The Indian Contract Act में Revocation कैसे किया जाता है?

Shadab Salim

13 Aug 2025 9:56 AM IST

  • The Indian Contract Act में Revocation कैसे किया जाता है?

    किसी भी प्रस्ताव या स्वीकृति का प्रतिसंहरण किया जा सकता है। अब अगला प्रश्न यह है कि ऐसा प्रतिसंहरण कैसे किया जा सकता है किस रीती से और किस ढंग से किया जा सकता है! इसके संबंध में भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 6 में उल्लेख किया गया है।

    इस धारा के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के तरीकों का उल्लेख किया गया, जो निम्न है-

    प्रतिसंहरण की सूचना देकर-

    प्रतिग्रहण के लिए समय की समाप्ति पर अथवा उस समय की समाप्ति पर जो युक्तियुक्त हो-

    प्रतिग्रहण के पूर्व की शर्त को पूर्ण न करने पर-

    प्रस्थापनाकर्ता की मृत्यु या उन्मत्तता पर-

    यह प्रतिसंहरण के चार प्रकार धारा 6 के भीतर उल्लेखित किए गए हैं।

    प्रस्तावना उस समय प्रतिसंहरण की जा सकती है जब प्रस्थापक दूसरे पक्षकार को सूचना देता है इस प्रकार प्रस्थापना प्रस्थापक द्वारा दूसरे पक्षकार को प्रतिसंहरण की सूचना देकर रद्द की जा सकती है।

    ऐसी सूचना किसी भी प्रकार से दी जा सकती है। भारतीय विधि के अनुसार प्रस्थापना के प्रतिसंहरण की सूचना प्रस्थापक या उसके अभिकर्ता द्वारा ही दी जानी चाहिए यदि प्रस्थापना के प्रतिसंहरण की सूचना प्रतिग्रहिता को किसी अन्य माध्यम से प्राप्त होती है तो यह भी पर्याप्त होगा परंतु सूचना प्रस्तावक या उसके एजेंट द्वारा ही दी जानी चाहिए।

    दूसरे कारण में विहित समय के बीत जाने पर भी किसी प्रस्थापना का प्रतिसंहरण हो जाता है। यदि प्रस्थापना में उसका प्रतिग्रहण किए जाने के संबंध में कोई समय सीमा विहित कर दी गयी है तो ऐसी स्थिति में प्रतिग्रहण उस समय अवधि के अंदर ही किया जाना चाहिए यदि उक्त सुनिश्चित समय अवधि के भीतर प्रस्थापना का प्रतिग्रहण कर दिया जाता ऐसी स्थिति में उक्त समय अवधि की समाप्ति हो जाने पर प्रस्थापना का प्रतिसंहरण स्वाभाविक रूप से हो जाएगा।

    तीसरे कारण में किसी शर्त के पूरा न होने पर भी प्रस्थापना का प्रतिग्रहण हो जाता है पर जहां प्रस्तावक ने प्रस्थापना के बारे में कोई पूर्वर्ती शर्त रखी है जिसे प्रस्थापना के प्रतिग्रहण के पहले स्वीकार किया जाना आवश्यक है तो ऐसी स्थिति में उक्त शर्त स्वीकार न करने पर प्रस्थापना का प्रतिसंहरण हो जाता है। इस प्रकार यदि प्रस्थापना में कोई शर्त लगाई गई है जिसे प्रतिग्रहण के पहले स्वीकृत किया जाना आवश्यक है यदि प्रतिग्रहिता उक्त शर्त को पूरा करने में असफल रहता है तो प्रस्थापना समाप्त हो जाएगी। शर्त पूरा करने से पूर्व उसका प्रतिग्रहण करने से संविदा का निर्माण नहीं हो सकता।

    जैसे कि यदि किसी व्यक्ति ने अपनी मोटरसाइकिल बेचने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को प्रस्ताव भेजा है। उसमें शर्त रखी है यदि तुम इस प्रस्ताव को स्वीकार कर रहे हो तो पांच हज़ार की राशि मेरे खाते में आज दिनांक को डिपॉज़िट कर देना परंतु प्रस्ताव को स्वीकार करने वाला राशि खाते में डिपाजिट नहीं करता है तो यह शर्त का उल्लंघन होगा प्रस्ताव का प्रतिसंहरण हो जाएगा।

    प्रस्थापक की मृत्यु हो जाती है या पागल हो जाता है ऐसी स्थिति में भी प्रस्ताव का प्रतिसंहरण हो जाता है। यदि प्रस्तावक की मृत्यु हो जाती है या पागल हो जाता है मृत या पागलपन का तथ्य प्रतिग्रहण के पहले ही प्रतिग्रहीता के ज्ञान में आ चुका है तो ऐसी स्थिति में प्रस्थापना का प्रतिसंहरण हो जाता है।

    धारा 6 का महत्व इस बात में निहित है कि यह अनुबंध की स्वैच्छिक प्रकृति को बनाए रखता है। यह पक्षकारों को अपनी मंशा बदलने की स्वतंत्रता देता है, बशर्ते यह कानूनी दायरे में हो। यह धारा संविदा कानून के सिद्धांतों, जैसे स्वतंत्र सहमति और पारस्परिकता, को मजबूत करती है। इस प्रकार, धारा 6 संविदा निर्माण में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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