राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत उत्पाद शुल्क, फीस और अधिभार – सेक्शन 28 और 28-A

Himanshu Mishra

5 Feb 2025 5:33 PM IST

  • राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत उत्पाद शुल्क, फीस और अधिभार – सेक्शन 28 और 28-A

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) एक व्यापक कानून है जो राजस्थान में शराब (Liquor) और नशीले पदार्थों (Intoxicating Substances) के निर्माण (Manufacturing), बिक्री (Sale), परिवहन (Transport) और वितरण (Distribution) को नियंत्रित करता है। इस कानून के तहत सरकार उत्पाद शुल्क (Excise Duty), फीस (Fees) और अधिभार (Surcharge) लगाकर न केवल राजस्व (Revenue) अर्जित करती है, बल्कि शराब व्यापार (Liquor Trade) पर भी नियंत्रण रखती है।

    इस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों (Provisions) को समझने के लिए पहले के सेक्शनों का संदर्भ (Reference) लेना महत्वपूर्ण है। सेक्शन 24 सरकार को शराब के निर्माण और बिक्री का विशेषाधिकार (Exclusive Privilege) देने की शक्ति देता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल लाइसेंसधारी (Licensed) व्यक्ति या व्यवसाय ही इस व्यापार में शामिल हो सकते हैं। सेक्शन 26 इस विशेषाधिकार को किराये पर देने या हस्तांतरित (Assignment) करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, जबकि सेक्शन 27 उन लोगों से बकाया (Dues) वसूलने के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है जो अपने भुगतान में चूक करते हैं।

    सेक्शन 28 और 28-A इन प्रावधानों को और मजबूत करते हैं क्योंकि ये सरकार को शराब और नशीले पदार्थों पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) और अधिभार (Surcharge) लगाने की शक्ति देते हैं।

    सेक्शन 28: उत्पाद शुल्क (Excise Duty) का प्रावधान

    सेक्शन 28 राजस्थान में शराब और नशीले पदार्थों पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) लगाने का अधिकार देता है। उत्पाद शुल्क एक प्रकार का कर (Tax) होता है, जो किसी देश के भीतर निर्मित (Manufactured) वस्तुओं पर लगाया जाता है। राजस्थान में यह शुल्क विशेष रूप से शराब (Liquor) और नशीले पदार्थों (Intoxicating Substances) पर लागू होता है।

    इस प्रावधान के अनुसार, राज्य सरकार किसी भी आबकारी वस्तु (Excisable Article) पर एक निश्चित दर (Rate) से उत्पाद शुल्क लगा सकती है। यह शुल्क पूरे राज्य में समान रूप से लगाया जा सकता है या फिर किसी विशेष क्षेत्र (Local Area) के लिए अलग-अलग दरें निर्धारित की जा सकती हैं।

    यह शुल्क विभिन्न स्थितियों में लगाया जाता है, जैसे कि:

    • जब कोई उत्पाद राजस्थान में आयात (Import) किया जाता है।

    • जब कोई उत्पाद राजस्थान से बाहर निर्यात (Export) किया जाता है।

    • जब कोई उत्पाद राज्य के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है (Transport)।

    • जब कोई उत्पाद लाइसेंस (License) प्राप्त व्यक्ति द्वारा निर्मित (Manufactured) किया जाता है।

    • जब कोई शराब किसी डिस्टिलरी (Distillery), पॉट-स्टिल (Pot-Still) या ब्रेवरी (Brewery) में बनाई जाती है।

    • जब कोई नशीला पदार्थ कृषि (Cultivation) के माध्यम से उगाया जाता है या प्राकृतिक रूप से एकत्र (Collected) किया जाता है।

    राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह शराब की ताकत (Alcohol Strength) और गुणवत्ता (Quality) के आधार पर उत्पाद शुल्क की अलग-अलग दरें निर्धारित कर सकती है। यदि किसी शराब में अधिक अल्कोहल (Higher Alcohol Content) है या वह प्रीमियम (Premium) गुणवत्ता की है, तो उस पर अधिक शुल्क लगाया जा सकता है।

    उदाहरण (Illustration):

    मान लीजिए कि उदयपुर (Udaipur) में एक शराब निर्माता दो प्रकार की शराब बनाता है –

    1. प्रीमियम व्हिस्की (Premium Whiskey) जो बड़े शहरों में बेची जाती है।

    2. देशी शराब (Country Liquor) जो स्थानीय बाजार में बेची जाती है।

    यदि प्रीमियम व्हिस्की को जयपुर (Jaipur) जैसे महानगर में भेजा जाता है, तो इस पर अधिक उत्पाद शुल्क लगाया जा सकता है क्योंकि यह उच्च आय वर्ग (High Income Group) के लिए बनाई गई है। दूसरी ओर, यदि देशी शराब गांवों या छोटे शहरों में बेची जा रही है, तो उस पर अपेक्षाकृत कम शुल्क लगाया जा सकता है।

