The Indian Contract Act में बैंक द्वारा निष्पादित Guarantee
Shadab Salim
8 Sept 2025 10:19 AM IST

जहां दो पक्षकार आपस में संविदाबद्ध होते हैं और उनमें से किसी के द्वारा संविदा पालन किए जाने के लिए बैंक प्रत्याभूति दी जाती है तो इसे बैंक द्वारा निष्पादित प्रत्याभूति की संज्ञा दी जाती है। बैंक द्वारा जो प्रत्याभूति प्रस्तुत की जाती है वह बैंक के द्वारा निष्पादित प्रत्याभूति के रूप में की जानी होती है। बैंक द्वारा प्रदत उक्त प्रकार की प्रत्याभूति मूल पक्षकारों के मध्य हुई संविदा से स्वतंत्र होती है।
देना बैंक बनाम फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड एआईआर 1990 पटना 446 के प्रकरण में कहा गया है कि यदि प्रत्याभूति की शर्तों पर विचार करने के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रत्याभूति उक्त संविदा से नियंत्रित होती है तो ऐसी स्थिति में प्रतिभू को उक्त संविदा से स्वतंत्र नहीं माना जाएगा।
जहां बैंक यह स्पष्ट रूप से विचार व्यक्त करती है कि एक पक्षकार द्वारा संविदा पालन न किए जाने पर वह दूसरा पक्षकार को मांग किए जाने पर बिना आपत्ति के प्रत्याभूति रकम की अदायगी कर देगा तो ऐसी स्थिति में यह साखपत्र के समान होगा। यदि प्रत्याभूति बिना शर्त के एक पक्षकार द्वारा संविदा पालन न किए जाने पर दूसरे पक्षकार को एक निश्चित रकम देने के लिए है तो ऐसी स्थिति में उस पक्षकार द्वारा संविदा पालन न करने पर दूसरे पक्षकार को एक निश्चित रकम देने हेतु हो तो उस पक्षकार द्वारा संविदा का पालन न किए जाने पर दूसरे पक्षकार को जो कि एक निश्चित रकम को प्रदान किए जाने के संबंध में तथा जिसका विधि पूर्ण औचित्य है जिसका ससमय दिया जाना अपेक्षित है तो ऐसी स्थिति में यह तर्क महत्वहीन होगा कि दूसरे पक्षकार का बिना किसी औचित्य के विवाद उत्पन्न किया गया।
कोई प्रत्याभूति या तो साधारण हो सकती है या फिर चलत। साधारण प्रत्याभूति में प्रतिभू केवल एक संव्यवहार विशेष के लिए दायित्वधीन होता है। जब की चलत प्रत्याभूति में प्रति संव्यवहार की एक आवली अर्थात श्रंखला के लिए दायित्वधीन होता है।
चलत या चिरगामी प्रत्याभूति की परिभाषा भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 129 के अनुसार प्रत्याभूति जो संव्यवहारों की किसी श्रंखला तक विस्तृत होती है चिरगामी प्रत्याभूति कहलाती है।
उदाहरण के लिए कई दिनों तक किराया वसूल कर के भुगतान करने की प्रत्याभूति एक चलत प्रत्याभूति होती है।
जैसे क इस बात के प्रतिफल स्वरुप की ख अपनी जमीदारी के भाट को क संग्रह करने के लिए ग को नौकर रखेगा। ग द्वारा उन भाट के सम्यक संग्रह और संदाय के लिए पांच हज़ार की रकम तक उत्तरदायी होने का ख को वचन देता है, यह चलत प्रत्याभूति है।
कोई प्रत्याभूति चलत है या साधारण इस बात का उदाहरण संग्रह वालों की प्रकृति पक्षकारों की स्थिति एवं परवर्ती परिस्थितियों के आधार पर किया जाता है।
किसी व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने की प्रत्याभूति चलत प्रत्याभूति नहीं है अपितु एक नियुक्ति की प्रत्याभूति है।
इसी प्रकार एक निश्चित समय के भीतर किस्तों में धन का संदाय करने के लिए प्रत्याभूति चलत प्रत्याभूति न होकर ऋण की प्रत्याभूति है।
यदि किसी ग्यारंटी में ऐसा खंड हो जिसके द्वारा लेनदार ऐसा काम करने के लिए अधिकृत किया जाता है की प्रतिभू मूल ऋणी हो तो ग्यारंटी तब तक चालू रहेगी जब तक कि कर्ज़दार द्वारा पूर्ण ऋण अदा नहीं कर दिया जाता।

