क्या किसी राज्य को CBI की Consent वापसी के बाद Article 131 के तहत केंद्र के खिलाफ Suit दायर करने का अधिकार है?
Himanshu Mishra
29 Aug 2025 4:55 PM IST

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने State of West Bengal v. Union of India (2024 INSC 502) में एक बेहद अहम संवैधानिक सवाल (Constitutional Question) पर विचार किया। यह मामला सीधे Article 131 (Original Jurisdiction of Supreme Court) के तहत दायर किया गया था, जो केंद्र और राज्यों के बीच विवादों (Disputes) को सुनने का विशेष अधिकार सुप्रीम कोर्ट को देता है।
मुख्य प्रश्न यह था कि क्या पश्चिम बंगाल राज्य CBI (Central Bureau of Investigation) की कार्यवाही को चुनौती दे सकता है, जब उसने DSPE Act, 1946 की Section 6 के तहत दी गई अपनी Consent (सहमति) वापस ले ली है। यह मामला Federalism (संघवाद), राज्य की स्वायत्तता और केंद्र के अधिकारों की सीमा को परिभाषित करता है।
Article 131 का संवैधानिक आधार (Constitutional Basis of Article 131)
Article 131 सुप्रीम कोर्ट को विशेष अधिकार देता है कि वह उन विवादों को सुने जो केंद्र और राज्यों के बीच होते हैं। यह अधिकार किसी भी अन्य अदालत के पास नहीं है। लेकिन यह केवल उन्हीं विवादों पर लागू होता है जिनमें Legal Right (कानूनी अधिकार) के अस्तित्व या दायरे पर सवाल हो।
शब्द “Subject to the provisions of this Constitution” की अलग-अलग व्याख्या (Interpretation) हुई है। केंद्र का तर्क है कि चूंकि अन्य प्रावधान जैसे Article 136 (Special Leave Jurisdiction) या Article 226 (High Court Writ Jurisdiction) उपलब्ध हैं, इसलिए Article 131 का प्रयोग सीमित है।
दूसरी ओर, राज्यों का कहना है कि यह वाक्य केवल उन मामलों को बाहर करता है जहां संविधान ने स्पष्ट रूप से सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को निषिद्ध (Prohibited) किया है, जैसे Article 262 (जल विवाद) या Article 279A(11) (GST Council)।
DSPE Act का ढांचा (Framework of DSPE Act)
Delhi Special Police Establishment Act, 1946 यानी DSPE Act CBI की शक्तियों (Powers) और अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) को नियंत्रित करता है।
• Section 3: किन अपराधों (Offences) की जाँच CBI करेगी, यह केंद्र सरकार तय करती है।
• Section 5: केंद्र सरकार राज्यों में CBI का अधिकार क्षेत्र बढ़ा सकती है।
• Section 6: परंतु, किसी राज्य की सीमा में प्रवेश करने से पहले CBI को उस राज्य की Consent (सहमति) लेनी अनिवार्य है।
यह प्रावधान संघीय ढांचे (Federal Structure) का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने Committee for Protection of Democratic Rights (2010) में कहा कि केवल उच्च न्यायालय (Article 226) और सुप्रीम कोर्ट (Article 32) ही विशेष परिस्थितियों में CBI को बिना राज्य की सहमति के जांच का आदेश दे सकते हैं।
Article 131 पर महत्वपूर्ण न्यायिक मिसालें (Judicial Precedents)
State of Bihar v. Union of India (1970): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Article 131 केवल केंद्र और राज्यों के बीच विवादों के लिए है। कोई निजी पार्टी (Private Party), कंपनी या व्यक्ति इस दायरे में नहीं आता।
State of Rajasthan v. Union of India (1977): सात जजों की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि Article 131 केवल Legal Rights से जुड़े विवादों पर लागू होता है, न कि Political Wrangles (राजनीतिक टकरावों) पर। जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्यों का Legal Right of Immunity (केंद्र से अतिरेक से मुक्त रहने का अधिकार) है, और वे इसे Article 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट में उठा सकते हैं।
