कानूनी मामलों, सार्वजनिक राय और कलात्मक समीक्षा में मानहानि के अपवादों की गहरी पड़ताल : BNS 2023 की धारा 356 भाग III

Himanshu Mishra

30 Jan 2025 11:40 AM

  • कानूनी मामलों, सार्वजनिक राय और कलात्मक समीक्षा में मानहानि के अपवादों की गहरी पड़ताल : BNS 2023 की धारा 356 भाग III

    पिछले भागों में, हमने मानहानि (Defamation) की परिभाषा, इसके प्रकार, और उन परिस्थितियों को समझा था जिनमें कोई बयान मानहानि नहीं माना जाता है।

    इस भाग में, हम धारा 356 (Section 356) के दो और महत्वपूर्ण अपवाद (Exceptions) को विस्तार से समझेंगे, जो न्यायिक निर्णयों (Court Judgments) और सार्वजनिक प्रदर्शन (Public Performances) से जुड़े हैं।

    अपवाद 5: न्यायिक मामलों और अदालती कार्यवाही पर राय (Opinion on Court Judgments and Legal Proceedings)

    कानून यह स्वीकार करता है कि लोग न्यायिक मामलों (Legal Cases), अदालती निर्णयों और उसमें शामिल व्यक्तियों के आचरण पर चर्चा कर सकते हैं और अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं।

    हालांकि, यह अधिकार सीमित (Limited) है और इस राय को ईमानदारी (Good Faith) के साथ और केवल उसी विषय तक सीमित रखना होगा जो मुकदमे से संबंधित है।

    यदि कोई व्यक्ति किसी सिविल (Civil) या आपराधिक (Criminal) मामले के गुण-दोष (Merits) पर या उस मामले में शामिल किसी व्यक्ति (जैसे पक्षकार, गवाह, या एजेंट) के व्यवहार पर ईमानदारी से टिप्पणी करता है, तो इसे मानहानि नहीं माना जाएगा।

    लेकिन, अगर कोई व्यक्ति उस व्यक्ति के चरित्र (Character) पर व्यक्तिगत हमला करता है, तो यह अपवाद के दायरे से बाहर होगा और मानहानि मानी जाएगी।

    उदाहरण (Illustrations)

    1. सुरक्षित (Safe) राय:

    मान लीजिए कि Z एक गवाह के रूप में किसी मुकदमे में शामिल होता है, लेकिन उसकी गवाही विरोधाभासी (Contradictory) होती है। बाद में, A टिप्पणी करता है—

    "Z की गवाही इतनी असंगत (Inconsistent) थी कि या तो वह बहुत लापरवाह (Careless) है या फिर वह ईमानदार नहीं है।"

    यह मानहानि नहीं होगी, क्योंकि यह टिप्पणी केवल Z के गवाह के रूप में व्यवहार (Conduct as a Witness) तक सीमित है और उसके व्यक्तिगत चरित्र पर हमला नहीं कर रही है।

    2. मानहानिपूर्ण (Defamatory) राय:

    यदि A यह कहता है—

    "मैं Z की गवाही पर भरोसा नहीं करता क्योंकि मैं उसे एक झूठा (Liar) आदमी जानता हूं।"

    यह टिप्पणी Z के गवाह के रूप में आचरण (Conduct as a Witness) पर आधारित नहीं है, बल्कि उसके संपूर्ण चरित्र (General Character) पर हमला कर रही है, इसलिए यह मानहानि होगी।

    इस अपवाद का मूल सिद्धांत यह है कि कोई व्यक्ति किसी मुकदमे में किसी के व्यवहार पर टिप्पणी कर सकता है, लेकिन उसे उस मुकदमे की सीमाओं के भीतर रहना होगा। अगर टिप्पणी किसी के व्यक्तिगत चरित्र पर हमले में बदल जाती है, तो यह मानहानि बन जाएगी।

    अपवाद 6: सार्वजनिक प्रदर्शन और कृतियों की आलोचना (Opinions on Public Performances and Works)

    जब कोई व्यक्ति पुस्तक (Book) प्रकाशित करता है, भाषण (Speech) देता है, नाटक (Play) में अभिनय करता है, या संगीत (Music) प्रस्तुत करता है, तो वह अपनी कृति (Work) को सार्वजनिक समीक्षा (Public Judgment) के लिए प्रस्तुत कर रहा होता है।

    इसलिए, जनता को यह अधिकार है कि वे उसकी कृति की आलोचना (Criticism) करें और अपने विचार व्यक्त करें। लेकिन, यह आलोचना ईमानदारी (Good Faith) के साथ और केवल उस कृति (Work) तक सीमित होनी चाहिए।

    स्पष्टीकरण (Explanation)

    एक कृति को दो प्रकार से सार्वजनिक समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है—

    1. स्पष्ट रूप से (Explicitly) – जब लेखक (Author) या कलाकार (Artist) स्वयं लोगों को समीक्षा के लिए आमंत्रित करता है।

