निर्वाचन अधिकारियों को अपनी ड्यूटी में लापरवाही करने पर सजा

Shadab Salim

30 Aug 2025 9:50 AM IST

  • निर्वाचन अधिकारियों को अपनी ड्यूटी में लापरवाही करने पर सजा

    Representation of the People Act, 1950 की धारा 32 निर्वाचन अधिकारियों द्वारा आधिकारिक कर्तव्य के उल्लंघन को दंडनीय बनाती है, जो मतदाता सूची की शुद्धता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। धारा 32 का मुख्य उद्देश्य निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (Electoral Registration Officers - ERO) और सहायक अधिकारियों को उनके कर्तव्यों का पालन करने के लिए बाध्य करना है। यदि कोई अधिकारी बिना उचित कारण के मतदाता सूची की तैयारी, संशोधन या सुधार में लापरवाही बरतता है, तो वह दो साल तक की सज़ा से दंडित हो सकता है।

    यह धारा स्पष्ट रूप से अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करती है। बिना उचित कारण का तत्व महत्वपूर्ण है, जो साबित करना अभियोजन पक्ष की जिम्मेदारी है। धारा 32 अधिनियम की अन्य धाराओं से जुड़ी है, जैसे धारा 28 (निर्वाचन अधिकारियों की शक्तियां) और धारा 31 (झूठी घोषणाओं के लिए दंड)। यदि कोई अधिकारी झूठी प्रविष्टि को जानबूझकर अनदेखा करता है, तो यह धारा 32 के अंतर्गत आ सकता है।

    उप-धारा (2) सद्भावना में किए गए कार्यों को सुरक्षा प्रदान करती है, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 52 के अनुरूप है। यह प्रावधान अधिकारियों को अनावश्यक मुकदमों से बचाता है, लेकिन लापरवाही को माफ नहीं करता। निर्वाचन आयोग धारा 32 के तहत शिकायत दर्ज करने का अधिकार रखता है, जैसा कि धारा 32(3) में उल्लिखित है।

    धारा 32 निर्वाचन प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाती है। भारत में मतदाता सूची की तैयारी ECI के अधीन होती है, और यह निरंतर प्रक्रिया है। अधिकारियों की लापरवाही से फर्जी मतदाता, डुप्लिकेट प्रविष्टियां या अयोग्य व्यक्तियों का पंजीकरण हो सकता है, जो चुनाव परिणाम प्रभावित करता है। जैसे यदि ERO बिना जांच के नाम शामिल करता है, तो यह लोकतंत्र के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

    ECI ने कई बार निर्देश जारी किए हैं कि धारा 32 के तहत लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। जैसे, बूथ स्तर के अधिकारी (Booth Level Officers - BLO) मतदाता सूची अपडेट करने के जिम्मेदार हैं, और उनकी चूक दंडनीय है। यह प्रावधान मतदाता जागरूकता बढ़ाता है और अधिकारियों को सतर्क रखता है।

    भारत में धारा 32 का महत्व बढ़ता जा रहा है, क्योंकि डिजिटल युग में मतदाता पंजीकरण ऑनलाइन हो रहा है। ECI की रिपोर्ट्स के अनुसार, 2024 में लाखों फर्जी प्रविष्टियां हटाई गईं, जो अधिकारियों की भूमिका पर प्रकाश डालती हैं। यह धारा अनुच्छेद 326 (वयस्क मताधिकार) को मजबूत करती है, क्योंकि शुद्ध मतदाता सूची ही निष्पक्ष चुनाव का आधार है। राजनीतिक दलों के लिए भी यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि लापरवाही चुनावी विवाद पैदा कर सकती है। हालांकि, उप-धारा (2) सद्भावना की सुरक्षा प्रदान कर अधिकारियों को प्रोत्साहित करती है।

    एक मामले में याचिकाकर्ता ने धारा 32 के तहत दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की। तथ्य: आरोप था कि ERO ने झूठी घोषणाओं पर कार्रवाई नहीं की, जो आधिकारिक कर्तव्य का उल्लंघन था। कोर्ट ने कहा कि धारा 32(3) (प्रक्रियात्मक बार) के अनुसार, ECI या मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अनुमति बिना अभियोजन नहीं हो सकता। यह निर्णय धारा 32 की प्रक्रियात्मक सुरक्षा स्थापित करता है, जो अधिकारियों को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाता है।

    एक मामला ERO के समक्ष झूठी घोषणाओं पर मामला, जहां धारा 31 और 32(1) के बीच अंतर। इस पर न्यायालय ने कहा कि अपराध धारा 31 के अंतर्गत है, न कि 32(1), और ECI की अनुमति आवश्यक है। यह निर्णय धारा 32 की सख्त व्याख्या करता है, विभिन्न अपराधों को अलग करता है।

    यह धारा 32 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की एक महत्वपूर्ण धारा है, जो निर्वाचन अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करती है। कोई भी कर्तव्य से विमुख होने पर सज़ा दिए जाने के प्रावधान रखे गए हैं।

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