सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 75: आदेश 16 नियम 10 से 13 तक के प्रावधान

Shadab Salim

9 Jan 2024 4:58 AM GMT

  • सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 75: आदेश 16 नियम 10 से 13 तक के प्रावधान

    सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 16 साक्षियों को समन करना और उनकी हाजिरी से संबंधित है। इस आलेख के अंतर्गत उन नियमों पर चर्चा की जा रही है जो यह स्पष्ट करते हैं कि जब साक्षी को हाज़िर होने हेतु आदेश किया जाए और वह हाज़िर होने में असफल हो तब क्या प्रक्रिया होगी। इस आलेख के अंतर्गत महत्वपूर्ण नियम 10,11,12 एवं 13 पर विश्लेषण किया जा रहा है।

    नियम-10 जहां साक्षी समन का अनुपालन करने में असफल रहता है वहां प्रक्रिया-(1) जहां वह व्यक्ति जिसके नाम साक्ष्य देने को हाजिर होने के लिए या दस्तावेज पेश करने के लिए समन निकाला गया है, ऐसे समन के अनुपालन में हाजिर होने या दस्तावेज पेश करने में असफल रहता है वहां न्यायालय-

    (क) यदि तामील करने वाले अधिकारी का प्रमाणपत्र शपथपत्र द्वारा सत्यापित नहीं किया गया है या यदि समन की तामील पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा कराई गई तो, यथास्थिति, तामील करने वाले ऐसे अधिकारी या पक्षकार या उसके अभिकर्ता की जिसने शपथपत्र की तामील कराई थी, समन की तामील होने या न होने के बारे में शपथपत्र पर परीक्षा करेगा या किसी न्यायालय द्वारा उसकी इस प्रकार परीक्षा कराएगा, अथवा

    (ख) यदि तामील करने वाले अधिकारी का प्रमाणपत्र इस प्रकार सत्यापित किया गया है तो यथास्थिति, तामील करने वाले ऐसे अधिकारी या पक्षकार या उसके अभिकर्ता की जिसने शपथपत्र की तामील कराई थी, समन की तामील होने या न होने के बारे में शपथपत्र पर परीक्षा कर सरेना या किसी न्यायालय द्वारा उसकी इस प्रकार परीक्षा करा सकेगा।

    (2) जहां न्यायालय को यह विश्वास करने के लिए कारण दिखाई देता है कि ऐसा साक्ष्य या ऐसा दस्तावेज पेश किया जाना तात्विक है और ऐसे समन के अनुपालन में हाजिर होने या ऐसी दस्तावेज देश करने में ऐसा व्यक्ति विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना असफल रहा है या उसने तामील से अपने को साशय बचाया है वहां वह उससे यह अपेक्षा करने वाली उद्‌घोषणा निकाल सकेगा कि वह उसमें नामित समय और स्थान में साक्ष्य देने या दस्तावेज पेश करने के लिए हाजिर हो और ऐसी उद्‌द्घोषणा की प्रति उस गृह के बाहर द्वार पर या अन्य सहजदृश्य भाग पर लगाई जाएगी जिसमें वह मामूली तौर से निवास करता है।

    (3) न्यायालय ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए वारंट प्रतिभूति के सहित या बिना ऐसी उद्‌द्घोषणा के बदले में या उसे निकालने के समय या तत्पश्चात किसी भी समय, स्वविवेकानुसार निकाल सकेगा और उसकी सम्पत्ति की कुर्की के लिए आदेश ऐसी कुर्की के खर्चों की और नियम 12 के अधीन अधिरोपित किए जाने वाले किसी जुर्माने की रकम से अनधिक ऐसी रकम के लिए कर सकेगा जो वह ठीक समझे, परन्तु कोई भी लघुवाद न्यायालय स्थावर सम्पत्ति की कुर्की के लिए आदेश नहीं करेगा।

    नियम-11 यदि साक्षी उपसंजात हो जाता है तो कुर्की प्रत्याहत की जा सकेगी जहां ऐसा व्यक्ति अपनी सम्पत्ति की कुर्की के पश्चात् किसी समय उपसंजात हो जाता है और-

    (क) न्यायालय का समाधान कर देता है कि समन के अनुपालन करने में वह विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना असफल नहीं रहा है या उसने तामील से अपने को साशय नहीं बचाया है, तथा

