किसी भी केस में सभी फैक्ट्स मिलकर कोई एक फैक्ट कैसे बनता है
Shadab Salim
28 Jun 2024 9:56 AM GMT
किसी भी केस में एक घटना होती है किंतु वह एक घटना बहुत सारे फैक्ट्स से मिलकर बनती है। हत्या सिर्फ एक ही हत्या ही नहीं है अपितु उसके साथ अनेक घटनाएं घटती है। इसे सुसंगत सिद्धांत कहा जाता है।
एविडेन्स एक्ट में रसुसंगत सिद्धांत का अत्यधिक महत्व है। यह सिद्धांत विश्व भर की साक्ष्य विधियों में अलग-अलग नामों से लागू किया गया है। भारत में इस सिद्धांत को साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 6 के अंतर्गत लागू किया गया है।
इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 6 के अनुसार-
एक ही संव्यवहार के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति-
'जो तथ्य विवाधक न होते हुए भी किसी भी विवाधक तथ्य से उस प्रकार संसक्त है कि वे एक ही संव्यवहार के भाग है, वे तथ्य सुसंगत है,चाहे वे उसी समय और स्थान पर या विभिन्न समय और स्थान पर घटित हुए है'
साक्ष्य अधिनियम की यह धारा बताती है कि कोई तथ्य विवाधक ना होकर भी यदि किसी एक व्यवहार का हिस्सा है तो सुसंगत माने जा सकते है।
जैसे किसी भी घटना के लिए अलग-अलग तथ्य होते है,यह तथ्य किसी एक संव्यवहार का हिस्सा होते है। यह सब आपस में जुड़ते है और कोई एक संव्यवहार का जन्म होता है।
इस बात को इस सरल उदहारण के माध्यम से समझा जा सकता है-
जैसे राम ने एक तलवार श्याम से खरीदी थी। खरीदने के बाद उसने इस तलवार से धर्मेंद्र की हत्या कारित की। राम तलवार खरीदने किसी अन्य स्थान गया वहां से तलवार खरीद कर लाया। किसी अन्य स्थान पर उसने धर्मेंद्र की हत्या की थी। धर्मेंद्र की हत्या राम द्वारा उसी तलवार से की गई जिस तलवार को उसने श्याम से कुछ रुपयों में किसी प्रतिफल के बदले खरीदा था।
श्याम से तलवार खरीदना,तलवार खरीदने श्याम के नगर जाना,उसके बदले श्याम को प्रतिफल देना,किसी अन्य स्थान पर जाकर धर्मेंद्र की हत्या करना यह सब कुछ सुसंगत तथ्य है।
इन सभी का केवल एक ही लक्ष्य है इससे यह सभी एक ही संव्यवहार के भाग है,तथा सब तथ्य मिलकर किसी एक लक्ष्य को भेदना चाहते है। एक संव्यवहार धर्मेंद्र की हत्या कारित करना है।
राम का श्याम से तलवार खरीदना तथा उसे प्रतिफल के बदले कुछ देना यह तो सिद्ध नहीं करता है कि राम द्वारा धर्मेंद्र की हत्या की गई है परंतु यह सिद्ध जरूर करता है कि राम का तलवार खरीदने का कारण किसी व्यक्ति को क्षति पहुंचाना ही था, क्योंकि तलवार का क्रय करना भारत की सीमाओं के भीतर अपराध है तथा राम द्वारा ऐसा अपराध कारित किया गया उसने तलवार खरीदी थी इसका आशय यह था कि वह किसी को क्षति पहुंचाना चाहता था।
इस धारा का सिद्धांत यह है कि जब कोई संव्यवहार जैसे कि कोई संविदा या अपराध विवाधक तथ्य हो तो प्रत्येक ऐसे तथ्य का साक्ष्य दिया जाता है,जो उसी संव्यवहार का एक भाग है।
