पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 18, 19, 20 के तहत विवेकाधीन दस्तावेज और प्रस्तुति के नियम

Himanshu Mishra

23 July 2025 5:45 PM IST

  • पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 18, 19, 20 के तहत विवेकाधीन दस्तावेज और प्रस्तुति के नियम

    18. जिन दस्तावेजों का पंजीकरण वैकल्पिक है (Documents of which registration is optional)

    यह धारा उन दस्तावेजों की सूची प्रदान करती है जिनका पंजीकरण (registration) अनिवार्य (compulsory) नहीं है, बल्कि वैकल्पिक (optional) है। इसका मतलब है कि इन दस्तावेजों को पंजीकृत कराना या न कराना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। हालांकि, पंजीकरण कराने से ऐसे दस्तावेजों को कानूनी वैधता और सार्वजनिक रिकॉर्ड में स्थान मिलता है, जो भविष्य के विवादों से बचने में सहायक हो सकता है।

    निम्नलिखित दस्तावेज इस अधिनियम के तहत पंजीकृत किए जा सकते हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है:

    • (a) ₹100 से कम मूल्य के अचल संपत्ति (immovable property) में किसी अधिकार (right), शीर्षक (title) या हित (interest) को वर्तमान या भविष्य में बनाने, घोषित करने, सौंपने, सीमित करने या बुझाने वाले विलेख (instruments) (उपहार विलेख और वसीयत को छोड़कर): यह उन छोटे मूल्य के संपत्ति लेनदेन को कवर करता है जो धारा 17(1)(b) में अनिवार्य पंजीकरण की ₹100 या उससे अधिक की सीमा में नहीं आते। यदि कोई दस्तावेज ₹100 से कम मूल्य की अचल संपत्ति पर किसी अधिकार को प्रभावित करता है, तो उसका पंजीकरण वैकल्पिक है।

    o उदाहरण: रमेश एक छोटे से बाग का अधिकार ₹50 में अपने पड़ोसी को देता है। इस समझौते को पंजीकृत कराना अनिवार्य नहीं है, लेकिन वे इसे अपनी इच्छानुसार करा सकते हैं।

    • (b) ऐसे किसी अधिकार, शीर्षक या हित के निर्माण, घोषणा, हस्तांतरण, सीमा या समाप्ति के बदले किसी भी प्रतिफल (consideration) की प्राप्ति या भुगतान को स्वीकार करने वाले विलेख: यह उन दस्तावेजों को संदर्भित करता है जो ₹100 से कम मूल्य के अचल संपत्ति हित के बदले में पैसे के लेन-देन की पुष्टि करते हैं, जिस पर धारा 17(1)(c) लागू नहीं होती।

    o उदाहरण: एक रसीद जो दर्शाती है कि आपको ₹70 मिले हैं, जो एक छोटी सी भूमि के एक हिस्से पर आपके अधिकार को छोड़ने के बदले में थे। इसका पंजीकरण वैकल्पिक है।

    • (c) अचल संपत्ति के पट्टे (leases) जो एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए न हों, और धारा 17 के तहत छूट प्राप्त पट्टे: यदि पट्टा समझौता एक वर्ष या उससे कम अवधि के लिए है, तो उसका पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। साथ ही, धारा 17 के प्रावधान (proviso) के तहत छूट प्राप्त छोटे पट्टे भी वैकल्पिक हैं।

    o उदाहरण: यदि आप एक छोटी सी दुकान 11 महीने के लिए किराए पर लेते हैं, तो उस पट्टा विलेख का पंजीकरण कराना आपकी इच्छा पर निर्भर करता है।

    • (cc) [हाल ही में जोड़ा गया] न्यायालय (Court) के किसी डिक्री (decree) या आदेश (order) या किसी अवॉर्ड (award) को हस्तांतरित या असाइन करने वाले विलेख, जब ऐसी डिक्री, आदेश या अवॉर्ड ₹100 से कम मूल्य के अचल संपत्ति में किसी भी अधिकार, शीर्षक या हित को वर्तमान या भविष्य में बनाते, घोषित करते, सौंपते, सीमित करते या बुझाते हैं: यह धारा 17(1)(e) का पूरक है, जो ₹100 से कम मूल्य के अदालती निर्णयों से संबंधित है।

    o उदाहरण: एक न्यायालय का छोटा सा आदेश जो ₹80 मूल्य की अचल संपत्ति के एक हिस्से पर किसी के अधिकार को प्रभावित करता है, उसका पंजीकरण वैकल्पिक है।

    • (d) जंगम संपत्ति (movable property) में किसी अधिकार, शीर्षक या हित को बनाने, घोषित करने, सौंपने, सीमित करने या बुझाने वाले विलेख (वसीयत को छोड़कर): यह उन दस्तावेजों को कवर करता है जो अचल संपत्ति के बजाय चल संपत्ति (जैसे गहने, वाहन, मशीनरी) से संबंधित अधिकार प्रभावित करते हैं।

    o उदाहरण: एक दस्तावेज जो यह बताता है कि आपने अपनी कार पर किसी और को कुछ अधिकार दिए हैं (जैसे बंधक नहीं, बल्कि केवल उपयोग का अधिकार)। इसका पंजीकरण वैकल्पिक है।

