किरायेदार का निष्कासन और मकान मालिक के अधिकार : हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम, 1987 की धारा 14

Himanshu Mishra

21 Feb 2025 12:10 PM

  • किरायेदार का निष्कासन और मकान मालिक के अधिकार : हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम, 1987 की धारा 14

    कानून के तहत किरायेदार (Tenant) को कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है, और उन्हें बिना किसी वैध कारण और कानूनी प्रक्रिया के मकान मालिक (Landlord) द्वारा घर या दुकान से निकाला (Eviction) नहीं जा सकता। धारा 14 (Section 14) के अनुसार, किसी भी किरायेदार को बिना इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन किए बाहर नहीं किया जा सकता।

    यह कानून सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक मनमाने ढंग से किरायेदार को बेदखल (Arbitrarily Evict) न कर सके। यह नियम उन मामलों पर लागू होता है जहां किराये की अवधि समाप्त हो गई हो या न हुई हो। अगर मकान मालिक किरायेदार को हटाना चाहता है, तो उसे पहले नियंत्रक (Controller) के पास आवेदन देना होगा, जो इस मामले की सुनवाई करेगा और यह तय करेगा कि क्या निष्कासन (Eviction) उचित है या नहीं।

    अब हम उन स्थितियों (Circumstances) पर चर्चा करेंगे जिनके आधार पर किसी किरायेदार को निकाला जा सकता है।

    1. किराये का भुगतान न करना (Non-Payment of Rent)

    निष्कासन (Eviction) का सबसे सामान्य कारण किराये का भुगतान न करना होता है। अगर किरायेदार किराये की देय तिथि (Due Date) के 15 दिनों के भीतर किराया नहीं चुकाता, तो मकान मालिक निष्कासन के लिए आवेदन कर सकता है।

    • अगर लिखित किरायेदारी अनुबंध (Written Rental Agreement) है, तो किराया अनुबंध में तय समय पर देना होगा।

    • अगर कोई लिखित अनुबंध नहीं है, तो किराया अगले महीने की अंतिम तारीख तक देना जरूरी है।

    उदाहरण (Illustration):

    रमेश ने श्री शर्मा से एक दुकान किराये पर ली और हर महीने की 5 तारीख को किराया देने की सहमति बनाई। लेकिन रमेश लगातार दो महीने तक किराया नहीं देता। श्री शर्मा उसे नोटिस भेजते हैं, फिर भी वह किराया नहीं चुकाता। इस स्थिति में, श्री शर्मा किरायेदार के निष्कासन (Eviction) के लिए आवेदन कर सकते हैं।

    किरायेदार को निष्कासन से बचने का अधिकार (Tenant's Right to Avoid Eviction)

    अगर किरायेदार ने किराया नहीं चुकाया है, तब भी कानून उसे एक अवसर (Chance) देता है ताकि वह बेदखल (Evict) होने से बच सके।

    • पहली सुनवाई (First Hearing) में, अगर किरायेदार पूरा बकाया किराया 12% वार्षिक ब्याज (Annual Interest) और कानूनी खर्च (Legal Costs) के साथ चुका देता है, तो उसे किराया समय पर चुकाया मान लिया जाएगा।

    • अगर बकाया किराया इस अधिनियम के लागू होने से पहले का है, तो भी 12% वार्षिक ब्याज लगेगा।

    • अगर नियंत्रक निष्कासन का आदेश (Eviction Order) जारी कर देता है, फिर भी किरायेदार 30 दिनों के भीतर पूरा किराया चुका कर संपत्ति में रह सकता है।

    उदाहरण (Illustration):

    अगर रमेश पहली सुनवाई में सारा बकाया किराया ब्याज और कानूनी खर्च के साथ चुका देता है, तो निष्कासन याचिका रद्द हो जाएगी। लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करता और निष्कासन आदेश के 30 दिनों के भीतर भुगतान करता है, तो भी उसे संपत्ति खाली नहीं करनी होगी।

    2. बिना अनुमति सबलेट करना (Subletting Without Permission)

