सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 66: आदेश 13 नियम 7 से 11 तक के प्रावधान

Shadab Salim

2 Jan 2024 3:00 PM IST

  • सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 66: आदेश 13 नियम 7 से 11 तक के प्रावधान

    सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 13 दस्तावेजों का पेश किया जाना परिबद्ध किया जाना और लौटाया जाना से संबंधित है। इस आलेख के अंतर्गत आदेश 13 के नियम 7,8,9,10 व 11 पर विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।

    नियम-7 गृहीत दस्तावेजों का अभिलेख में सम्मिलित किया जाना और नामंजूर की गई दस्तावेज को लौटाया जाना

    (1) हर ऐसी दस्तावेजों जो साक्ष्य में ग्रहण कर ली गई है या जहाँ नियम 5 के अधीन मूल प्रति के स्थान में उसकी प्रति रखी गई है वहाँ उसकी प्रति, वाद के अभिलेख का भाग होगी।

    (2) दस्तावेजें जो साक्ष्य में ग्रहण नहीं की गई है, अभिलेख का भाग नहीं होंगी और वे, यथास्थिति उन व्यक्तियों को लौटा दी जायेंगी जिन्होंने उन्हें पेश किया था।

    नियम-8 न्यायालय किसी दस्तावेज के परिबद्ध किए जाने का आदेश दे सकेगा-यदि न्यायालय को इस बात के लिए पर्याप्त हेतुक दिखाई दे तो वह किसी वाद में अपने समक्ष पेश की गई किसी भी दस्तावेज या बही के इस आदेश के नियम 5 या 7 में या आदेश 7 के नियम 7 में किसी बात के होते हुए भी, ऐसी अवधि के लिए और ऐसी शर्तों के अधीन जो न्यायालय ठीक समझे, परिबद्ध किये जाने और न्यायालय के किसी अधिकारी की अभिरक्षा में रखे जाने के लिए निदेश दे सकेगा।

    नियम-9 गृहीत दस्तावेजों का लौटाया जाना (1) वाद में अपने द्वारा पेश की गई और अभिलेख में सम्मिलित की गई किसी दस्तावेज को वापस लेने की वांछा करने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे वह वाद का पक्षकार हो या न हो, उस दस्तावेज को जब तक कि वह नियम 8 के अधीन परिबद्ध न कर दी गई हो, वापस प्राप्त करने का हकदार-

    (क) जहाँ वाद ऐसा है जिसमें अपील अनुज्ञात नहीं है वहाँ उस समय होगा जब वाद का निपटारा हो गया है, तथा

    (ख) जहाँ वाद ऐसा है कि उसमें अपील अनुज्ञात है वहाँ उस समय होगा जब न्यायालय का समाधान हो जाता है कि अपील करने का समय बीत चुका है और अपील नहीं की गई है या यदि अपील की गई है तो उस समय होगा जब अपील निपटा दी गई होः

    [परन्तु इस नियम द्वारा विहित समय से पूर्वतर किसी भी समय दस्तावेज लौटाया जा सकेगा यदि उसकी वापसी के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति-

    (क) समुचित अधिकारी हो-

    (1) वाद के पक्षकार की दशा में मूल के स्थान पर रखने के लिए प्रमाणित प्रति परिदत्त करता है, और (2) किसी अन्य व्यक्ति की दशा में ऐसी मामूली प्रति परिदत्त करता है जो आदेश 7 के नियम 17 के उपनियम (2) में वर्णित रीति से परिक्षित, मिलान की गई और प्रमाणित है, और (ख) यह वचन देता है कि यदि उससे ऐसी अपेक्षा की गई हो तो वह मूल को पेश कर देगा:]

    परन्तु यह और भी कि ऐसी कोई दस्तावेज नहीं लौटाई जायेगी जो डिकी के बल से पूर्णतया शून्य या निरुपयोगी हो गई है।

    (2) साक्ष्य में गृहीत दस्तावेज की वापसी पर उसे प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा रसीद दी जायेगी।

    नियम-10 न्यायालय स्वयं अपने अभिलेखों में से या अन्य न्यायालयों के अभिलेखों में से कागज मंगा सकेगा (1) न्यायालय स्वप्रेरणा से या वाद के पक्षकारों में से किसी के आवेदन पर स्वविवेकानुसार अपने अभिलेखों में से या किसी अन्य न्यायालय के अभिलेखों में से किसी अन्य वाद या कार्यवाही का अभिलेख मंगा सकेगा और उसका निरीक्षण कर सकेगा।

    (2) इस नियम के अधीन किया गया हर आवेदन का (जब तक कि न्यायालय अन्यथा निदेश न करे) एक ऐसे शपथ पत्र द्वारा समर्थन किया जाएगा जिसमें यह दर्शित होगा कि उस वाद में, जिसमें आवेदन किया गया है, यह अभिलेख कैसे तात्विक है और यह कि आवेदन अयुक्तियुक्त विलम्ब या व्यय के बिना उस अभिलेख की या उसके ऐसे भाग की जिसकी उसे आवश्यकता है, सम्यक रूप से अधिप्रमाणीकृत प्रति अभिप्राप्त नहीं कर सकता है या यह कि मूल की पेशी न्याय के प्रयोजनों के लिए आवश्यक है।