    • (e) वसीयत (wills): वसीयतें, जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति के वितरण से संबंधित होती हैं, उनका पंजीकरण हमेशा वैकल्पिक होता है। हालाँकि, पंजीकृत वसीयत को अक्सर अधिक विश्वसनीय माना जाता है।

    o उदाहरण: एक व्यक्ति अपनी वसीयत लिखता है जिसमें वह अपनी सभी संपत्ति अपने बच्चों को देता है। वह इसे पंजीकृत करा सकता है या नहीं करा सकता है।

    • (f) अन्य सभी दस्तावेज जिन्हें धारा 17 द्वारा पंजीकृत करना आवश्यक नहीं है: यह एक व्यापक श्रेणी है जिसमें वे सभी दस्तावेज शामिल हैं जो धारा 17 के तहत अनिवार्य रूप से पंजीकृत होने की आवश्यकता में नहीं आते।

    19. पंजीकरण अधिकारी को समझ में न आने वाली भाषा में दस्तावेज (Documents in language not understood by registering officer)

    यह धारा पंजीकरण प्रक्रिया में भाषा की बाधा को संबोधित करती है। यदि पंजीकरण के लिए विधिवत प्रस्तुत (duly presented) किया गया कोई दस्तावेज ऐसी भाषा में है जिसे पंजीकरण अधिकारी (registering officer) नहीं समझता है, और जो जिले में सामान्य रूप से उपयोग नहीं की जाती है, तो अधिकारी उस दस्तावेज को पंजीकृत करने से इनकार कर देगा। यह इनकार तभी तक मान्य है जब तक दस्तावेज के साथ जिले में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली भाषा में उसका एक सच्चा अनुवाद (true translation) और एक सच्ची प्रतिलिपि (true copy) न हो। यह सुनिश्चित करता है कि अधिकारी दस्तावेज की सामग्री को समझ सके और उसका सही ढंग से रिकॉर्ड रख सके।

    उदाहरण: यदि जयपुर (Jaipur) में एक विदेशी भाषा (जैसे जापानी) में कोई दस्तावेज पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किया जाता है जिसे पंजीकरण अधिकारी नहीं समझता है और जो जयपुर जिले में आम तौर पर उपयोग नहीं की जाती है, तो अधिकारी इसे तब तक पंजीकृत करने से मना कर देगा जब तक कि इसके साथ इसका हिंदी या अंग्रेजी में एक प्रमाणित अनुवाद और उसकी एक प्रतिलिपि न हो।

    20. दस्तावेज़ जिनमें पंक्तियों के बीच कुछ लिखा हो, रिक्त स्थान हों, मिटाया गया हो या परिवर्तन हों (Documents containing interlineations, blanks, erasures or alterations)

    यह धारा उन दस्तावेजों से संबंधित है जिनमें कुछ विसंगतियाँ (discrepancies) या संशोधन (modifications) हो सकते हैं।

    उपधारा (1) कहती है कि पंजीकरण अधिकारी (registering officer) अपने विवेक (discretion) का प्रयोग करते हुए किसी भी ऐसे दस्तावेज को पंजीकरण के लिए स्वीकार करने से इनकार कर सकता है जिसमें पंक्तियों के बीच कुछ लिखा हो (interlineation), रिक्त स्थान (blank) हों, मिटाया गया हो (erasure) या परिवर्तन (alteration) हों। हालाँकि, अधिकारी ऐसा तब तक ही कर सकता है जब तक दस्तावेज निष्पादित (executing) करने वाले व्यक्ति ऐसे पंक्तियों के बीच लिखे हुए (interlineation), रिक्त स्थान (blank), मिटाए गए (erasure) या परिवर्तन (alteration) को अपने हस्ताक्षर (signatures) या आद्याक्षर (initials) से प्रमाणित न करें। यह प्रावधान धोखाधड़ी को रोकने और सुनिश्चित करने के लिए है कि दस्तावेज में कोई भी बदलाव निष्पादकों की जानकारी और सहमति से किया गया है।

    उदाहरण: यदि एक बिक्री विलेख में, संपत्ति के पते में एक शब्द मिटाकर दूसरा शब्द लिखा गया है, तो पंजीकरण अधिकारी उसे स्वीकार करने से इनकार कर सकता है। लेकिन अगर विक्रेता और खरीदार दोनों उस मिटाए गए और बदले हुए शब्द के बगल में अपने आद्याक्षर कर देते हैं, तो अधिकारी उसे स्वीकार कर सकता है।

    उपधारा (2) कहती है कि यदि पंजीकरण अधिकारी (registering officer) ऐसे किसी दस्तावेज को पंजीकृत करता है, तो उसे उसी समय, पंजीकरण करते समय, रजिस्टर में ऐसे पंक्तियों के बीच लिखे हुए (interlineation), रिक्त स्थान (blank), मिटाए गए (erasure) या परिवर्तन (alteration) का एक नोट (note) बनाना होगा। यह नोट भविष्य के किसी भी विवाद से बचने और दस्तावेज की यथार्थता (accuracy) को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

    उदाहरण: यदि अधिकारी ऊपर दिए गए बिक्री विलेख को स्वीकार करता है, तो उसे रजिस्टर में एक टिप्पणी लिखनी होगी कि 'पृष्ठ 3 पर पते में "हाउस नंबर 5" को "प्लॉट नंबर 10" में बदला गया था और इसे दोनों पक्षों ने आद्याक्षरित किया है'।

    ये धाराएँ पंजीकरण प्रक्रिया की अखंडता (integrity) को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं कि सभी रिकॉर्ड स्पष्ट, सटीक और कानूनी रूप से वैध हों।

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