गवाहों का परीक्षण के लिए कमीशन कैसे निकाला जाता है?

Shadab Salim

7 Nov 2022 5:05 AM GMT

  • गवाहों का परीक्षण के लिए कमीशन कैसे निकाला जाता है?

    सामान्यतः साक्षियों की परीक्षा न्यायालय में मजिस्ट्रेट अथवा पीठासीन न्यायाधीश के निदेशन में और अभियुक्त की उपस्थिति में की जाती है। यह एक सामान्य प्रचलन अर्थात् परिपाटी है, लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती है कि साक्षी न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पाता है अथवा उपस्थित होने में विलंभ,व्यय, अथवा असुविधा होने की संभावना रहती है।

    इस कारण कमीशन जारी किए जाते हैं और कमीशन के सामने गवाहों का परीक्षण होता है। इस आलेख में कानून के इस ही प्रावधान पर चर्चा की जा रही है।

    इससे मामले का विचारण एवं निस्तारण त्वरित नहीं हो पाता अर्थात् उसमें अनावश्यक विलम्ब हो जाता है। ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 284 से 290 तक में साक्षियों की परीक्षा के लिए 'कमीशन' की व्यवस्था की गई है।

    कमीशन जारी किया जाना

    संहिता की धारा 284 में साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी किये जाने के बारे में प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार जहाँ किसी जाँच, विचारण या अन्य कार्यवाही में न्यायालय या मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत हो कि न्याय के उद्देश्यों के लिए किसी साक्षी की परीक्षा किया जाना आवश्यक है, लेकिन ऐसे साक्षी के न्यायालय में उपस्थित होने में-

    (i) विलम्ब,

    (ii) अत्यधिक व्यय, अथवा

    (iii) असुविधा, होने की संभावना है,

    यहाँ न्यायालय या मजिस्ट्रेट मामले की परिस्थितियों के अनुरूप ऐसे साक्षी को न्यायालय में उपस्थिति से अभिमुक्ति कर सकेगा एवं ऐसे साक्षी का साक्ष्य लेने तथा उसकी परीक्षा किये जाने के लिए कमीशन जारी कर सकेगा।

    इस प्रकार कमीशन जारी करना या नहीं करना न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है। मामले की परिस्थितियों के अनुरूप न्यायालय द्वारा कमीशन जारी किया जा सकेगा न ही की परीक्षा के लिए जारी कमीशन का व्यय अभियोजन पक्ष को वहन करना जिसमे-

    (i) प्लीडर की फीस एवं

    (i) अभियुक्त के व्यय सम्मिलित होंगे।

    कमीशन किसे जारी किया जाएगा

    संहिता की धारा 285 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि साक्षी उन राज्यक्षेत्रों के अन्दर है जिन पर इस संहिता का विस्तार है तो कमीशन यथास्थिति उस-

    (i) मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट या

    (i) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट

    को निर्दिष्ट होगा जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर ऐसा साक्षी मिल सकता है। यदि साक्षी भारत में है किन्तु ऐसे राज्य या ऐसे किसी क्षेत्र में है जिस पर संहिता का विस्तार नहीं है तो कमीशन ऐसे न्यायालय, या अधिकारी को निर्दिष्ट होगा, जिसे केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करें।

    यदि साक्षी भारत से बाहर ऐसे किसी राज्य या क्षेत्र में हो जिस पर इस संहिता का विस्तार नहीं है तो कमीशन ऐसे-

    (i) न्यायालय, या

    (ii) अधिकारी

    को निर्दिष्ट किया जायेगा जैसा कि केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करें।

    भारत से बाहर किसी देश में साक्षियों का साक्ष्य लेने के लिए यह आवश्यक है कि उस देश के साथ केन्द्रीय सरकार ने ऐसा साक्ष्य लेने के लिए अनुबन्ध कर रखा हो।

    कमीशनों का निष्पादन

    कमीशन प्राप्त होने पर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अथवा ऐसा महानगर मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट जिसे वह इस निमित्त नियुक्त करें, साक्षी को अपने समक्ष आने के लिए समन करेगा अथवा उस स्थान को जायेगा जहाँ साक्षी है और उसका साक्ष्य उसी रीति से लिखेगा और इस प्रयोजन के लिए उन्हीं शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा जो इस संहिता के अधीन वारन्ट मामलों के विचारण के लिए है।

    पक्षकार द्वारा साक्षियों की परीक्षा किया जाना

    सामान्यतः साक्षियों की परीक्षा के लिए न्यायालय द्वारा कमीशन को परिप्रश्न' भेजने की प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है।

    लेकिन ऐसे साक्षियों की-

    (i) परीक्षा;

    (ii) प्रति परीक्षा एवं

    (iii) पुनः परीक्षा;

    स्वयं पक्षकार द्वारा अथवा उसके प्लीडर द्वारा न्यायालय या मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होकर की जा सकेगी।

    कमीशन पर साक्षियों के परीक्षण के सम्बन्ध में एक स्वर्णिम नियम यह है कि ऐसी परीक्षा दोनों पक्षकारों की उपस्थिति में होनी चाहिए। इनकी अनुपस्थिति में परीक्षण किया जाना उचित नहीं है।

    कमीशन का लौटाया जाना

    धारा 284 के अन्तर्गत जारी किये गए कमीशन के सम्यक् रूप से निष्पादित किये जाने के पश्चात् वह उसके अधीन परीक्षित साक्षियों के अभिसाक्ष्य सहित उस न्यायालय या मजिस्ट्रेट को जिसने कमीशन जारी किया था, लौटाया जायेगा।

    वह कमीशन, उससे सम्बद्ध विवरणी और अभिसाक्ष्य सब उचित समयों पर पक्षकारों के निरीक्षण के लिए प्राप्य (उपलब्ध) होंगे। यह किसी पक्षकार द्वारा मामले में साक्ष्य के रूप में पढ़े जा सकेंगे और अभिलेख के भाग होंगे।

    कार्यवाही का स्थगन

    जहाँ धारा 284 के अन्तर्गत कमीशन जारी किया गया है, वहाँ जाँच, विचारण एवं अन्य कार्यवाही ऐसे विनिर्दिष्ट समय तक के लिए, जो कमीशन के निष्पादन और लौटाये जाने के लिए उचित रूप से पर्याप्त हैं, स्थगित की जा सकेगी।

    ऐसे मामलों में पक्षकारों एवं कमीशन का यह कर्तव्य है कि वह साक्षियों को समन करने एवं उनकी परीक्षा करने में तत्परता बरतें, ताकि विचारण में अनावश्यक विलम्ब न हो।

    विदेशी कमिशनों का निष्पादन

    विदेशी कमिशनों के निष्पादन पर संहिता की धारा 286 धारा 287 एवं धारा 288 के प्रावधान लागू होंगे। विदेशों में कमीशन के निष्पादन को अपेक्षा तभी की जा सकेगी जब दोनों देशों के बीच इस आशय का अनुबंध हो। किसी बाहरी देश के कमीशन का निष्पादन भारत में तब तक नहीं किया जा सकेगा जब तक कि दोनों देशों के बीच तत्सम्बन्धी कोई पारस्परिक व्यवस्था अर्थात् अनुबंध न हो।

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