राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत उत्पाद शुल्क, विशिष्ट विशेषाधिकार और ब्याज – धारा 29, 30, 30-A और 30-AA

Himanshu Mishra

6 Feb 2025 11:45 AM

  • राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत उत्पाद शुल्क, विशिष्ट विशेषाधिकार और ब्याज – धारा 29, 30, 30-A और 30-AA

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) राज्य में शराब और अन्य नशीले पदार्थों के उत्पादन, बिक्री और वितरण को नियंत्रित करता है। सरकार इन गतिविधियों पर विभिन्न शुल्क और फीस लगाती है ताकि राजस्व (Revenue) प्राप्त किया जा सके और शराब व्यापार पर नियंत्रण रखा जा सके।

    धारा 29, 30, 30-A और 30-AA इस अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधान (Provisions) हैं, जो उत्पाद शुल्क लगाने के तरीके, विशिष्ट विशेषाधिकार (Exclusive Privilege) के लिए भुगतान, विलंबित (Delayed) भुगतान पर ब्याज, और कुछ मामलों में ब्याज को माफ करने की शक्ति (Power to Waive Interest) से संबंधित हैं।

    ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि उत्पाद शुल्क का संग्रह सुव्यवस्थित (Systematic) तरीके से किया जाए और उचित मामलों में राहत भी दी जाए। इस लेख में इन सभी धाराओं का सरल भाषा में विस्तृत विश्लेषण किया गया है।

    धारा 29: शुल्क लगाने का तरीका (Manner of Levying Duty)

    धारा 29 इस बात को निर्धारित करती है कि उत्पाद शुल्क (Excise Duty) किस तरीके से लगाया जाएगा। राज्य सरकार यह तय कर सकती है कि शुल्क कब, कहां और कैसे वसूला जाएगा। इस संबंध में बनाए गए नियमों (Rules) को सरकारी राजपत्र (Official Gazette) में प्रकाशित किया जाता है ताकि पारदर्शिता (Transparency) बनी रहे।

    राज्य सरकार उत्पाद शुल्क वसूलने के लिए एक या अधिक तरीके चुन सकती है। यह लचीलापन (Flexibility) सरकार को आर्थिक परिस्थितियों और प्रशासनिक आवश्यकताओं (Administrative Needs) के अनुसार शुल्क संग्रह करने की सुविधा देता है।

    उदाहरण के लिए, यदि जयपुर में एक शराब निर्माता (Liquor Manufacturer) व्हिस्की बनाता है और इसे राज्य के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई करता है, तो सरकार यह तय कर सकती है कि उत्पाद शुल्क निर्माण के समय ही वसूला जाए। दूसरी स्थिति में, सरकार यह तय कर सकती है कि शुल्क तब लिया जाए जब शराब खुदरा दुकानों (Retail Shops) तक पहुंचे।

    यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि सरकार उत्पाद शुल्क संग्रह (Excise Duty Collection) को अपने हिसाब से व्यवस्थित कर सके और समय-समय पर नियमों में बदलाव कर सके।

    धारा 30: विशिष्ट विशेषाधिकार के लिए भुगतान (Payment for Exclusive Privilege)

    धारा 30 के अनुसार, सरकार इस अध्याय के तहत लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क के अतिरिक्त, या उसके स्थान पर, विशिष्ट विशेषाधिकार (Exclusive Privilege) प्रदान करने के लिए एक निश्चित राशि प्राप्त कर सकती है।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम की धारा 24 के अनुसार, राज्य सरकार को शराब के निर्माण, परिवहन और बिक्री का विशिष्ट अधिकार (Exclusive Right) प्राप्त होता है। सरकार यह अधिकार किसी व्यक्ति या व्यवसाय (Business) को लाइसेंस (Licence) के माध्यम से प्रदान कर सकती है।

    यदि कोई व्यापारी किसी विशेष क्षेत्र में शराब बेचने का विशेष अधिकार प्राप्त करना चाहता है, तो उसे एक निश्चित राशि का भुगतान करना पड़ता है।

    उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यवसायी जयपुर के एक प्रमुख स्थान पर शराब की दुकान खोलना चाहता है, तो उसे आबकारी विभाग को शुल्क का भुगतान करना होगा। यह शुल्क उस क्षेत्र में शराब बिक्री के विशेष अधिकार के बदले लिया जाता है।

    कुछ मामलों में, सरकार उत्पाद शुल्क और विशिष्ट विशेषाधिकार शुल्क दोनों वसूल सकती है। इससे सरकार को राजस्व प्राप्त होता है और शराब व्यापार पर नियंत्रण बना रहता है।

    धारा 30-A: आबकारी राजस्व (Excise Revenue) के भुगतान में देरी पर ब्याज (Interest on Delayed Payment)