    (3) इस नियम की कोई भी बात किसी भी ऐसी दस्तावेज को, जो वाद में साक्ष्य की विधि के अधीन अग्राह्य होती, साक्ष्य में उपयोग करने के लिए न्यायालय को समर्थ बनाने वाली नहीं समझी जायेगी।

    नियम-11 दस्तावेजों से सम्बन्धित उपबन्धों का भौतिक पदार्थों को लागू होना-दस्तावेजों के सम्बन्ध में इसमें अन्तर्विष्ट उपबन्ध साक्ष्य के रूप में पेश किए लागू होंगे।

    दस्तावेजों का लौटाया जाना-नियम 7 के अनुसार ग्रहण किये गये दस्तावेज अभिलेख का भाग होंगे और ग्रहण नहीं किये दस्तावेज प्रस्तुतकर्ता को वापस कर दिये जावेंगे। संदेहास्पद दस्तावेजों को न्यायालय परिबद्ध कर सकता है, रोक सकता है साधारण कागज पर लिखा गया एवं प्रदर्शित दस्तावेज विक्रय करने के लिये करार, को सम्यक् रूप से अस्टाम्पित दस्तावेज की परिधि में नहीं आता अत: आदेश 13 नियम 8 के प्रावधान लागू नहीं होते। नियम 9 में ग्रहण किये गये दस्तावेजों को कुछ शर्तों के आधार पर हकदार व्यक्ति को लौटाया जा सकेगा। इसके लिए उसे आवेदन करना होगा।

    स्वीकृत दस्तावेजों का वापिस लौटाया जाना- धन पर प्रस्तुत किया गया है। असल प्रोमेसरी नोट के वसूली का वाद जो कि प्रोमेसरी नोट के नवसूला स्थान पर प्रमाणित प्रति रखकर, लौटाये जाने का प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया। अधीनस्थ न्यायालय ने कोई आदेश पारित नहीं किया। 3 सप्ताह में आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया।

    न्यायालय की अभिलेख से कागज मंगाने की शक्तियां

    न्यायालय अन्य न्यायालय से कागज मंगा सकता है- (1) स्वयं अपने अभिलेख में से (2) अन्य न्यायालय के अभिलेख में से।

    (2) इसके लिए पक्षकार नियम 10(2) के अधीन आवेदन करेगा। उस पर न्यायालय कार्यवाही करेगा।

    (3) न्यायालय उस अभिलेख का निरीक्षण कर सकेगा, परन्तु ऐसी दस्तावेज को जो साक्ष्य में अग्राह्य है, उसका उपयोग न्यायालय नहीं कर सकेगा।

    बाद या कार्यवाही के अभिलेख का अर्थ का प्रयोग - किसी पक्षकार द्वारा किसी अभिलेख को केवल समन कर मंगवा लेना ही साक्ष्य नहीं बन जाता है, उसमें से संगत दस्तावेजों को विधि के अनुसार साबित करना होगा।

    वाद या कार्यवाही के अभिलेख में तीन प्रकार के दस्तावेज होते हैं-

    (1) जो उस मामले में साक्ष्य के रूप में प्रदर्शित किए गए हैं,

    (2) जो वादपत्र के साथ प्रस्तुत किये गये हैं,

    (3) जो आदेश 13 के अधीन प्रस्तुत किये गये हैं।

    नियम 10 के सही निर्वचन और अर्थान्वयन के अनुसार, एक पक्षकार किसी प्रक्रम पर, डिक्री के पहले या बाद में, केवल उपरोक्त तीन प्रकार के दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ प्राप्त कर सकता है, जो नियम 10 के अर्थ में वाद के अभिलेख से आवृत समझे जायेंगे।

    यह नियम इस आदेश के उपबन्धों को भौतिक पदार्थों पर भी लागू करता है, जो साक्ष्य में पेश किये जाते हैं।

    देरी से दस्तावेजों को ग्रहण करने से मना करना- ऐसे दस्तावेजों को जो सूची में नहीं थे देरी से पेश करने का कोई अच्छा कारण नहीं बताया गया, तो उनको अभिलेख पर ग्रहण करने से मना करना अनुचित नहीं है।

    बंधक के प्रवर्तन के लिए वाद - [आदेश 11, नियम 12]- एक वाद में बंधक वाद में प्रतिरक्षा की गई कि बंधक नहीं किया गया था। प्रतिवादी ने अनुरोध किया कि-बंधक के फर्जी होने के बारे में हो रही अनुशासनिक जाँच की विभागीय फाइल मंगाई जावे। अभिनिर्धारित कि- फाइल मंगवाना आवश्यक नहीं है। साक्ष्य देकर और साक्षियों से जिरह करके वह बात साबित की जा सकती थी। अपील स्वीकार की गई। प्रत्यर्थी को बंधक विलेख के फर्जी होने के बारे में साक्ष्य देने की छूट दी गई।

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