राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 4, 5 और 6 के अंतर्गत राजस्व बोर्ड की स्थापना, सदस्यता और कार्यस्थल

Himanshu Mishra

19 April 2025 11:25 AM

  • राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 4, 5 और 6 के अंतर्गत राजस्व बोर्ड की स्थापना, सदस्यता और कार्यस्थल

    राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 (Rajasthan Land Revenue Act, 1956) राज्य में भूमि से संबंधित प्रशासन को संचालित करने वाला एक प्रमुख कानून है। इस अधिनियम के अंतर्गत जो सबसे महत्वपूर्ण संस्था बनाई गई है, वह है राजस्व बोर्ड (Board of Revenue)। यह बोर्ड भूमि से जुड़े मामलों में सर्वोच्च स्तर की संस्था मानी जाती है।

    इस लेख में हम इस अधिनियम की धारा 4 (Section 4), धारा 5 (Section 5) और धारा 6 (Section 6) को विस्तार से सरल हिंदी में समझेंगे। साथ ही उदाहरण (Illustration) के ज़रिए इन प्रावधानों को और भी आसान बनाएंगे।

    धारा 4: बोर्ड की स्थापना और गठन (Establishment and Composition of the Board)

    उपधारा (1): बोर्ड की स्थापना (Establishment of the Board)

    इस उपधारा के अनुसार, राजस्थान राज्य में एक राजस्व बोर्ड (Board of Revenue) की स्थापना की जाएगी। इसे ही आगे अधिनियम में “बोर्ड” कहा जाएगा। इसका अर्थ है कि यह बोर्ड राज्य के लिए अनिवार्य (Mandatory) है।

    Illustration (उदाहरण):

    मान लीजिए किसी व्यक्ति की ज़मीन को गलत कैटेगरी (Category) में डाल दिया गया है। अगर उसने तहसीलदार (Tehsildar) और कलेक्टर (Collector) के पास शिकायत की और निर्णय से संतुष्ट नहीं हुआ, तो वह अंत में इस बोर्ड के पास अपील कर सकता है। बोर्ड का निर्णय अंतिम और सर्वोच्च होता है।

    उपधारा (2): बोर्ड के सदस्य (Members of the Board)

    यह उपधारा बताती है कि बोर्ड में एक अध्यक्ष (Chairman) और कम से कम तीन तथा अधिकतम पंद्रह अन्य सदस्य (Members) होंगे। यानी बोर्ड में न्यूनतम चार और अधिकतम सोलह सदस्य हो सकते हैं।

    Illustration (उदाहरण):

    अगर राज्य में रेवेन्यू से जुड़े केस बहुत ज्यादा हो जाते हैं, तो सरकार पंद्रह सदस्यों तक की नियुक्ति कर सकती है ताकि मामले जल्दी निपटें। अगर कम केस हैं, तो सिर्फ चार सदस्य भी पर्याप्त होंगे।

    उपधारा (3): सरकारी गजट में प्रकाशन (Notification in Official Gazette)

    बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति होने के बाद उनकी सूचना को सरकारी गजट (Official Gazette) में प्रकाशित किया जाएगा। यह पारदर्शिता (Transparency) और वैधता (Legality) सुनिश्चित करता है।

    Illustration (उदाहरण):

    अगर सरकार ने एक नया अध्यक्ष नियुक्त किया है, तो उसकी जानकारी राजस्थान गजट में प्रकाशित की जाएगी ताकि सबको औपचारिक रूप से इसकी सूचना मिल सके।

    उपधारा (4): योग्यता, चयन और सेवा शर्तें (Eligibility, Selection, and Service Conditions)

    इस उपधारा के अनुसार, राज्य सरकार यह तय करेगी कि बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं (Qualifications) होनी चाहिए, उनका चयन कैसे होगा (Method of Selection) और उनकी सेवा शर्तें (Service Conditions) क्या होंगी।

    एक प्रावधान (Proviso) भी जोड़ा गया है—अगर सरकार ने अभी तक नई योग्यताएं तय नहीं की हैं, तो पहले की ही योग्यताएं तब तक लागू रहेंगी जब तक नई व्यवस्था नहीं बनती।

