पुरानी भारतीय साक्ष्य अधिनियम और नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के बीच अंतर

Himanshu Mishra

19 Nov 2024 5:22 PM IST

  • पुरानी भारतीय साक्ष्य अधिनियम और नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के बीच अंतर

    भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023) एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो औपनिवेशिक युग के भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian Evidence Act, 1872) को आधुनिक बनाकर बदलता है।

    इसका उद्देश्य वर्तमान कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करना और भारतीय न्याय प्रणाली को आधुनिक प्रक्रियाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (Digital Evidence) और गवाहों (Witnesses) की जांच में। यहाँ पुराने और नए कानूनों के बीच मुख्य अंतर को सरल शब्दों में समझाया गया है:

    1. आधुनिक परिभाषाएँ और शब्दावली (Modern Terminology and Definitions)

    • सरल और व्यापक परिभाषाएँ (Simplified and Comprehensive Definitions): नए अधिनियम में "पूर्ण प्रमाण" (Conclusive Proof), "मान सकते हैं" (May Presume), और "मानना आवश्यक" (Shall Presume) जैसी प्रमुख परिभाषाओं को एक ही जगह पर रखा गया है। इससे व्याख्या आसान होती है और भ्रम से बचा जा सकता है।

    • अन्य कानूनों के साथ क्रॉस-रेफरेंस (Cross-References with Other Laws): नए अधिनियम में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) और हालिया कानूनी संहिताओं जैसे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के संदर्भों को शामिल किया गया है। यह इसे आधुनिक तकनीकी और प्रक्रियात्मक अपडेट के साथ जोड़ता है।

    2. डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का प्रबंधन (Handling of Digital and Electronic Evidence)

    • इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (Electronic Records): नए अधिनियम में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को सबूत के रूप में स्वीकारने पर जोर दिया गया है। धारा 45 (Section 45) के अनुसार, आईटी अधिनियम के तहत डिजिटल साक्ष्य के विशेषज्ञ की राय अब अदालत में मान्य होगी। यह आज की कानूनी प्रक्रियाओं में तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है।

    • डिजिटल रूप में प्राथमिक साक्ष्य (Primary Evidence in Digital Form): 1872 के अधिनियम में डिजिटल रिकॉर्ड्स के लिए सीमित प्रावधान थे, जबकि नए अधिनियम में यह कहा गया है कि एक ही डिजिटल फाइल के विभिन्न स्थानों पर संग्रहीत संस्करणों को भी प्राथमिक साक्ष्य माना जाएगा।

    3. कबूलनामे (Revised Approach to Confessions)

    • कबूलनामे के लिए विस्तारित प्रावधान (Expanded Provisions for Confessions): 1872 के अधिनियम की धारा 24 में कहा गया था कि किसी भी तरह के दबाव, धमकी, या लालच से किए गए कबूलनामे को स्वीकार नहीं किया जाएगा। नए अधिनियम में इसमें दो शर्तें जोड़ी गई हैं:

    1. यदि अदालत को लगता है कि दबाव हटा दिया गया है, तो कबूलनामा प्रासंगिक हो सकता है।

    2. ऐसे कबूलनामे जो गोपनीयता के वादे पर, धोखे से, या नशे की स्थिति में किए गए हों, उन्हें भी स्वीकार किया जा सकता है।

    • सरल संरचना (Clubbed Sections for Simplicity): पुलिस अधिकारियों के सामने और हिरासत में दिए गए कबूलनामों से संबंधित धाराओं को जोड़कर एक साथ रखा गया है।

    4. स्वीकृतियाँ और बयान (Admissions and Statements)

    • अपरिवर्तित लेकिन अद्यतन (Unchanged but Updated): कानूनी प्रक्रियाओं में स्वीकृतियों से संबंधित प्रावधानों को संरक्षित रखा गया है, लेकिन उन्हें बेहतर समझ के लिए पुनर्संरचित किया गया है।

    5. दस्तावेजों पर अनुमान और कानूनी व्याख्या (Presumptions and Legal Inferences)

    • अनुमानों का विस्तार (Extended Presumptions): नए अधिनियम में धारा 81A का विस्तार किया गया है, जिसमें सरकारी गजट के इलेक्ट्रॉनिक संस्करणों को शामिल किया गया है, और उनकी वैधता पारंपरिक दस्तावेजों के समान मानी गई है।

    • औपनिवेशिक संदर्भों को हटाना (Removal of Colonial References): नए अधिनियम में उन प्रावधानों को हटा दिया गया है जो यूके (UK) के प्रथाओं से जुड़े थे।

    6. सार्वजनिक और निजी दस्तावेज (Public and Private Documents)

    • संयुक्त धाराएँ (Combined Sections): पुराने अधिनियम की धाराओं 74 और 75, जो सार्वजनिक और निजी दस्तावेजों से संबंधित थीं, को जोड़कर एक ही धारा में रखा गया है।

    7. ऐसे तथ्य जो सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं (Facts Which Need Not Be Proven)

    • विस्तारित दायरा (Expanded Scope): पुराने अधिनियम की धारा 57 की तरह ही नई धारा में भारत के सभी कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संधियों को शामिल किया गया है।

    8. माध्यमिक साक्ष्य के नियम (Secondary Evidence Rules)

    • स्पष्टता और समावेशिता (Enhanced Clarity and Inclusion): नए अधिनियम में मौखिक और लिखित स्वीकृतियों और कुशल व्यक्ति द्वारा किए गए निरीक्षणों को माध्यमिक साक्ष्य के रूप में जोड़ा गया है।

    9. गवाहों की जांच (Examination of Witnesses)

    • अधिकांश रूप से अपरिवर्तित (Mostly Retained): गवाहों की जांच से संबंधित धाराओं को कमोबेश उसी तरह रखा गया है लेकिन बेहतर संरचना के साथ।

    10. विशेषाधिकार प्राप्त संवाद (Privileged Communications)

    • अतिरिक्त सुरक्षा (Additional Protections): नए प्रावधान में दस्तावेजों के उत्पादन पर एक प्रतिबंध लगाया गया है, जो मंत्रियों और राष्ट्रपति के बीच विशेषाधिकार प्राप्त संवाद से संबंधित है।

    11. पुराने प्रावधानों का बहिष्कार (Exclusion of Outdated Provisions)

    • ब्रिटिश संदर्भों का निष्कासन (Removal of British References): नए अधिनियम में ब्रिटेन (UK) के संदर्भों को हटा दिया गया है।

    भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 भारतीय कानूनी ढांचे को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाता है। यह सरल भाषा, डिजिटल साक्ष्य का समावेश, और औपनिवेशिक संदर्भों को हटाकर कानूनी प्रक्रिया को अधिक समकालीन और प्रभावी बनाता है।

    ये बदलाव न केवल पारंपरिक कानून की भावना को बनाए रखते हैं बल्कि समाज की जटिलताओं को भी समझने और उनका सामना करने में मददगार हैं।

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