सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 76: आदेश 16 नियम 14 से 21 तक के प्रावधान

Shadab Salim

9 Jan 2024 1:21 PM IST

  • सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 76: आदेश 16 नियम 14 से 21 तक के प्रावधान

    सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 16 साक्षियों को समन करना और उनकी हाजिरी से संबंधित है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 14 से 21 तक के प्रावधानों पर प्रकाश डाला जा रहा है।

    नियम-14 जो व्यक्ति वाद में पर व्यक्ति हैं उन्हें न्यायालय साक्षियों के रुप में स्वप्रेरणा से समन कर सकेगा-हाजिरी और उपस्थिति के बारे में इस संहिता के उपबंधों और तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रहते हुए, जहां न्यायालय किसी भी समय यह आवश्यक समझता है कि [ किसी ऐसे व्यक्ति की परीक्षा की जाए जिसके अन्तगर्त वाद का पक्षकार भी है और जो वाद के पक्षकार द्वारा साक्षी के रुप में नहीं बुलाया गया है वहां न्यायालय स्वप्रेरणा से ऐसे व्यक्ति को, ऐसे दिन जो नियत किया जाएगा, साक्ष्य देने के लिए या अपने कब्जे में की कोई दस्तावेज पेश करने के लिए साक्षी के रूप में समन करवा सकेगा और साक्षी के रुप में उसकी परीक्षा कर सकेगा या उससे ऐसी दस्तावेज पेश करने के लिए अपेक्षा कर सकेगा।

    नियम-15 उन व्यक्तियों का कर्तव्य जो साक्ष्य देने या दस्तावेज पेश करने के लिए समन किए गए हैं-ठीक ऊपर वाले नियम के अधीन रहते हुए कोई व्यक्ति जो किसी वाद में उपसंजात होने और साक्ष्य देने के लिए समन किया जाता है। वह उस प्रयोजन के लिए समन में नामित समय और स्थान में हाजिर होगा और कोई व्यक्ति जो दस्तावेज पेश करने के लिए समन किया जाता है वह ऐसे समय पर और ऐसे स्थान में या तो उसे पेश करने के लिए हाजिर होगा या उसे पेश कराना।

    नियम-16 वे कब प्रस्थान कर सकेंगे (1) इस प्रकार समनित और हाजिर होने वाला व्यक्ति, जब तक कि न्यायालय अन्यथा निर्देश न करें, हर एक सुनवाई में तब तक हाजिर होता रहेगा जब तक कि वाद का निपटारा न हो जाए।

    (2) दोनों पक्षकारों में से किसी भी आवेदन पर और न्यायालय की मार्फत समस्त आवश्यक व्ययों के (यदि कोई हो) संदत्त किए जाने पर, न्यायालय इस प्रकार समनित और हाजिर होने वाले किसी भी व्यक्ति से अपेक्षा कर सकेगा कि वह अगली या किसी अन्य सुनवाई में या तब तक, जब तक कि वाद का निपटारा न हो जाए, हाजिर होने के लिए प्रतिमूति दे और ऐसी प्रतिभूति देने में उसके व्यतिक्रम करने पर आदेश कर सकेगा कि उसे सिविल कारागार में निरुद्ध किया जाए।

    नियम-17 नियम 10 से नियम 13 तक का लागू होना - नियम 10 से नियम 13 तक के उपबन्धों के बारे में जहां तक कि वे लागू होने योग्य है, यह समझा जाएगा कि वे किसी भी ऐसे व्यक्ति को लागू होते है, जो समन के अनुपालन में हाजिर होने पर, नियम 16 के उल्लंघन में विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना प्रस्थान कर दिया गया है।

    नियम-18 जहां पकड़ा गया साक्षी साक्ष्य नहीं दे सकता या दस्तावेज पेश नहीं कर सकता वहां प्रक्रिया -जहां वारंट के अधीन गिरफ्तार किया गया कोई व्यक्ति न्यायालय के समक्ष अभिरक्षा में लाया जाता है और पक्षकारों की या उनमें से किसी की अनुपस्थिति के कारण वह ऐसा साक्ष्य नहीं दे सकता है या ऐसी दस्तावेज पेश नहीं कर सकता है जिसे देने या पेश करने के लिए वह समन किया गया है वहां न्यायालय उससे यह अपेक्षा कर सकेगा कि वह ऐसे समय और ऐसे स्थान में जो न्यायालय ठीक समझे अपनी उपसंजाति के लिए युकियुक्त जमानत या अन्य प्रतिभूति दे और ऐसी जमानत या प्रतिभूति के दिए जाने पर उसे निर्मुक कर सकेगा और उसके ऐसी जमानत या प्रतिभूति देने में व्यतिक्रम करने पर आदेश दे सकेगा कि उसे सिविल कारागार में निरुद्ध किया जाए।