S.R. Bommai v. Union of India (1994): कोर्ट ने कहा कि Federalism संविधान की Basic Structure (मूल संरचना) का हिस्सा है। इसलिए, जब भी केंद्र और राज्यों के बीच अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) पर विवाद हो, तो यह महज प्रशासनिक मुद्दा नहीं बल्कि संवैधानिक प्रश्न बन जाता है।
Consent वापसी का महत्व (Significance of Withdrawal of Consent)
CBI का किसी राज्य में काम करना केवल Consent पर निर्भर है। Kazi Lhendup Dorji v. CBI (1994) और Subramanian Swamy v. CBI (2014) में सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि बिना Consent CBI की जांच असंवैधानिक है, जब तक कि कोर्ट का आदेश न हो।
इसका अर्थ है कि यदि कोई राज्य Consent वापस ले लेता है, तो CBI का उस राज्य में नए मामले दर्ज करना या जांच करना राज्य की पुलिस की शक्तियों (Powers of Police) का उल्लंघन है।
Maintainability का प्रश्न (Question of Maintainability)
केंद्र ने कहा कि विवाद वास्तव में राज्य और CBI के बीच है, न कि राज्य और केंद्र के बीच, इसलिए Article 131 लागू नहीं होता। लेकिन राज्य ने तर्क दिया कि CBI अपनी सारी शक्ति DSPE Act से लेती है, और यह अधिनियम (Statute) खुद केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित है। इसलिए, CBI का हर कदम केंद्र की ओर ही इंगित करता है।
साथ ही, Consent से जुड़ा प्रश्न एक Legal Right का विवाद है, महज राजनीतिक नहीं। इस कारण इसे Article 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट सुन सकता है।
संघीय ढांचा और मूल संरचना सिद्धांत (Federal Structure and Basic Structure Doctrine)
संविधान ने राज्यों को पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) पर विशेष अधिकार दिए हैं। यह Entry 1 और 2, List II (State List) में स्पष्ट है। Section 6 DSPE Act इस अधिकार का संवैधानिक प्रतिबिंब (Constitutional Reflection) है।
Committee for Protection of Democratic Rights (2010) ने स्पष्ट किया कि केवल न्यायपालिका (Judiciary) ही अपवाद बना सकती है, न कि केंद्र। अतः यदि CBI Consent वापसी के बाद भी राज्य में प्रवेश करती है, तो यह न केवल DSPE Act का उल्लंघन है बल्कि संघवाद (Federalism) के मूलभूत सिद्धांत को भी ठेस पहुँचाता है।
Legal Right की व्याख्या (Interpretation of Legal Right)
State of Rajasthan v. Union of India ने बताया कि “Legal Right” केवल संवैधानिक अधिकार (Constitutional Right) तक सीमित नहीं है। इसमें वैधानिक अधिकार (Statutory Rights) भी आते हैं। किसी राज्य का यह अधिकार कि उसकी सीमा में पुलिसिंग (Policing) वही करेगी और केंद्र तभी हस्तक्षेप करेगा जब Consent हो—यह एक स्पष्ट Legal Right है।
इसलिए यह विवाद पूरी तरह Article 131 के दायरे में आता है।
State of West Bengal v. Union of India मामला यह स्पष्ट करता है कि जब कोई राज्य DSPE Act की Section 6 के तहत Consent वापस ले लेता है, तो यह केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि संवैधानिक विवाद बन जाता है। Article 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट ही इस तरह के विवादों को सुन सकता है।
यह निर्णय दो महत्वपूर्ण बातों की याद दिलाता है—
1. Supreme Court संघीय संतुलन (Federal Balance) का संरक्षक है।
2. केंद्र और राज्यों दोनों को अपनी संवैधानिक सीमाओं का सम्मान करना चाहिए।

