
निम्न संबंधों के मध्य ऐसा अनुचित लाभ प्राप्त कर लिया जाता है तो असम्यक असर माना जाता है-
माता पिता और बच्चा
संरक्षक एवं प्रतिपाल्य के लिए
वकील एवं मुवक्किल
न्यास एवं लाभग्रहिता
आध्यात्मिक गुरु और शिष्य
डॉक्टर और मरीज
पति और पत्नी
लेनदार और ऋणी
समाज के इन सभी संबंध में असम्यक असर हो सकता है क्योंकि यह निकट के संबंध हैं। इन संबंध में अधिकांश असम्यक असर देखा जाता है। माता-पिता और बच्चों के बीच होने वाली संविदा में भी असम्यक असर होता है। पति पत्नी के बीच होने वाली संविदा में भी असम्यक असर होता है।
कभी-कभी आध्यात्मिक गुरु और शिष्य के बीच होने वाली संविदाओं में भी असम्यक असर होता है। वकील और मुवक्किल के बीच भी होने वाली संविदाओं में असम्यक असर हो सकता है। यह प्रमुख संबंधों का उल्लेख इसलिए किया गया है क्योंकि अमूमन इन्हीं संबंधों के मध्य में असम्यक असर जैसे प्रकरणों का विस्तार देखने को मिलता है।