    अगर किरायेदार मकान मालिक की लिखित अनुमति (Written Permission) के बिना किसी और को संपत्ति किराये पर देता है (Subletting), तो मकान मालिक उसे निकाल सकता है।

    उदाहरण (Illustration):

    नेहा ने श्री वर्मा से दो कमरे का फ्लैट किराये पर लिया। बिना बताए, उसने एक कमरा अपनी दोस्त को किराये पर दे दिया। चूंकि यह मकान मालिक की लिखित अनुमति के बिना किया गया, इसलिए श्री वर्मा निष्कासन के लिए आवेदन कर सकते हैं।

    3. संपत्ति का उपयोग बदलना (Change of Use of Property)

    अगर किरायेदार संपत्ति को किराये के उद्देश्य (Rental Purpose) के अनुसार नहीं इस्तेमाल करता, तो मकान मालिक निष्कासन के लिए आवेदन कर सकता है।

    उदाहरण (Illustration):

    अमित ने एक दुकान किताबों की दुकान (Bookstore) के लिए किराये पर ली। कुछ समय बाद, उसने वहां एक रेस्टोरेंट (Restaurant) खोल दिया। चूंकि किरायेदारी का उद्देश्य बदल दिया गया, इसलिए मकान मालिक उसे बेदखल (Evict) कर सकता है।

    4. संपत्ति को नुकसान पहुंचाना (Damaging the Property)

    अगर किरायेदार संपत्ति को इस तरह नुकसान पहुंचाता है कि उसकी कीमत या उपयोगिता कम हो जाए, तो मकान मालिक निष्कासन के लिए आवेदन कर सकता है।

    उदाहरण (Illustration):

    राहुल ने श्री गुप्ता से एक घर किराये पर लिया। उसने लकड़ी की फर्श हटा दी, दीवारें तोड़ दीं और पाइपलाइन बदल दी। इससे घर की कीमत और संरचना को नुकसान हुआ, इसलिए मकान मालिक उसे हटा सकता है।

    5. पड़ोसियों को परेशानी देना (Causing Nuisance to Neighbors)

    अगर किरायेदार पड़ोसियों को गंभीर रूप से परेशान करता है तो मकान मालिक निष्कासन के लिए आवेदन कर सकता है।

    उदाहरण (Illustration):

    सोहन ने एक फ्लैट किराये पर लिया लेकिन रात में तेज़ आवाज़ में म्यूजिक बजाने लगा और अन्य लोगों की पार्किंग में गाड़ी लगाने लगा। पड़ोसियों को बार-बार परेशानी होने के कारण मकान मालिक निष्कासन के लिए आवेदन कर सकता है।

    6. संपत्ति का लंबे समय तक उपयोग न करना (Not Using the Property for a Long Time)

    अगर किरायेदार लगातार 12 महीने तक संपत्ति का उपयोग नहीं करता, तो मकान मालिक निष्कासन का आवेदन कर सकता है।

    उदाहरण (Illustration):

    मीरा ने एक दुकान किराये पर ली लेकिन बिना बताए दो साल के लिए दूसरे शहर चली गई। दुकान 12 महीने से अधिक समय तक बंद पड़ी रही, इसलिए मकान मालिक निष्कासन के लिए आवेदन कर सकता है।

    नियंत्रक (Controller) की भूमिका

    • अगर नियंत्रक को वैध कारण मिलते हैं, तो वह किरायेदार को संपत्ति खाली करने का आदेश देगा।

    • अगर नियंत्रक को लगता है कि निष्कासन का कोई ठोस कारण नहीं है, तो वह मकान मालिक की याचिका खारिज कर सकता है।

    • नियंत्रक किरायेदार को अतिरिक्त समय दे सकता है, लेकिन यह समय तीन महीने से अधिक नहीं हो सकता।

    धारा 14 सुनिश्चित करती है कि किरायेदारों को अनुचित रूप से नहीं निकाला जा सकता, लेकिन मकान मालिक को भी यह अधिकार देती है कि अगर किरायेदार अनुबंध का उल्लंघन करता है तो वह निष्कासन के लिए आवेदन कर सकता है।

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