सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 भाग 30: कमीशन निकालने की न्यायालय की शक्ति

Shadab Salim

19 April 2022 1:30 PM GMT

  • सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 भाग 30: कमीशन निकालने की न्यायालय की शक्ति

    सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 (Civil Procedure Code,1908) की धारा 75 कमीशन से संबंधित है। जिस तरह आपराधिक मामलों में न्यायालय कमीशन जारी करके गवाहों के बयान ले सकता है इस ही तरह सिविल मामलों में भी कमीशन जारी किया जा सकता है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 75 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।

    धारा 75

    वाद का संचालन सुचारु रूप से आगे बढ़ाने के लिये संहिता के अन्तर्गत आनुषंगिक कार्यवाहियों का उपबन्ध किया गया है। ऐसी आनुषंगिक कार्यवाहियों में न्यायालय को यह शक्ति प्रदान की गई है कि वह धारा 75 में वर्णित उद्देश्यों की पूर्ति के लिये कमीशन जारी कर सकेगा। यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि कमीशन जारी करने की न्यायालय की शक्ति विवेकाधीन शक्ति है और उसके लिये न्यायालय को बाध्य नहीं किया जा सकता।

    निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिये न्यायालय कमीशन जारी कर सकेगा-

    1 किसी व्यक्ति की परीक्षा करने के लिये

    किसी व्यक्ति की परीक्षा करने के लिये कमीशन वहां जारी किया जायेगा जहाँ किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने से उन्मुक्ति मिली हुई है, (या-छूट मिली हुई है) या जो बीमारी या अंग शैथिल्य के कारण न्यायालय में हाजिर होने में असमर्थ है। ऐसा कमीशन तभी जारी किया जायेगा जब ऐसा करना न्यायालय आवश्यक समझे, और ऐसे कारणों को अभिलिखित किया जायेगा - कमीशन जारी करने का आदेश न्यायालय स्वप्रेरणा से या किसी पक्षकार के या उस साक्षी के आवेदन पर जिसका परीक्षण किया जाना है, दे सकेगा। किन्तु ऐसा आवेदन शपथ-पत्र द्वारा या अन्यथा समर्थित होना चाहिये।

    2 स्थानीय अन्वेषण करने के लिये

    न्यायालय जब उचित समझे स्थानीय अन्वेषण के लिये निम्न उद्देश्य की पूर्ति हेतु कमीशन जारी कर सकेगा-

    (क) किसी विवादग्रस्त विषय के स्पष्टीकरण के लिये;

    (ख) किसी सम्पत्ति का बाजार मूल्य अभिनिश्चित करने के लिये; एवं

    (ग) अन्त:कालीन लाभ, नुकसानी (damages) या वार्षिक शुद्ध लाभ (annual net profits) के अभिनिश्चयन के लिये।

    3 लेखाओं की परीक्षा या उनका समायोजन करने के लिये

    न्यायालय ऐसे किसी भी वाद में जिसमें लेखाओं को परीक्षा या समायोजन आवश्यक है, ऐसी परीक्षा या समायोजन करने के लिये कमीशन जारी कर सकेगा। कमिश्नर की कार्यवाहियाँ और रिपोर्ट (यदि कोई हो) वाद में साक्ष्य होगी, किन्तु जहाँ न्यायालय के पास उनसे असंतुष्ट होने के लिये कारण हैं वहाँ ऐसी अतिरिक्त जाँच का आदेश दे सकेगा जो ठीक समझे।

    4 विभाजन करने के लिये

    जहाँ विभाजन करने के लिये प्रारम्भिक डिक्री पारित की गयी है, वहाँ न्यायालय किसी मामले में जिसके लिये धारा 54 का उपबन्ध नहीं किया गया है, ऐसी डिक्री में घोषित अधिकारों के अनुसार विभाजन या पृथक्करण करने के लिये ऐसे व्यक्ति के नाम जिसे वह ठीक समझे कमीशन जारी कर सकेगा।

    5 किसी वैज्ञानिक तकनीकी या विशेषज्ञ अन्वेषण करने के लिये

    जहाँ वाद में उत्पन्न होने वाले किसी प्रश्न में वैज्ञानिक अन्वेषण अन्तर्ग्रस्त है और जो न्यायालय द्वारा सुविधापूर्वक नहीं किया जा सकता यहाँ, न्यायालय यदि न्याय हित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझे, कमीशन जारी कर सकेगा। कमिश्नर ऐसे प्रश्न की जाँच करेगा और रिपोर्ट न्यायालय को देगा।

    यह अधिकार न्यायालय को सिविल प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम 1976 के अधीन प्रदान किया गया है। यह अधिकार पहले न्यायालय को नहीं था।

    6 ऐसी सम्पत्ति का विक्रय करने के लिये जो शीघ्र और प्रकृत्या क्षयशील है

    ऐसी सम्पत्ति जो शीघ्र, प्रकृत्या क्षयशील है जिसे सुविधापूर्वक परिरक्षित नहीं किया जा सकता और जिसका विक्रय करना आवश्यक है, वहाँ न्यायालय ऐसी सम्पत्ति के विक्रय के लिये कमीशन जारी कर सकेगा।

    7 कोई अनुसचिवीय कार्य करने के लिये

    जहाँ वाद में उत्पन्न होने वाले किसी प्रश्न में कोई ऐसा अनुसचिवीय कार्य करना अन्तर्ग्रस्त है और जो न्यायालय की राय में न्यायालय के समक्ष सुविधापूर्वक नहीं किया जा सकता है जैसे लेखे, गढ़ना या इसी प्रकार का अन्य कार्य, वहाँ न्यायालय ऐसा कार्य करने के लिये यदि वह उचित एवं समीचीन समझता है तो कमीशन जारी कर सकता है। यह कमिश्नर को ऐसा आदेश देगा कि वह कार्य करने के पश्चात् न्यायालय को रिपोर्ट दे।

    कमीशन का खर्च- किसी कमीशन को जारी करने से पहले न्यायालय उस पक्षकार द्वारा जिसकी प्रेरणा पर या जिसके फायदे के लिये, कमोशन जारी किया जाता है न्यायालय में एक ऐसी रकम जमा करने का आदेश देगा जिससे कमीशन का खर्च पूरा हो सके।

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