    नियम-19 जब तक कि कोई साक्षी किन्हीं निश्चित सीमाओं के भीतर का निवासी न हो वह स्वयं हाजिर होने के लिए आदिष्ट नहीं किया जाएगा-किसी भी व्यक्ति को स्वयं हाजिर होने के लिए केवल तभी आदेश किया जाएगा जब वह-

    (क) न्यायालय की मामूली आरम्भिक अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर, अथवा

    (ख) ऐसी सीमाओं के बाहर किन्तु ऐसे स्थान में जो न्याय-सदन के [एक सौ किलोमीटर] से कम या (जहां उस स्थान के जहां वह निवास करता है और उस स्थान के जहां न्यायालय स्थित है, बीच पंचषष्टांश दूरी तक रेल या स्टीमर संचार या अन्य स्थापित लोक प्रवहण है वहां) [ पाँच सौ किलोमीटर] से कम दूर है, निवास करता है:

    [परन्तु जहां इस नियम में वर्णित दोनों स्थानों के बीच वायु मार्ग यातायात उपलब्ध है और साक्षी को वायु मार्ग का यात्री भाड़ा संदत्त किया गया है, वहां उसे स्वयं हाजिर होने का आदेश किया जा सकेगा।]

    नियम-20 न्यायालय द्वारा बुलाये जाने पर साक्ष्य देने से पक्षकार के इंकार का परिणाम-जहाँ वाद का ऐसा कोई पक्षकार जो न्यायालय में उपस्थित है, न्यायालय द्वारा अपेक्षा किये जाने पर, साक्ष्य देने से या ऐसे दस्तावेज को जो उस समय और वहीं उसके कब्जे या शक्ति में है, पेश करने से इन्कार विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना करता है वहाँ न्यायालय उसके विरुद्ध निर्णय सुना सकेगा या वाद के सम्बन्ध में ऐसा आदेश कर सकेगा जो वह ठीक समझे।

    नियम-21 साक्षियों विषयक नियम समनित पक्षकारों को लागू होंगे-जहाँ वाद के किसी पक्षकार से साक्ष्य देने या दस्तावेज पेश करने के लिए अपेक्षा की गई है वहाँ उसे साक्षियों विषयक उपबन्ध वहाँ तक लागू होंगे जहाँ तक कि वे लागू होने योग्य हों।

    विशेष उपबंध - [आदेश 16, नियम 14-18] पर व्यक्ति या पक्षकार को साक्षी के रूप में समन करना -(नियम 14) न्यायालय स्वप्रेरणा से वाद में परव्यक्ति को (जो पक्षकार नहीं है) या किसी पक्षकार को साक्षी के रूप में समन कर सकेगा, यदि उसकी उपस्थिति आवश्यक हो और उसकी साक्ष्य ले सकेगा या उसे दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहेगा। ऐसा करना नियम 15 के अनुसार उसका कर्तव्य है। ऐसे व्यक्ति से अगली पेशी पर, जब तक न्यायालय उसे प्रस्थान (जाने) की आज्ञा न दे, उपस्थित रहने के लिए प्रतिभूति (जमानत) ली जावेगी, जो प्ररूप संख्यांक 18 में होगी । नियम 16 का उल्लंघन करने वाला नियम 10 से 13 में वार्णित तरीके से दण्डित किया जा सकेगा (नियम 17) यदि पकड़ा गया साक्षी किसी कारण से उस दिन बयान न दे सके, तो उसकी प्रतिभूति पर छोड़ा जा सकेगा। इसके लिए वह प्ररूप संख्यांक 19 में प्रतिभूति देगा। जमानत न दे सकने पर उसे सिविल कारागार भेज दिया जावेगा।