    Illustration (उदाहरण):

    मान लीजिए सरकार ने अभी तक नई योग्यताएं तय नहीं की हैं, तो भी पुराने नियमों के अनुसार योग्य व्यक्ति की नियुक्ति हो सकती है और बोर्ड का काम बिना रुकावट चलता रहेगा।

    उपधारा (5): रिक्तियों से बोर्ड अमान्य नहीं (Constitution Not Invalid Due to Vacancies)

    यह उपधारा कहती है कि अगर बोर्ड में किसी सदस्य की मृत्यु (Death), इस्तीफा (Resignation), कार्यकाल समाप्ति (Expiry of Term), हटाए जाने (Termination) या अस्थायी अनुपस्थिति (Temporary Absence) हो जाती है, तो भी बोर्ड अमान्य (Invalid) नहीं माना जाएगा।

    Illustration (उदाहरण):

    अगर कोई सदस्य इस्तीफा दे देता है और नया सदस्य अभी नियुक्त नहीं हुआ है, तो भी बाकी सदस्य काम कर सकते हैं। इसी तरह अगर अध्यक्ष कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर हैं, तब भी बोर्ड का काम रुकता नहीं।

    धारा 5: सदस्यों का कार्यकाल (Tenure of Members)

    इस धारा के अनुसार, बोर्ड के सभी सदस्य राज्यपाल (Governor) की इच्छा (Pleasure) पर पद पर बने रहते हैं। इसका मतलब है कि उनके कार्यकाल की कोई निश्चित अवधि नहीं है। राज्यपाल जब चाहें उन्हें पद से हटा सकते हैं।

    Illustration (उदाहरण):

    अगर कोई सदस्य अपने पद का दुरुपयोग करता है या ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो राज्यपाल उसे कार्यकाल पूरा होने से पहले भी हटा सकते हैं। इससे अनुशासन और जवाबदेही (Accountability) बनी रहती है।

    धारा 6: बैठक का स्थान (Place of Sitting)

    इस धारा में बताया गया है कि राजस्व बोर्ड का मुख्यालय (Headquarters) अजमेर (Ajmer) में होगा। लेकिन अगर सरकार आदेश दे, तो बोर्ड राज्य के किसी भी स्थान पर बैठकर कार्यवाही कर सकता है।

    इससे बोर्ड को लचीलापन (Flexibility) मिलता है कि वह जनता की सुविधा के अनुसार अन्य स्थानों पर भी बैठ सके।

    Illustration (उदाहरण):

    अगर किसी ज़िले जैसे कि जोधपुर में रेवेन्यू केस बहुत अधिक हैं, तो सरकार विशेष आदेश देकर बोर्ड को कुछ समय के लिए वहीं बैठने की अनुमति दे सकती है। इससे लोगों को बार-बार अजमेर जाने की ज़रूरत नहीं होगी।राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की ये तीन धाराएं—धारा 4, 5 और 6—राज्य के राजस्व बोर्ड (Board of Revenue) की नींव रखती हैं। ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि राज्य में एक मजबूत और प्रभावी संस्था हो जो भूमि और राजस्व से संबंधित विवादों को अंतिम स्तर पर निपटाए।

    संक्षेप में:

    • धारा 4 बोर्ड की स्थापना, संरचना और नियुक्ति प्रक्रिया को निर्धारित करती है।

    • धारा 5 यह स्पष्ट करती है कि सदस्य राज्यपाल की इच्छा से पद पर बने रहेंगे।

    • धारा 6 यह बताती है कि मुख्यालय अजमेर होगा, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर बोर्ड कहीं और भी बैठ सकता है।

    ये प्रावधान राजस्थान जैसे बड़े राज्य में न्याय, पारदर्शिता और कार्यक्षमता (Justice, Transparency, and Efficiency) को सुनिश्चित करते हैं। भूमि विवाद आम जनजीवन का हिस्सा हैं, और इस तरह की संस्था उन्हें न्याय दिलाने में मदद करती है।

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