    (ख) जहां वह अन्तिम पूर्ववर्ती नियम के अधीन निकाली गई उ‌द्घोषणा में नामित समय और स्थान में हाजिर होने में असफल रहा है वहां न्यायालय का समाधान कर देता है कि ऐसी उद्‌द्घोषना की कोई सूचना उसे ऐसे समय पर नहीं हुई थी कि वह हाजिर हो सकता, वहां न्यायालय यह निदेश देगा कि सम्पत्ति कुर्की से निर्मुक की जाए और कुर्की के खर्चों के सम्बन्ध में वह ऐसा आदेश करेगा जो वह ठीक समझे।

    नियम-12 यदि साक्षी उपसंजात होने में असफल रहता है तो प्रक्रिया-

    (1) जहां ऐसा व्यक्ति उपसंजात नहीं होता है या उपसंजात तो होता है किन्तु न्यायालय का समाधान करने में असफल रहता है वहां न्यायालय उसकी सांसारिक स्थिति और मामले की सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पांच सौ रुपये से अनधिक ऐसा जुर्माना उस पर अधिरोपित कर सकेगा जो वह ठीक समझे और इस प्रयोजन से कि यदि कोई युक्त जुर्माना हो तो उस जुर्माने की रकम के सहित ऐसी कुर्की के सभी खर्चों को चुकाया जा सके यह आदेश दे सकेगा कि उसकी सम्पत्ति या उसका कोई भाग कुर्क किया जाए और उसका विक्रय किया जाए या यदि वह पहले ही नियम 10 के अधीन कुर्क किया जा चुका है तो उसका विक्रय किया जाए: परन्तु यदि यह व्यक्ति जिसकी हाजिरी अपेक्षित है उक्त खर्चों और जुर्माने को न्यायालय में जमा कर देता है तो न्यायालय सम्पत्ति को कुर्की से निर्मुक्त किए जाने का आदेश देगा।

    (2) इस बात के होते हुए भी कि न्यायालय ने न तो नियम 10 के उपनियम (2) के अधीन उद्घोषणा निकाली है, और न उस नियम के उपनियम (3) के अधीन वारंट निकाला है और न कुर्की का आदेश दिया है, न्यायालय ऐसे व्यक्ति को यह हेतुक दर्शित करने के लिए सूचना देने के पश्चात् कि जुर्माना क्यों नहीं अधिरोपित किया जाना चाहिए, इस नियम के उपनियम (1) के अधीन जुर्माना अधिरोपित कर सकेगा।

    नियम-13 कुर्की करने का ढंग- डिक्री के निष्पादन में सम्पत्ति की कुर्की और विक्रय के बारे में उपबन्ध जहां तक कि वे लागू होने योग्य हों, इस आदेश के अधीन किसी कुर्की और विक्रय को उसी प्रकार लागू समझे जाएंगे मानो वह व्यक्ति जिसकी सम्पत्ति इस प्रकार कुर्क की गई है, निर्णीत-ऋणी हो।

    किसी व्यक्ति के नाम सीपीसी धारा 30 में वर्णित कोई बात के लिए समन निकालने पर भी यदि वह न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है, तो धारा 32 न्यायालय को चार प्रकार की कार्यवाही द्वारा उस व्यक्ति को उपस्थित होने के लिए विवश करने व दण्डित करने की शक्ति प्रदान करती है-

    (क) गिरफ्तारी का वारंट निकालना।

    (ख) उसकी सम्पति की कुर्की करना व उसे नीलाम (विक्रय) करना।

    (ग) उस पर पांच हजार रुपये तक जुर्माना करना।

    (घ) उपस्थित होने के लिए प्रतिभूति (जमानत) देने का आदेश देना, और

    ऐसा न करने पर (चूक होने पर) उसे सिविल कारगार (जेल) में भेज देना।

    धारा 32 तभी लागू होती है, जब कोई समन धारा 30 में वर्णित किसी मामले में निकाला गया हो। केवल दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए किसी व्यक्ति को आदेश देने मात्र पर यह धारा लागू नहीं होगी।

    इस ही धारा 32 को व्यवहार में लाते हुए समन की पालना नहीं करने पर उपर्युक्त कार्यवाहियां करने के लिए नियम आदेश 16 के नियम 10 से 13 में दिये गये हैं।

    समन की पालना नहीं करने पर प्रक्रिया-

    यह नियम केवल उस व्यक्ति के विरुद्ध लागू होगा, जिसे साक्ष्य देने के लिए या दस्तावेज पेश करने के लिए समन निकाल कर बुलाया गया था।