    2. संकेत रूप से (Impliedly) – जब कोई पुस्तक प्रकाशित होती है, कोई भाषण सार्वजनिक रूप से दिया जाता है, या कोई प्रदर्शन (Performance) मंच पर प्रस्तुत किया जाता है।

    यदि कोई व्यक्ति किसी पुस्तक, भाषण, या प्रदर्शन पर यथोचित आलोचना (Reasonable Criticism) करता है, तो यह मानहानि नहीं मानी जाएगी। लेकिन, यदि वह आलोचना व्यक्तिगत हमले में बदल जाती है, तो यह अपवाद लागू नहीं होगा और वह मानहानि का अपराधी होगा।

    उदाहरण (Illustrations)

    1. वैध (Valid) आलोचना:

    मान लीजिए Z ने एक पुस्तक प्रकाशित की, और A उसकी समीक्षा में कहता है—

    "Z की पुस्तक कमजोर तर्कों (Weak Arguments) से भरी हुई है और यह अच्छी तरह से लिखी नहीं गई है।"

    यह मानहानि नहीं होगी, क्योंकि यह टिप्पणी केवल पुस्तक तक सीमित है और लेखक के चरित्र (Character) पर हमला नहीं कर रही है।

    2. मानहानिपूर्ण (Defamatory) आलोचना:

    लेकिन अगर A यह कहता है—

    "Z की किताब तो बेकार (Foolish) है ही, लेकिन इसमें कोई आश्चर्य नहीं क्योंकि Z एक कमजोर दिमाग (Weak-Minded) और अनैतिक (Immoral) व्यक्ति है।"

    यहाँ, A केवल पुस्तक की आलोचना नहीं कर रहा है, बल्कि Z के संपूर्ण चरित्र पर व्यक्तिगत हमला कर रहा है, इसलिए यह मानहानि होगी।

    3. सार्वजनिक भाषण की समीक्षा:

    यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक रूप से भाषण देता है और कोई श्रोता यह कहता है—

    "इस भाषण के तर्क कमजोर हैं और यह प्रभावशाली नहीं है,"

    तो यह वैध आलोचना (Valid Criticism) होगी और मानहानि नहीं होगी।

    लेकिन यदि वही व्यक्ति यह कहे—

    "यह भाषण तो कमजोर है ही, लेकिन यह आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि इसे देने वाला व्यक्ति हमेशा से मूर्ख रहा है,"

    तो यह टिप्पणी व्यक्तिगत हमला (Personal Attack) बन जाती है और मानहानि मानी जाएगी।

    4. कला प्रदर्शन (Performing Arts) की आलोचना:

    यदि एक अभिनेता (Actor) किसी नाटक में भूमिका निभाता है और कोई दर्शक टिप्पणी करता है—

    "उनका अभिनय प्रभावशाली नहीं था और उनके हाव-भाव (Expressions) भूमिका के अनुसार नहीं थे,"

    तो यह वैध आलोचना होगी।

    लेकिन अगर कोई कहता है—

    "उनका अभिनय खराब था क्योंकि वह हमेशा से एक अयोग्य (Untalented) और मूर्ख व्यक्ति रहे हैं,"

    तो यह मानहानि होगी, क्योंकि यह कलाकार की कृति (Performance) की आलोचना करने के बजाय उसके व्यक्तिगत चरित्र पर हमला कर रहा है।

    इन अपवादों में 'सद्भावना' (Good Faith) का महत्व

    धारा 356 के अपवाद 5 और अपवाद 6 में सबसे महत्वपूर्ण तत्व सद्भावना (Good Faith) है। यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी (Honesty) से और बिना दुर्भावना (Malice) के कोई राय व्यक्त करता है और उसे केवल विषय-वस्तु तक सीमित रखता है, तो उसे मानहानि के अपराध से सुरक्षा प्राप्त होगी।

    लेकिन यदि वह किसी पर व्यक्तिगत हमला करता है, तो यह अपवाद लागू नहीं होगा।

    भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356 यह सुनिश्चित करती है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) और मानहानि के बीच संतुलन बना रहे।

    कानून यह स्वीकार करता है कि लोग न्यायिक मामलों पर चर्चा कर सकते हैं और सार्वजनिक कृतियों की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन इस अधिकार की सीमाएँ भी तय की गई हैं।

    मुख्य बिंदु:

    1. किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में शामिल व्यक्ति के आचरण (Conduct) पर टिप्पणी की जा सकती है, लेकिन उसके संपूर्ण चरित्र पर नहीं।

    2. किसी पुस्तक, भाषण या प्रदर्शन की आलोचना की जा सकती है, लेकिन यह व्यक्तिगत हमले में बदलनी नहीं चाहिए।

    अगले और अंतिम भाग में, हम धारा 356 के शेष अपवादों को समझेंगे और यह जानेंगे कि ये प्रावधान आज के आधुनिक समाज पर कैसे प्रभाव डालते हैं।

    Next Story