सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 154: आदेश 26 नियम 2,3 एवं 4 के प्रावधान

Shadab Salim

22 March 2024 5:33 PM IST

  • सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 154: आदेश 26 नियम 2,3 एवं 4 के प्रावधान

    सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 26 कमीशन के संबंध में है। यहां सीपीसी में कमीशन का अर्थ न्यायालय के कामों को किसी अन्य व्यक्ति को देकर न्यायालय की सहायता करने जैसा है। इस आलेख के अंतर्गत इस ही आदेश 26 के नियम 2,3 व 4 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।

    नियम-2 कमीशन के लिए आदेश साक्षी की परीक्षा करने के लिए कमीशन निकाले जाने के आदेश न्यायालय या तो स्वप्रेरणा से या वाद के किसी पक्षकार के या उस साक्षी के जिसकी परीक्षा की जानी है, ऐसे आवेदन पर जो शपथपत्र द्वारा या अन्यथा समर्थित हो, किया जा सकेगा।

    नियम-3 जहां साक्षी न्यायालय की अधिकारिता के भीतर निवास करता है जो व्यक्ति कमीशन निकालने वाले न्यायालय की अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर निवास करता है उसकी परीक्षा करने के लिए कमीशन किसी ऐसे व्यक्ति के नाम निकाला जा सकेगा जिसे न्यायालय उसका निष्पादन करने के लिए ठीक समझे।

    नियम-4 वह व्यक्ति जिनकी परीक्षा करने के लिए कमीशन निकाला जा सकेगा (1) कोई भी न्यायालय-

    (क) अपनी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं से परे निवासी किसी भी व्यक्ति की, (ख) किसी भी ऐसे व्यक्ति की जो ऐसी सीमाओं को उस तारीख से पहले छोड़ने वाला है जिसको न्यायालय में परीक्षा की जाने के लिए वह अपेक्षित है, तथा (ग) सरकार की सेवा के किसी भी ऐसे व्यक्ति की जिसके बारे में न्यायालय की राय है कि वह लोक सेवा का अपाय किए बिना हाजिर नहीं हो सकता, परिप्रश्नों द्वारा या अन्यथा परीक्षा करने के लिए कमीशन किसी भी वाद में निकाल सकेंगा

    [परन्तु जहां किसी व्यक्ति को आदेश 16 के नियम 19 के अधीन न्यायालय में स्वयं हाजिर होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है वहां, उसका यदि साक्ष्य न्याय के हित में आवश्यक समझा जाए तो, उसकी परीक्षा के लिए कमीशन निकाला जाएगा

    परन्तु यह और कि परिप्रश्नों द्वारा ऐसे व्यक्ति की परीक्षा के लिए कमीशन तब तक नहीं निकाला जाएगा जब तक कि न्यायालय ऐसे कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएंगे ऐसा करना आवश्यक न समझे।]

    (2) ऐसा कमीशन उच्च न्यायालय से भिन्न किसी भी ऐसे न्यायालय के नाम जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर ऐसा व्यक्ति निवास करता है या किसी भी प्लीडर या अन्य व्यक्ति के नाम, जिसे कमीशन निकालने वाला न्यायालय नियुक्त करे, निकाला जा सकेगा।

    (3) न्यायालय कोई भी कमीशन इस नियम के अधीन निकालने पर यह निदेश देगा कि कमीशन उस न्यायालय को या किसी अधीनस्थ न्यायालय को लौटाया जाएगा।

    नियम 2 से 4 में साक्षियों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालने के लिए विधि बताई गई है।

    आदेश का आधार (नियम 2) न्यायालय (1) स्वप्रेरणा से या (2) किसी पक्षकार या साक्षी के आवेदन करने दर कमीशन निकाल सकेगा। ऐसा आवेदन शपथपत्र से या अन्यथा समर्थित होगा। इस प्रकार नियम (2) न्यायालय को विवेकाधिकार प्रदान करता है।

    विवेकाधिकार का प्रयोग मनमाना नहीं होगा कमीशन जारी करने का आदेश देने का न्यायालय का विवेकाधिकार इतना विस्तृत है कि न्यायालय (1) स्वप्रेरणा से या (2) शपथपत्र पर या अन्यधा कमीशन जारी कर सकता है। अतः पक्षकार का शपथपत्र या गवाह प्रस्तुत करना न तो आज्ञायक है, न कोई पूर्व-शर्त। इसके लिए उन परिस्थितियों और तारतम्यों का मूल्यांकन करना होगा, जिनके आधार पर पक्षकार न्यायालय को अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करने के लिए निमन्त्रण देता है। ऐसे विवेकाधिकार का प्रयोग मनमाना नहीं होगा।

    अधिकारिता क्षेत्र का निवासी (नियम-3) न्यायालय की अधिकारिता के क्षेत्र के निवासी व्यक्ति की परीक्षा करने के लिए न्यायालय किसी उचित और योग्य व्यक्ति को "आयुक्त" नियुक्त कर सकेगा। किनकी परीक्षा के लिए कमीशन निकाला जा सकेगा। नियम 4(1) के अनुसार (क) न्यायालय की अधिकारिता के बाहर के निवासी, सीमाओं को छोड़कर जाने वाले व्यक्ति तथा (ग) सरकारी सेवक की परीक्षा के लिए कमीशन निकाला जा सकेगा। ऐसे व्यक्ति की परीक्षा के लिए भी कमीशन निकाला जाएगा जिसे आदेश 16 के नियम 19 के अधीन स्वयं हाजिर होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