    आदेश 16, नियम 14 के संबंध में एक वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि हालांकि हम यह कहना चाहेंगे कि न्यायाधीश को विचारण से दूर ही रहना चाहिये और वस्तुतः (वास्तव में) तृतीय पक्षकार के रूप में विवाद में नहीं कूदना चाहिये, तथापि, यह नहीं समझना चाहिये कि न्यायालय को किसी साक्षी को समन करने या उस दस्तावेज को मंगवाने की शक्ति नहीं है। जो उस संबंधित विषय पर, विशेष रूप से ऐसे भ्रष्ट आचरण पर, जिसका अभिकथन किया गया है, और जिसे साबित करने का प्रयास किया जा रहा है, प्रकाश डालेगी। यदि न्यायालय का समाधान हो गया था कि वास्तव में कोई भ्रष्ट आचरण दोनों पक्षकारों में से किसी के द्वारा किया गया है, तो यह ज्ञात करना बहुत आवश्यक है, कि वह भ्रष्ट आचरण किसने किया।

    साक्षी की स्वयं उपस्थिति की परिस्थितियां (नियम 19) किसी व्यक्ति को साक्षी के रूप में स्वयं उपस्थित होने के लिए तभी आदेश दिया जाएगा, यदि (क) वह उस न्यायालय की साधारण आरम्भिक अधिकारिता की सीमा में निवास करता है या ऐसी सीमा के बाहर है, परन्तु न्याय सदन (न्यायालय के स्थान) से 100 किलोमीटर के भीतर है या 500 किलोमीटर दूरी के भीतर है, जहां उस दूरी का 5/6 भाग रेल या स्टीमर से जुड़ा हो या वायुमार्ग से दूर है और उसका यात्री भाड़ा दिया गया है।

    न्याय सदन से 200 मील से अधिक दूरी पर निवास करने वाले साक्षी की परीक्षा के लिए जो पक्षकार नहीं है, न्यायालय को कमीशन तब निकालना चाहिए जब उसके लिए आवेदन से न्यायालय की आदेशिका का दुरुपयोग न हो अथवा अस‌द्भावनापूर्ण न हो या तत्सदृश परिस्थितियों से दूषित न हो।

    परन्तुक यह परन्तुक तभी लागू होता है, जब साक्षी 500 किलोमीटर से बाहर के स्थान पर रहता हो। अतः खण्ड (ख) में दी गयी दूरी की सीमा को यह परन्तुक शिथिल नहीं करता है, इस मत को स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह परन्तुक केवल वायुमार्ग को लागू होता है।

    एक साक्षी जो 500 किलोमीटर या अधिक दूरी पर निवास करता है, उसे उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, जब तक मामला हवाई यात्रा संबंधी परन्तुक में नहीं आता हो, हालांकि दूरी का 5/6 भाग रेल या सडक से आवृत होता है।

    कमीशन पर साक्ष्य - एक वाद में विचारण न्यायालय ने वादी की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया कि उसकी साक्ष्य कमीशन पर ली जावे। आदेश जारी किया गया। आयुक्त (कमिश्नर) ने प्रतिवादी को कोई खर्चे नहीं दिलवाये। अभिनिर्धारित कि-कमीशन जारी करने वाला न्यायालय ऐसे आदेश को सशर्त कर सकता है कि वादी प्रतिवादी को खर्चे दे या प्रतिवादी निश्चित समय में प्रति प्रश्न प्रस्तुत करे।'

    आदेश 16 नियम 19 वाद के पक्षकारों को लागू नहीं होती, फिर भी न्यायालय को किसी व्यक्ति की कमीशन पर जाँच करवाने का विवेकाधिकार है। शब्द किसी व्यक्ति में एक पक्षकार भी आ जाता है।

    पक्षकार की साक्ष्य (नियम 20 व 21) - न्यायालय द्वारा बुलाये जाने पर यदि कोई पक्षकार साक्ष्य देने से इन्कार करता है, और इसका कोई विधिसम्मत कारण नहीं है तो- (1) न्यायालय उसके विरुद्ध निर्णय सुना सकेगा या (2) वाद के संबंध में, जो वह उचित समझे, आदेश दे सकेगा। (नियम 20)। साक्षियों के बारे में जो नियम ऊपर बताये हैं, यथासंभव ऐसे पक्षकार पर भी लागू होंगे। (नियम 21)।

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