    ऐसा उपबन्ध धारा 30 के खण्ड (ख) में भी है। उसके द्वारा समन की पालना नहीं करने पर निम्न प्रकार से कार्यवाही की जाएगी-

    (1) तामीलकर्ता की परीक्षा (नियन 10, 11) - इसमें दो परिस्थितियां हैं- (क) जब तामीलकर्ता की रिपोर्ट (प्रमाण-पत्र) शपथ-पत्र द्वारा सत्यापित नहीं है या (ख) जब सत्यापित है। या जब तामील पक्षकार के द्वारा कराई गई है, तो (1) न्यायालय शपथपत्र पर उनकी (तामीलकर्ता की) परीक्षा कर सकेगा, या (1) किसी न्यायालय द्वारा इसकी परीक्षा करायेगा कि समन की तामील हुई या नहीं।

    (2) उ‌द्घोषणा निकालना-नियम 10 (2) - न्यायालय को कारण सहित विश्वास हो जाए कि (1) ऐसा साक्ष्य पेश करना तात्विक है, और

    (2) ऐसा साक्षी समन के बावजूद उपस्थित नहीं हुआ है, जिसके लिए कोई विधिमान्य कारण नहीं है या (।।) उसने जानबूझकर तामील से अपने को बचाया है-

    तो न्यायालय उसके उपस्थित होने की अपेक्षा में एक उद्‌घोषणा निकालेगा, जिसमें दिये गए समय व स्थान पर उसे साक्ष्य देने का दस्तावेज पेश करने के लिए उपस्थित होने को कहा जाएगा और ऐसे व्यक्ति के गृह के बाहर या निवास स्थान पर खुले स्थान परचिरका की जाएगी।

    जमानती वारंट द्वारा गवाहों को समन करना- ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया कि उस गवाह की साक्ष्य सारभूत और गवाह जानबूझ कर तामील को टाल रहा था। ऐसी स्थिति में वारन्ट जारी करना और उस पर अर्थदण्ड (जुर्माना) लगाना न्यायालय की अधिकारिता में नहीं है।

    विनिर्दिश पालन के एक वाद में वादी को गवाहों के दस्ती समन दिये गये, पर गवाह तामील होने पर भी अनुपस्थित रहे। उनके विरुद्ध आदेश 16, नियम 10 की कार्यवाही करने का आदेश दिया गया और निर्देश दिया कि गवाहों को वारंट के द्वारा बुलाया जाए। इसके बाद कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया और न्यायालय ने साक्ष्य बन्द कर आदेश 17 नियम के अधीन वाद को खारिज कर दिया। निर्धारित कि इसमें विचारण न्यायालय ने कोई गलती नहीं की। अपील खारिज की गई।

    गिरफ्तारी व कुर्की के आदेश [नियम 10 (3)]-(1) न्यायालय उस व्यक्ति के विरुद्ध उद्‌घोषणा के बदले या उसके साथ या बाद में कभी भी गिरफ्तारी का वारन्ट जमानती या बिना जमानती स्वविवेक से जारी कर सकेगा और (1) उसकी सम्पत्ति की कुर्की का आदेश करेगा, जिसमें कुर्की का खर्च तथा नियम 12 के अधीन किया गया जुर्माना की राशि वसूल की जाएगी। लघुवाद न्यायालय स्थावर सम्पति की कुर्की का आदेश नहीं करेगा। गिरफ्तारी वारन्ट प्ररूप संख्याक 11 में तथा कुर्की का आदेश प्ररूप संख्यांक 16 में जारी किया जायेगा।

    यदि कुर्की के बाद ऐसा व्यक्ति उपस्थित हो जाता है, तो कुर्की के खर्च की वसूली के बाद उसके द्वारा उचित कारण बताने पर वह कुर्की हटायी जायेगी।

    यदि वह उपस्थित नहीं होता है या उपस्थित होता है, पर न्यायालय का समाधान नहीं कर पाता है, तो उसकी सांसारिक स्थिति और मामले की परिस्थिति के अनुसार उस पर न्यायालय जुर्माना कर सकेगा। जुर्माना व कुर्की खर्चा उससे वसूल किया जाएगा।

    कारण बताओ नोटिस [नियम 12(1)]- जब न्यायालय ने न तो नियम 10 (2) के अधीन उ‌द्घोषणा निकाली, न नियम 10 (3) के अधीन वारन्ट या कुर्की निकाली, फिर भी न्यायालय एक कारण बताओ नोटिस देकर ऐसे व्यक्ति को जुर्माना कर सकेगा।

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