एक हिस्सेदार दूसरे हिस्सेदार को संपत्ति बेचने से कैसे रोक सकता है

Shadab Salim

25 April 2023 2:42 PM IST

  • एक हिस्सेदार दूसरे हिस्सेदार को संपत्ति बेचने से कैसे रोक सकता है

    परिवारों में पैतृक संपत्ति विवाद का घर हो जाती है। अनेक परिवारों को संपत्ति के संबंध में लड़ते देखा जा सकता है। कभी कभी पैतृक संपत्ति का बंटवारा नहीं हो पाता है। यदि हिस्सेदारों में आपसी सहमति से संपत्ति का बंटवारा हो जाए तब सरलतापूर्वक संपत्ति का बंटवारा हो जाता है लेकिन यदि आपसी सहमति से संपत्ति का बंटवारा नहीं होता है तब स्थिति विवाद की बन जाती है।

    यदि आपसी सहमति से बंटवारा किया जाना है तब तो हिस्सेदार अपने अपने हिस्से के संबंध में विभाजन लेख बनाकर सब रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड करवा सकते हैं। लेकिन यदि कोई हिस्सेदार सारी संपत्ति अकेला हड़पना चाहता है तब स्थिति विवादित हो जाती है। कुछ हिस्सेदार अपने हिस्से से अधिक हिस्सा मांगते हैं तब भी विवाद खड़े हो जाते हैं।

    इस स्थिति में एक हिस्सेदार सारी संपत्ति को अकेला बेचने की कूटरचना में लग जाता है। बाकी हिस्सेदारों के लिए यह संकट पैदा हो जाता है कि अब वह उस हिस्सेदार को कैसे रोके।

    सब रजिस्ट्रार को आवेदन

    हिस्सेदार ऐसी संपत्ति को बेचने से रोकने के लिए सब रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करते हैं। रजिस्ट्रार ऐसे आवेदनों पर अधिक गौर नहीं देते हैं। क्योंकि सब रजिस्ट्रार का काम तो सरकार के लिए रेवेन्यू जनरेट करना है। यदि उसके समक्ष दस्तावेज लाए जाते हैं तब वह कोई भी डीड रजिस्टर्ड कर देता है। यह उचित तरीका नहीं है कि सब रजिस्ट्रार को आवेदन कर संपत्ति बेचने से रोक दिया जाए।

    पुलिस को कंप्लेंट कर भी ऐसी संपत्ति बेचने से नहीं रोका जा सकता है। पुलिस को इस संबंध में कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं है वह केवल मारपीट होने जैसी स्थिति में शांतिभंग रोकने के प्रयास में कार्यवाही कर सकती है।

    सही तरीका क्या है

    पुलिस को आवेदन करने और सब रजिस्ट्रार के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत करने से किसी भी हिस्सेदार को संपत्ति बेचने से रोका नहीं जा सकता है और यह उचित तरीका नहीं है। इसके लिए जो हिस्सेदार संपत्ति बेचने से रोकना चाहते हैं उन्हें क्षेत्र की सिविल कोर्ट के समक्ष बंटवारे का एक सिविल सूट प्रस्तुत होगा। इस सिविल सूट के साथ तत्काल कार्यवाही हेतु एक स्टे एप्लिकेशन भी देनी होगी यह स्टे एप्लिकेशन सीपीसी ऑर्डर 39 नियम 1 एवं 2 के अंतर्गत प्रस्तुत की जाती है।

    जो बंटवारे का सिविल सूट लगाया गया है उस पर सुनवाई होने में समय लग जाएगा लेकिन स्टे एप्लिकेशन पर तत्काल सुनवाई होगी। ऐसी स्टे एप्लिकेशन में संपत्ति को अवैध रूप से बेचने वाले हिस्सेदार या हिस्सेदारों के साथ क्षेत्र के संबंधित सब रजिस्ट्रार को भी पक्षकार बनाया जाता है।

    स्टे एप्लिकेशन में वादी पक्ष अपनी ओर से कोर्ट से यह निवेदन करता है कि जब तक वाद में अंतिम निर्णय नहीं आ जाए तब तक संपत्ति बेचने से प्रतिवादी को रोका जाए और ऐसा आदेश पारित किया जाए कि सब रजिस्ट्रार ऐसी संपत्ति के संबंध में कोई भी डीड रजिस्टर्ड नहीं करे।

    कोर्ट वादी और प्रतिवादी द्वारा पेश किए गए सबूतों को प्रथम दृष्टया देखती है, दोनों पक्षकारों की बहस को सुनती है। यदि कोर्ट को यह लगता है कि अंतिम निर्णय तक संपत्ति को बेचने से स्टे किया जा सकता है तब कोर्ट ऐसा आदेश पारित करते हुए संपत्ति को बेचने पर रोक लगा देती है।

    किसी भी पैतृक संपत्ति को एक हिस्सेदार द्वारा अवैध रूप से बेचे जाने से रोकने का यही कानूनी तरीका है इसके अलावा कोई भी प्रक्रिया संपत्ति को बेचने से रोकने के लिए उचित नहीं है।

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