राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत शराब निर्माण और बिक्री के विशेष अधिकार : धारा 24, 26 और 27

Himanshu Mishra

3 Feb 2025 6:14 PM IST

  • राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत शराब निर्माण और बिक्री के विशेष अधिकार : धारा 24, 26 और 27

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) एक व्यापक कानून (Comprehensive Law) है जो राज्य में शराब (Liquor) और मादक पदार्थों (Intoxicating Drugs) के निर्माण (Manufacture), बिक्री (Sale) और वितरण (Distribution) को नियंत्रित (Regulate) करता है।

    इस अधिनियम (Act) के तहत, सरकार को यह अधिकार (Right) है कि वह किसी व्यक्ति या व्यवसाय (Business) को किसी विशेष क्षेत्र (Particular Area) में शराब निर्माण या बिक्री का विशेषाधिकार (Exclusive Privilege) प्रदान कर सकती है।

    विशेषाधिकार (Exclusive Privilege) का अर्थ है कि केवल वही व्यक्ति या संस्था जिसे यह अधिकार दिया गया है, उस क्षेत्र में शराब निर्माण या बिक्री कर सकती है। कोई अन्य व्यक्ति बिना उचित अनुमति (Proper Authorization) के यह कार्य नहीं कर सकता।

    इन विशेषाधिकारों को उत्पाद आयुक्त (Excise Commissioner) द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो यह तय करते हैं कि किसे यह अधिकार मिलेगा और किन शर्तों (Conditions) के तहत यह दिया जाएगा।

    इससे पहले कि हम विशेषाधिकारों से संबंधित प्रावधानों (Provisions) को समझें, यह जरूरी है कि हम अधिनियम की पिछली धाराओं का संदर्भ (Reference) लें। धारा 22 (Section 22) के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों, अस्वस्थ मानसिक स्थिति वाले व्यक्तियों और ड्यूटी पर तैनात सैनिकों (Soldiers) को शराब बेचने पर रोक लगाई गई है।

    धारा 23 (Section 23) यह सुनिश्चित करती है कि शराब बिक्री स्थलों (Liquor Establishments) में केवल पात्र (Eligible) लोग ही काम करें। इसी क्रम में, धारा 24 में शराब निर्माण और बिक्री के विशेषाधिकारों का उल्लेख है, धारा 26 में इन विशेषाधिकारों को स्थानांतरित (Transfer) करने की शर्तें दी गई हैं, और धारा 27 में विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति को उसके बकाया (Dues) वसूलने के अधिकार दिए गए हैं।

    धारा 24: शराब निर्माण और बिक्री के विशेषाधिकारों का अनुदान (Grant of Exclusive Privilege of Manufacture and Sale of Liquor)

    राजस्थान उत्पाद अधिनियम, 1950 की धारा 24 (Section 24) के तहत, उत्पाद आयुक्त (Excise Commissioner) को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी व्यक्ति या व्यवसाय को शराब निर्माण, आपूर्ति (Supply) और बिक्री के लिए विशेषाधिकार (Exclusive Privilege) प्रदान कर सकता है। इसका अर्थ यह है कि सरकार यह तय कर सकती है कि किसी विशेष क्षेत्र (Specific Area) में शराब निर्माण या बिक्री का कानूनी अधिकार (Legal Right) किसे मिलेगा।

    इस धारा के अनुसार, उत्पाद आयुक्त निम्नलिखित कार्यों के लिए विशेषाधिकार प्रदान कर सकता है:

    1. शराब का निर्माण (Manufacture) या थोक में आपूर्ति (Wholesale Supply) या दोनों का अधिकार

    2. थोक (Wholesale) या खुदरा (Retail) में शराब बेचने का अधिकार

    3. निर्माण, थोक आपूर्ति और खुदरा बिक्री (Retail Sale) का संयुक्त अधिकार

    यह विशेषाधिकार देशी शराब (Country Liquor), विदेशी शराब (Foreign Liquor) और मादक पदार्थों (Intoxicating Drugs) पर लागू होता है। हालांकि, इन विशेषाधिकारों का अनुदान धारा 31 (Section 31) के प्रावधानों के अधीन होगा, जिसमें अतिरिक्त नियम और शर्तें हो सकती हैं।

    उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि जयपुर में एक व्यापारी शराब निर्माण इकाई (Liquor Manufacturing Unit) स्थापित करना चाहता है। वह सरकार की अनुमति के बिना इस व्यवसाय को शुरू नहीं कर सकता। यदि उसे विशेषाधिकार लाइसेंस (Exclusive Privilege License) मिल जाता है, तो उसे शराब निर्माण और आपूर्ति करने का कानूनी अधिकार मिल जाएगा। लेकिन कोई अन्य व्यक्ति बिना इस लाइसेंस के शराब निर्माण या बिक्री नहीं कर सकता।