    धारा 30-A यह प्रावधान करता है कि यदि कोई व्यक्ति समय पर आबकारी शुल्क, फीस या अन्य देय राशि (Due Amount) का भुगतान नहीं करता है, तो उसे उस बकाया राशि पर साधारण ब्याज (Simple Interest) देना होगा। ब्याज की दर (Rate of Interest) राज्य सरकार द्वारा तय की जाती है और इसे समय-समय पर अधिसूचित (Notified) किया जाता है।

    इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आबकारी शुल्क और अन्य देय राशि का समय पर भुगतान हो। यह देरी से भुगतान करने वालों को आर्थिक दंड (Financial Penalty) के रूप में ब्याज लगाने का कार्य करता है।

    उदाहरण के लिए, यदि उदयपुर में एक शराब निर्माता को किसी महीने की 10 तारीख तक ₹10 लाख का उत्पाद शुल्क जमा करना था, लेकिन उसने भुगतान नहीं किया, तो उसे 11 तारीख से ब्याज देना होगा। यदि सरकार ने ब्याज दर 12% प्रतिवर्ष तय की है, तो उसे विलंबित दिनों के अनुसार अतिरिक्त राशि चुकानी होगी।

    इस प्रावधान में एक सुरक्षा उपाय (Safeguard) भी दिया गया है। यदि किसी सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) द्वारा बाद में देय राशि को कम कर दिया जाता है, तो ब्याज की राशि भी उसी अनुपात में घट जाएगी। यदि पहले ही अतिरिक्त ब्याज चुका दिया गया है, तो सरकार को वह राशि वापस करनी होगी।

    इसके अलावा, कानून यह भी स्पष्ट करता है कि यदि कोई व्यक्ति आंशिक भुगतान (Part Payment) करता है, तो पहले वह राशि उत्पाद शुल्क पर समायोजित (Adjusted) की जाएगी और उसके बाद ब्याज पर। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि मूल राशि पहले चुकाई जाए और उस पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ न बढ़े।

    धारा 30-AA: ब्याज को कम करने या माफ करने की शक्ति (Power to Reduce or Waive Interest)

    धारा 30-AA आबकारी आयुक्त (Excise Commissioner) को यह अधिकार देती है कि वे कुछ विशेष परिस्थितियों में आबकारी शुल्क पर लगने वाले ब्याज को कम कर सकते हैं या माफ (Waive) कर सकते हैं।

    यदि कोई लाइसेंसधारी (Licensee) ब्याज माफ करने के लिए आवेदन करता है, तो आबकारी आयुक्त को मामले की समीक्षा करनी होगी और उपयुक्त कारणों को रिकॉर्ड करना होगा। ब्याज में छूट तभी दी जाएगी जब निम्नलिखित स्थितियां पूरी हों:

    पहली, यदि ब्याज की पूरी राशि का भुगतान करना लाइसेंसधारी के लिए वास्तविक कठिनाई (Genuine Hardship) पैदा करेगा, तो आबकारी आयुक्त उसे माफ करने पर विचार कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी छोटे शराब विक्रेता (Liquor Vendor) की दुकान बाढ़ में नष्ट हो गई और वह वित्तीय संकट (Financial Crisis) में है, तो उसकी ब्याज राशि माफ की जा सकती है।

    दूसरी, लाइसेंसधारी को वसूली की प्रक्रिया में पूरा सहयोग (Cooperation) देना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर भुगतान से बचने की कोशिश कर रहा है या धोखाधड़ी (Fraud) में शामिल है, तो उसे यह राहत नहीं दी जाएगी। लेकिन यदि वह भुगतान करना चाहता है लेकिन आर्थिक कठिनाइयों (Economic Hardship) का सामना कर रहा है, तो उसकी स्थिति पर विचार किया जा सकता है।

    यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि आबकारी कानून (Excise Law) सख्ती से लागू हो, लेकिन जहां आवश्यक हो, वहां मानवीय दृष्टिकोण (Humanitarian Approach) अपनाया जाए।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 29, 30, 30-A और 30-AA राज्य में शराब व्यापार को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

    धारा 29 सरकार को उत्पाद शुल्क लगाने के लिए उपयुक्त तरीका चुनने की शक्ति देती है। धारा 30 विशिष्ट विशेषाधिकार के लिए भुगतान की व्यवस्था प्रदान करती है।

    धारा 30-A यह सुनिश्चित करती है कि आबकारी शुल्क का समय पर भुगतान हो, और विलंबित भुगतान पर ब्याज लगाया जाए। धारा 30-AA यह सुनिश्चित करती है कि सरकार न्यायसंगत मामलों में ब्याज माफ कर सके।

    इन प्रावधानों के माध्यम से सरकार शराब व्यापार को नियंत्रित करने के साथ-साथ राजस्व संग्रह (Revenue Collection) को प्रभावी तरीके से प्रबंधित कर सकती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकारी नीति (Government Policy) और जनता के हित (Public Interest) के बीच संतुलन बना रहे।

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