क्या ICAI को Tax Audits की संख्या पर सीमा लगाने का अधिकार है?
Himanshu Mishra
25 Aug 2025 4:32 PM IST

Shaji Poulose v. Institute of Chartered Accountants of India का मामला इस मूल प्रश्न पर केन्द्रित था कि Institute of Chartered Accountants of India (ICAI) को यह अधिकार है या नहीं कि वह किसी Chartered Accountant (CA) द्वारा किए जाने वाले Tax Audits की अधिकतम संख्या तय करे।
ICAI ने एक Guideline के ज़रिए यह सीमा (Ceiling) तय की थी, जिसे चुनौती दी गई। इस चुनौती ने यह मुद्दा उठाया कि क्या ICAI का यह कदम Chartered Accountants Act, 1949 के अंतर्गत वैध है और क्या यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) के अंतर्गत मिलने वाले मौलिक अधिकार (Fundamental Right) का उल्लंघन करता है।
Chartered Accountants Act, 1949 के अंतर्गत ICAI की शक्ति (Scope of Power under the Chartered Accountants Act, 1949)
सुप्रीम कोर्ट ने Chartered Accountants Act, 1949 की उन धाराओं की पड़ताल की, जिनसे ICAI को Chartered Accountants के पेशे (Profession) को नियंत्रित और नियमित (Regulate) करने का अधिकार मिला है। इस अधिनियम के Section 22 और Schedule I & II में सदस्यों के Misconduct (ग़लत आचरण) की परिभाषा दी गई है। ICAI ने दलील दी कि यह सीमा गुणवत्ता (Quality) सुनिश्चित करने और कार्य का एकाधिकार (Monopoly) रोकने के लिए लगाई गई थी।
कोर्ट ने माना कि ICAI एक स्व-नियामक (Self-Regulatory) संस्था है और इसका दायित्व केवल अपने सदस्यों के हित की रक्षा करना ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक हित (Public Interest) को भी सुरक्षित रखना है। इसीलिए, अगर ऐसी संस्था पेशेवर मानकों को बनाए रखने के लिए नियम बनाती है, तो उन्हें मनमाना (Arbitrary) नहीं कहा जा सकता।
पेशा अपनाने का मौलिक अधिकार और युक्तिसंगत प्रतिबंध (Fundamental Right to Practice and Reasonable Restrictions)
इस मामले का दूसरा प्रमुख मुद्दा यह था कि क्या यह सीमा अनुच्छेद 19(1)(g) के अंतर्गत गारंटीकृत मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। संविधान के अनुच्छेद 19(6) के अनुसार, राज्य (State) किसी भी पेशे पर सार्वजनिक हित में युक्तिसंगत (Reasonable) प्रतिबंध लगा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि यह Guideline पेशा करने पर रोक (Prohibition) नहीं है, बल्कि केवल एक नियमितीकरण (Regulation) है। एक Chartered Accountant अपने पेशे को जारी रख सकता है, लेकिन Audit की संख्या पर सीमा इसलिए है ताकि गुणवत्ता से समझौता न हो।
इस सिद्धांत की पुष्टि पहले भी कई मामलों में हुई थी। जैसे Indian Medical Association v. Union of India और Vinod Kumar Gupta v. ICAI में अदालतों ने माना कि प्रोफेशनल संस्थाएँ अपने क्षेत्र में गुणवत्ता और मानक बनाए रखने के लिए नियम बना सकती हैं।
पेशेवर मानकों को बनाए रखने में ICAI की भूमिका (Role of ICAI in Maintaining Professional Standards)
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि Audit केवल एक तकनीकी काम नहीं है बल्कि सार्वजनिक महत्व का कार्य है। अगर एक CA अत्यधिक संख्या में Tax Audits करता है, तो स्वाभाविक है कि गुणवत्ता प्रभावित होगी। Audit में त्रुटि (Error) या लापरवाही (Negligence) का असर न केवल क्लाइंट पर बल्कि पूरे वित्तीय तंत्र (Financial System) पर पड़ता है।
इसलिए ICAI का यह कदम कि हर CA सीमित संख्या में Tax Audits करे, पेशे की गरिमा (Dignity of Profession) और सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए आवश्यक है।
युक्तिसंगत नियमन का सिद्धांत (Principle of Reasonable Regulation)
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में पहले दिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों का हवाला दिया। P.A. Inamdar v. State of Maharashtra और Modern Dental College v. State of Madhya Pradesh में कोर्ट ने कहा था कि पेशे की स्वतंत्रता (Freedom of Profession) पूर्ण (Absolute) नहीं है। इसे सार्वजनिक हित में सीमित किया जा सकता है, बशर्ते कि प्रतिबंध युक्तिसंगत (Reasonable) हो और उद्देश्य गुणवत्ता (Quality) बनाए रखना हो।
नियमन और निषेध का अंतर (Distinction between Regulation and Prohibition)
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि Regulation (नियमन) और Prohibition (निषेध) में अंतर है। Regulation का उद्देश्य पेशे की गुणवत्ता और पारदर्शिता (Transparency) बनाए रखना है जबकि Prohibition पेशे को पूरी तरह रोक देता है। ICAI की Guideline केवल नियमन है, क्योंकि यह CA को पेशा अपनाने से नहीं रोकती बल्कि केवल Audit की अधिकतम संख्या तय करती है।
Shaji Poulose v. ICAI का निर्णय यह स्थापित करता है कि ICAI जैसी स्व-नियामक संस्थाएँ (Self-Regulatory Bodies) अपने सदस्यों पर पेशेवर मानक (Professional Standards) लागू करने के लिए नियम बना सकती हैं। Tax Audits की संख्या पर सीमा लगाना मनमाना नहीं बल्कि Article 19(6) के अंतर्गत एक युक्तिसंगत प्रतिबंध (Reasonable Restriction) है।
यह फैसला स्पष्ट करता है कि पेशेवर स्वतंत्रता (Professional Freedom) को पूरी तरह निरंकुश नहीं माना जा सकता। सार्वजनिक हित (Public Interest) और पेशे की गरिमा (Dignity of Profession) को बनाए रखने के लिए इस तरह के प्रतिबंध आवश्यक हैं।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने ICAI की Ceiling Limit Guideline को वैध (Valid) और लागू (Enforceable) माना।