    इस प्रावधान (Provision) का मुख्य उद्देश्य यह है कि शराब उद्योग को सरकारी नियंत्रण (Government Control) में रखा जाए और अवैध व्यापार (Illegal Trade) को रोका जाए।

    इससे सरकार शराब की गुणवत्ता (Quality) को नियंत्रित कर सकती है, अवैध गतिविधियों (Illegal Activities) को रोक सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि केवल अधिकृत विक्रेता (Authorized Sellers) ही बाजार में काम करें।

    धारा 26: विशेषाधिकार के स्थानांतरण (Assignment or Lease of Exclusive Privilege)

    अगर किसी व्यक्ति या व्यवसाय को धारा 24 के तहत विशेषाधिकार (Exclusive Privilege) प्राप्त हुआ है, तो वह भविष्य में किसी अन्य व्यक्ति को यह अधिकार देना चाह सकता है। धारा 26 (Section 26) के तहत, यदि किसी व्यक्ति को शराब निर्माण या बिक्री का विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है, तो वह इसे पूरी तरह या आंशिक रूप से किराए (Lease) या स्थानांतरित (Assign) कर सकता है।

    लेकिन इस धारा के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण शर्त (Most Important Condition) यह है कि नया किरायेदार (Lessee) या स्थानांतरित अधिकार प्राप्त करने वाला व्यक्ति (Assignee) तब तक इस विशेषाधिकार का उपयोग नहीं कर सकता जब तक उसे उत्पाद आयुक्त (Excise Commissioner) से लाइसेंस (License) प्राप्त नहीं हो जाता।

    उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि जोधपुर में एक कंपनी को देशी शराब (Country Liquor) निर्माण और बिक्री का विशेषाधिकार मिल गया। कुछ समय बाद, वह अपने खुदरा (Retail) बिक्री के अधिकार किसी अन्य व्यापारी को देना चाहती है। लेकिन जब तक नया व्यापारी उत्पाद आयुक्त से लाइसेंस प्राप्त नहीं करता, वह खुदरा बिक्री शुरू नहीं कर सकता।

    इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार शराब व्यापार पर नियंत्रण बनाए रखे। यदि इस प्रकार की शर्तें न हों, तो मूल विशेषाधिकार धारक (Original Grantee) अपने अधिकारों को अवैध व्यापारियों (Unauthorized Traders) को बेच सकता है, जिससे अवैध शराब बिक्री (Illegal Liquor Sales) बढ़ सकती है।

    धारा 27: विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति द्वारा धन की वसूली (Recovery of Money by Grantee of Exclusive Privilege)

    शराब व्यवसाय में, निर्माताओं (Manufacturers), आपूर्तिकर्ताओं (Suppliers), थोक विक्रेताओं (Wholesalers) और खुदरा विक्रेताओं (Retailers) के बीच वित्तीय लेन-देन (Financial Transactions) होते हैं। धारा 27 (Section 27) के तहत, विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति (Grantee), किरायेदार (Lessee) या स्थानांतरित अधिकार धारक (Assignee) को यह कानूनी अधिकार दिया गया है कि वह अपने बकाया (Dues) की वसूली कर सके।

    अगर कोई व्यक्ति विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति से शराब खरीदता है लेकिन भुगतान नहीं करता, तो वह यह रकम उसी तरह वसूल सकता है जैसे कि किराए की बकाया राशि (Arrears of Rent) की कानूनी वसूली (Legal Recovery) की जाती है।

    उदाहरण के लिए, कोटा में एक शराब निर्माता को विशेषाधिकार मिला और उसने कई खुदरा विक्रेताओं (Retailers) को शराब बेची। यदि कोई खुदरा विक्रेता पैसे नहीं चुकाता, तो निर्माता धारा 27 के तहत कानूनी रूप से अपना बकाया वसूल सकता है।

    लेकिन यह प्रावधान नागरिक मुकदमों (Civil Suits) के अधिकार को प्रभावित नहीं करता। विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति चाहे तो अदालत में मामला दर्ज कर सकता है और इस तरह अपने पैसे की वसूली कर सकता है।

    राजस्थान उत्पाद अधिनियम, 1950, राज्य में शराब उद्योग को नियंत्रित करने के लिए सख्त प्रावधान देता है। धारा 24 के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी व्यक्ति या व्यवसाय को शराब निर्माण और बिक्री के विशेषाधिकार दे सकती है।

    धारा 26 यह सुनिश्चित करती है कि इन विशेषाधिकारों का हस्तांतरण नियंत्रित रूप से हो, और धारा 27 विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति को उसकी बकाया रकम की वसूली का कानूनी अधिकार देती है।

    ये प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि शराब उद्योग सरकारी नियंत्रण (Government Control) में रहे और इसमें किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि (Illegal Activity) न हो।

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