अवैध शराब से नुकसान पर मुआवजा: राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 54C

Himanshu Mishra

14 Jan 2025 12:35 PM

  • अवैध शराब से नुकसान पर मुआवजा: राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 54C

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) का उद्देश्य राज्य में शराब और नशीले पदार्थों की बिक्री और सेवन को नियंत्रित करना है। इस अधिनियम में जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अनुचित कार्यों को रोकने के लिए सख्त प्रावधान हैं।

    इसमें दंडात्मक उपायों के साथ-साथ मुआवजे (Compensation) का प्रावधान भी शामिल है। धारा 54C इसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उन पीड़ितों या उनके परिवारों को मुआवजा देने की शक्ति अदालत को देती है, जिन्हें मिलावटी शराब या नशीले पदार्थों के सेवन से नुकसान हुआ है।

    धारा 54C का उद्देश्य (Objective of Section 54C)

    धारा 54C, राजस्थान आबकारी अधिनियम की धारा 54B में उल्लिखित दंडात्मक प्रावधानों को और मजबूत बनाती है। जहां धारा 54B में अपराधियों को सजा देने पर ध्यान केंद्रित है, वहीं धारा 54C पीड़ितों को आर्थिक सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है।

    यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि जिन लोगों को मिलावटी शराब या नशीले पदार्थों से नुकसान हुआ है, उन्हें राहत दी जाए। खास बात यह है कि यह मुआवजा उन मामलों में भी दिया जा सकता है, जहां दोषी को धारा 54B के तहत दोषी नहीं ठहराया गया हो।

    धारा 54C के मुख्य प्रावधान (Key Provisions of Section 54C)

    अदालत की मुआवजा देने की शक्ति (Court's Authority to Order Compensation)

    धारा 54C(1) के तहत, अदालत को यह अधिकार दिया गया है कि वह धारा 54B के तहत मामलों में निर्णय देते समय मुआवजा आदेशित कर सकती है।

    यदि अदालत को यह विश्वास हो कि किसी व्यक्ति की मृत्यु, गंभीर चोट (Grievous Hurt), विकलांगता (Disability), या अन्य चोटें मिलावटी शराब या नशीले पदार्थों के सेवन से हुई हैं, तो वह संबंधित विक्रेता (Seller) को मुआवजा देने का आदेश दे सकती है।

    यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ितों या उनके परिवारों को केवल दोषी को सजा देने तक सीमित नहीं रखा जाए, बल्कि उन्हें आर्थिक राहत भी मिले।

    मुआवजे की न्यूनतम राशि (Minimum Compensation Amounts)

    कानून के तहत मुआवजे की न्यूनतम राशि तय की गई है, जो नुकसान की गंभीरता पर निर्भर करती है:

    • मृत्यु के मामले में: मुआवजा तीन लाख रुपये से कम नहीं होगा।

    • गंभीर चोट या विकलांगता के मामले में: मुआवजा दो लाख रुपये से कम नहीं होगा।

    • अन्य चोटों के मामले में: मुआवजा बीस हजार रुपये से कम नहीं होगा।

    यह न्यूनतम सीमा सुनिश्चित करती है कि पीड़ितों को पर्याप्त आर्थिक राहत मिले।

    लाइसेंस धारकों की जिम्मेदारी (Liability of License Holders)

    यदि मिलावटी शराब या नशीला पदार्थ किसी लाइसेंसी दुकान (Licensed Shop) से बेचा गया है, तो मुआवजा देने की जिम्मेदारी लाइसेंसधारी (License Holder) पर होगी। यह प्रावधान लाइसेंसधारकों को उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार बनाता है।

    अपील का अधिकार (Right to Appeal)

    धारा 54C(2) के तहत, मुआवजे के आदेश से असंतुष्ट कोई भी व्यक्ति उच्च न्यायालय (High Court) में अपील कर सकता है। यह अपील आदेश की तारीख से तीस दिनों के भीतर की जानी चाहिए।