    संशोधन 1976-साक्षियों की कमीशन पर परीक्षा पहले न्यायालयों में इस बारे में मतभेद था, जिसे दूर करने के लिए संशोधन 1976 में दो परन्तुक जोड़कर यह उपबंध कर दिया गया है कि जिस साक्षी को आदेश 16 नियम 19 के अधीन न्यायालय में उपस्थित होने के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता है, ऐसे साक्षी की साक्ष्य यदि न्यायहित में आवश्यक है, तो न्यायालय को उस साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करना होगा।

    परिप्रश्नों द्वारा परीक्षा [परन्तुक (2)] इसके लिए कभी भी कमीशन निकाला जा सकता है, यदि न्यायालय उचित समझे, परन्तु न्यायालय कारण लेखबद्ध कर आवश्यक नहीं समझने पर कमीशन नहीं निकालेगा।

    न्यायालय को कमीशन [उपनियम (2)] कमीशन (1) किसी न्यायालय के नाम (उच्च न्यायालय के अलावा) या (2) किसी प्लीडर या (3) किसी व्यक्ति के नाम न्यायालय नियुक्त करके जारी कर सकता है।

    निदेश [उपनियम (1) कमीशन को लौटाना इस प्रकार निकाले गए कमीशन को उस न्यायालय को या उसके किसी अर्थ में न्यायालय लौटने का निदेश दिया जावेगा।

    कमीशन जब जारी नहीं किया जा सकता- केवल इस आशंका से कि पक्षकार अपने पास की लेखा बहियों में उलटफेर कर देगा, न्यायालय उन लेखाबहियों को जब्त करने के लिए कमीशन जारी करने के लिए सशक्त नहीं है।

    निवासी (Residents) का अर्थ- उसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के बाहर के निवासी शब्दावली में आये शब्द निवासी का अर्थ स्थायी निवासी से नहीं है। एक मामले में छः मास से अधिक विदेशों में रहने वाले व्यक्ति को न्यायालय की अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के बाहर रहने वाला माना गया।

    न्यायालय का विवेकाधिकार जारी कर सकेगा (may issue) - आयोग (कमीशन) जारी करना या न करना न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है, परन्तु इसका प्रयोग न्यायिक रूप से किया जावेगा।

    यदि न्यायालय न्यायिक रूप से विवेकाधिकार का प्रयोग नहीं करता है, तो यह अपील में हस्तक्षेप करने का आधार नहीं बन जाता, जब तक कि यह दर्शित नहीं कर दिया जाए कि यदि निम्नतर न्यायालय अपने विवेक का प्रयोग न्यायिक रूप से करता, तो निर्णय भिन्न होता।

    कमीशन जारी करने से मना करना - निम्नांकित कारण कमीशन जारी करने से मना करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं-

    विदेशी विनिमय प्राप्त नहीं होने की सम्भावना।

    साक्षियों के मनोभाव-भंगिमा (demeanour) देखने का अवसर नहीं मिलना।

    भारी-भरकम अभिलेख के लाने में कठिनाई।

    पक्षकार के पास कमीशन के खर्चे देने के लिए आस्तियों (धन) का अभाव।

    स्थानीय निरीक्षण तथा कमीशन निकालना- जब न्यायालय वादग्रस्त स्थान का स्थानीय निरीक्षण करना चाहता हो, तो इस नियम के अधीन कमीशन निकालना उचित तरीका नहीं है, ऐसा करने के लिये आदेश 39 का नियम 7 लागू होगा।

    कमीशन जारी करने का दो बार आदेश उचित वादी की परीक्षा के लिए विचारण-न्यायालय ने कमीशन जारी करने का स्वविवेक से निर्णय लिया, इस पर प्रतिवादी ने उस समय कोई एतराज नहीं उठाया। काफी लम्बे समय तक कमीशन का निष्पादन न होने पर न्यायालय ने स्वविवेक से दूसरा कमिश्नर नियुक्त कर दिया। अभिनिर्धारित कि न्यायालय का विवेकाधिकार उचित था। इस मामले में वादी न्यायालय के स्थानीय अधिकार- क्षेत्र के बाहर निवास करता था। अतः उसकी परीक्षा कमीशन के द्वारा की जा सकती है।

    पक्षकारों की कमीशन पर परीक्षा का प्रश्न-

    (क) वादी की कमीशन पर परीक्षा-वादी ने जब एक वाद बम्बई के न्यायालय में प्रस्तुत किया, जबकि वह स्वयं दिल्ली का निवासी है और कमीशन पर स्वयं की परीक्षा के लिए आवेदन करता है, तो जब तक कि कोई ठोस मामला नहीं बनता हो, न्यायालय कमीशन के लिए आवेदन को अस्वीकार कर देगा क्योंकि बम्बई अधिकरण को उसी ने न्यायमंच बनाया था।

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