जो मामले न्यायालय के सामने आते है उनमें कोई ना कोई घटना छिपी रहती है। प्रत्येक घटना से जुड़े हुए कुछ कार्य या लोप तथा कुछ कथन होते हैं। ऐसा कार्य या कथन जिससे संव्यवहार की प्रकृति का कुछ प्रकाश पड़ता है या जो उसके सही रूप को दर्शाता है उसे संव्यवहार का भाग कहा जाता है, इसका साक्ष्य दिया जा सकता है। अर्थात राम ने कोई तलवार श्याम से खरीदी थी इसका साक्ष्य दिया जा सकता है।
इस सिद्धांत और साक्ष्य अधिनियम की इस धारा के अंतर्गत एक बड़ा महत्वपूर्ण मामला है।
उसे 'रटन बनाम क्वीन' का मामला कहा जाता है।
इस मामले में एक व्यक्ति पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप था। उसका कहना था कि गोली दुर्घटनावश चल गई थी।
एक साक्ष्य यह था कि अभियुक्त की पत्नी ने टेलीफोन मिलाया और आपरेटर लड़की से कहा-मुझे पुलिस दीजिए ऑपरेटर अभी कुछ भी नहीं कह पाई थी कि स्त्री जो बहुत तकलीफ से बोल रही थी उसने जल्दी से अपना पता बताया और कॉल ठप हो गई।
ऑपरेटर ने पुलिस को सूचित कर दिया पुलिस वहां पहुंची और स्त्री का शव वहां पर पाया गया। उसके द्वारा टोलीफोन करना और पुलिस मांगना,उसकी हत्या के संव्यवहार का भाग माना गया। माना गया की घबराहट की हालत में उसका टेलीफोन करना उसकी हत्या के आशय को दर्शाता है। यह घटना दुर्घटनावश नहीं थी, किसी दुर्घटना से पीड़ित होने वाले व्यक्ति स्वपन में भी नहीं सोच सकता कि वह दुर्घटना से पहले ही पुलिस बुला ले।
रेस जेस्टे के सिद्धांत का यही एक लाभ है। यह न्यायालय को प्रत्येक संव्यवहार के सभी आवश्यक अंग ध्यान में लेने के अनुज्ञा देता है।
सुसंगत सिद्धांत में कथन का महत्व-
अधिनियम धारा 6 के अंतर्गत तथा इस सिद्धांत के अंतर्गत कथन का अत्यधिक महत्व है। सिद्धांत के अंतर्गत यह माना गया है यह कथन संव्यवहार से बिल्कुल जुड़े होना चाहिए। कथन और संव्यवहार के बीच में इतनी लंबी दूरी नहीं होना चाहिए कि कथन पर विश्वास करने के संबंध में संशय होने लगे।
आर बनाम बैंडिंगफील्ड के मामले में ऐसे कथनों का महत्व बताया गया है। जहां एक घायल महिला कमरे से निकली और निकल कर उसने कहा-ओ माय डिअर चाची देखिए बैंडिंगफील्ड ने मेरा क्या हाल किया।
महिला का गला कटा हुआ था। परन्तु इस घटना के बहुत देर बाद वह कमरे से निकल कर आयी और उसमें अपनी चाची को यह कथन कहा।
न्यायलय ने इस कथन को एक्सेप्टेंस नहीं दी इस तथ्य को सुसंगत भी नहीं माना गया।
कथन घटना से अत्यंत जुड़ा होना चाहिए क्योंकि कोई भी व्यक्ति जब घायल किया जाएगा तो वह मदद मांगेगा या प्रतिरोध करेगा पर इस घटना में ऐसा कुछ नहीं था।
एक ऐसा ही प्रकरण भारतीय उच्चतम न्यायालय का भी है उस प्रकरण को आर एम मलकानी बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र कहते है। इस प्रकरण में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णीत किया गया जब कोई ऐसी बातचीत चल रही हो जो किसी व्यवहार का भाग होने के नाते से सुसंगत है तो यदि उसे तत्काल टेप कर लिया गया हो तो ऐसी टेप सुसंगत होगी। यह सुसंगता होगी।
एक वारदात जिसमें एक महिला बंदूक की गोली से मृत्यु को प्राप्त हुई उसने घटना के कुछ ही समय पूर्व चीख कर कहा था कि उसके पास कोई व्यक्ति बंदूक लिए खड़ा था। यह कथन समय के हिसाब से घटना के इतना निकटतम था कि उसे संव्यवहार का भाग माना गया।