    हालांकि, अपीलकर्ता को अपील दायर करने से पहले निचली अदालत द्वारा आदेशित मुआवजे की राशि जमा करनी होगी। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि अपीलें केवल वास्तविक मामलों में की जाएं और अनुचित कारणों से अदालत का समय बर्बाद न हो।

    यदि कोई व्यक्ति समय पर अपील दायर करने में असमर्थ हो, तो उच्च न्यायालय उचित कारण बताए जाने पर तीस दिनों की समय सीमा के बाद भी अपील स्वीकार कर सकता है।

    धारा 54B और 54C का तुलनात्मक अध्ययन (Comparison of Section 54B and 54C)

    धारा 54B में शराब या नशीले पदार्थों में मिलावट के लिए अपराधियों को दंडित करने के प्रावधान हैं, जिनमें सजा और जुर्माना शामिल है। यह प्रावधान अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करता है।

    दूसरी ओर, धारा 54C का मुख्य उद्देश्य पीड़ितों को मुआवजा देना है। उदाहरण के लिए, यदि कोई दुकानदार शराब में मेथनॉल (Methanol) मिलाकर बेचता है और इससे किसी की मृत्यु हो जाती है, तो धारा 54B के तहत दुकानदार को सजा दी जाएगी।

    साथ ही, धारा 54C के तहत अदालत दुकानदार को मृतक के परिवार को कम से कम तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दे सकती है।

    धारा 54C के तहत मामलों के उदाहरण (Illustrations of Section 54C in Action)

    मृत्यु के मामले में मुआवजा

    एक दुकानदार अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए देशी शराब में जहरीले पदार्थ मिलाता है। एक व्यक्ति इस शराब का सेवन करता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। अदालत, धारा 54C(1) के तहत, दुकानदार को मृतक के परिवार को तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देती है।

    गंभीर चोट के मामले में मुआवजा

    एक लाइसेंसी दुकान से बेची गई नशीली दवा में हानिकारक रसायन (Harmful Chemicals) होते हैं, जिससे एक उपभोक्ता की आंखों की रोशनी चली जाती है। अदालत लाइसेंसधारी को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देती है।

    अन्य चोटों के मामले में मुआवजा

    एक बार का मालिक मिलावटी शराब परोसता है, जिससे कई ग्राहकों को गंभीर पेट संक्रमण हो जाता है। अदालत बार मालिक को प्रत्येक पीड़ित को बीस हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश देती है।

    मुआवजे के आदेश के खिलाफ अपील

    एक दुकानदार, जिसे मृतक के परिवार को तीन लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया है, उच्च न्यायालय में अपील करता है। अपील दायर करने से पहले, वह मुआवजे की राशि निचली अदालत में जमा करता है। उच्च न्यायालय बाद में अपील खारिज कर देता है और मुआवजा आदेश को बरकरार रखता है।

    धारा 54C का महत्व (Importance of Section 54C)

    धारा 54C मिलावटी शराब और नशीले पदार्थों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह प्रावधान आर्थिक सहायता प्रदान करके पीड़ितों के पुनर्वास में मदद करता है।

    यह प्रावधान अपराधियों और लाइसेंसधारकों को उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा के प्रति अधिक सतर्क बनाता है। धारा 54C यह सुनिश्चित करती है कि पीड़ितों को उचित मुआवजा मिले, भले ही दोषियों को दंडित करना कठिन हो।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 54C पीड़ितों को मुआवजा देने का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह प्रावधान अपराधियों को दंडित करने और पीड़ितों के कल्याण के बीच संतुलन बनाता है।

    जब इसे धारा 54B के साथ लागू किया जाता है, तो यह सुनिश्चित करता है कि मिलावट से जुड़े मामलों में दंडात्मक और नागरिक दोनों प्रकार के उपाय अपनाए जाएं।

    यह व्यापक दृष्टिकोण मिलावटी शराब और नशीले पदार्थों की समस्या को रोकने और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

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