    सेक्शन 28 का उद्देश्य राजस्व बढ़ाने (Revenue Generation) के साथ-साथ शराब की कीमतों को नियंत्रित करना (Regulating Liquor Prices) और अत्यधिक शराब सेवन को हतोत्साहित करना (Discouraging Excessive Drinking) भी है।

    सेक्शन 28-A: प्राकृतिक और मानव-निर्मित आपदाओं के लिए अधिभार (Surcharge for Mitigating Natural or Manmade Calamities)

    सेक्शन 28-A राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 में एक महत्वपूर्ण संशोधन (Amendment) है, जो सरकार को प्राकृतिक (Natural) और मानव-निर्मित (Manmade) आपदाओं से निपटने के लिए अधिभार (Surcharge) लगाने की शक्ति देता है। अधिभार का अर्थ है – किसी मौजूदा कर (Tax) पर अतिरिक्त शुल्क (Additional Charge) लगाना।

    इस प्रावधान के तहत, सेक्शन 28 के तहत पहले से मौजूद उत्पाद शुल्क पर अतिरिक्त अधिभार लगाया जाता है। सरकार इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।

    यह अधिभार निम्नलिखित आपदाओं के लिए लगाया जा सकता है:

    • सूखा (Drought)

    • बाढ़ (Flood)

    • महामारी (Epidemic)

    • सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट (Public Health Emergencies)

    • आगजनी (Fire)

    इस अधिभार से मिलने वाले धन का उपयोग विशेष रूप से आपदाओं के प्रभाव को कम करने (Mitigation) और सहायता कार्यों (Relief Operations) के लिए किया जाता है।

    कैसे लागू किया जाता है? (Implementation of Surcharge)

    • यह अधिभार सेक्शन 28 में दिए गए उत्पाद शुल्क के अतिरिक्त (In Addition to Excise Duty) लगाया जाता है।

    • इसकी वसूली (Collection) भी उत्पाद शुल्क की तरह ही की जाती है।

    • सरकार को यह अधिकार है कि वह अधिभार वसूलने के लिए अलग से नियम बना सकती है (Government Can Frame Additional Rules)।

    उदाहरण (Illustration):

    1. यदि राजस्थान में भीषण सूखा पड़ता है, तो सरकार 30 प्रतिशत अधिभार लगा सकती है और इससे मिलने वाले धन का उपयोग किसानों को राहत देने और जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कर सकती है।

    2. महामारी (Epidemic) के दौरान सरकार 40 प्रतिशत अधिभार लगाकर चिकित्सा सुविधाएं (Medical Facilities) और दवाइयां (Medicines) उपलब्ध करा सकती है।

    3. किसी शहर में बड़ी आगजनी (Fire Incident) के बाद सरकार 25 प्रतिशत अधिभार लगाकर पुनर्वास (Rehabilitation) और पुनर्निर्माण (Reconstruction) के कार्य कर सकती है।

    सरकार के राजस्व और जनकल्याण (Revenue and Public Welfare) में इन प्रावधानों की भूमिका

    राजस्थान सरकार के लिए शराब पर लगने वाला कर (Liquor Taxation) प्रमुख राजस्व स्रोत (Major Revenue Source) है। सेक्शन 28 और 28-A राज्य सरकार को इस राजस्व को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने की शक्ति देते हैं।

    • उत्पाद शुल्क (Excise Duty) सरकार को शराब के व्यापार पर नियंत्रण (Regulation of Liquor Trade) रखने और अवैध व्यापार (Illegal Trade) को रोकने में मदद करता है।

    • अधिभार (Surcharge) प्राकृतिक और मानव-निर्मित आपदाओं के समय सरकार को तत्काल धन उपलब्ध कराता है, जिससे राहत कार्यों में तेजी आती है।

    • शराब पर अधिक कर लगाने से इसके अधिक सेवन को रोका जा सकता है, जिससे समाज में शराब से होने वाली हानियों (Alcohol Abuse) को कम किया जा सकता है।

    सेक्शन 28 और 28-A राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 में सरकार को राजस्व जुटाने (Revenue Collection), शराब पर नियंत्रण (Liquor Regulation) और आपदा राहत (Disaster Relief) के लिए मजबूत वित्तीय आधार (Strong Financial Framework) प्रदान करते हैं। इन प्रावधानों से सरकार शराब उद्योग को नियंत्रित (Control the Liquor Industry) करने के साथ-साथ जनहित में भी प्रभावी निर्णय ले सकती है।

    Next Story