राजस्थान किराया नियंत्रण कानून, 2001 का अध्याय V-A: रेंट अथॉरिटी की नियुक्ति और टेनेन्सी एग्रीमेंट की अनिवार्यता

Himanshu Mishra

8 April 2025 1:29 PM

  • राजस्थान किराया नियंत्रण कानून, 2001 का अध्याय V-A: रेंट अथॉरिटी की नियुक्ति और टेनेन्सी एग्रीमेंट की अनिवार्यता

    राजस्थान सरकार ने Rajasthan Rent Control (Amendment) Act, 2017 (संशोधन अधिनियम) के माध्यम से Rajasthan Rent Control Act, 2001 में Chapter V-A जोड़ा। इस अध्याय का उद्देश्य राज्य में किरायेदारी (Tenancy) के मामलों को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और कानूनी रूप से नियंत्रित बनाना है। इस अध्याय में दो मुख्य विषय शामिल हैं — Rent Authority की नियुक्ति और Tenancy Agreements को अनिवार्य (Mandatory) बनाना। आइए इसे सरल भाषा में विस्तार से समझते हैं।

    धारा 22-A: रेंट अथॉरिटी की नियुक्ति (Section 22-A: Appointment of Rent Authority)

    धारा 22-A(1) के अनुसार, राज्य सरकार Official Gazette में नोटिफिकेशन जारी करके Rajasthan Administrative Service के उन अधिकारियों को Rent Authority नियुक्त कर सकती है, जिनका पद Sub-Divisional Officer (SDO) से नीचे न हो। यह Rent Authority उस क्षेत्र (Jurisdictional Area) में कार्य करेगा जो संबंधित Rent Tribunal के अंतर्गत आता है।

    Rent Authority को कुछ विशेष धाराओं — धारा 22-B, 22-D, 22-E, 22-G, 23 और 24 — के अंतर्गत कार्य करने और निर्णय लेने का अधिकार होगा। यानी यह अधिकारी किरायेदारी से जुड़े विवादों, रजिस्ट्रेशन और अन्य प्रक्रियाओं को संभालने के लिए अधिकृत होगा।

    धारा 22-A(2) में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति Rent Authority के आदेश से असंतुष्ट है, तो वह Rent Tribunal में 60 दिनों के अंदर अपील (Appeal) कर सकता है। यह अपील अधिकार (Right to Appeal) सभी पक्षों को निष्पक्ष सुनवाई का अवसर प्रदान करती है।

    धारा 22-A(3) कहती है कि Rent Authority का कोई भी आदेश, जब तक कि उसे Rent Tribunal द्वारा बदला, रद्द या संशोधित न किया जाए, अंतिम (Final) माना जाएगा। और ऐसे आदेशों को किसी Civil Court में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि किरायेदारी विवाद केवल इसी अधिनियम के तहत हल किए जाएं और अन्य न्यायालय इसमें हस्तक्षेप न करें।

    धारा 22-B: किरायेदारी समझौते (Section 22-B: Tenancy Agreements)

    धारा 22-B(1) कहती है कि Rajasthan Rent Control (Amendment) Act, 2017 लागू होने के बाद, कोई भी व्यक्ति किसी भी मकान को किराये पर दे या ले नहीं सकता, जब तक कि दोनों पक्षों — Landlord और Tenant — के बीच लिखित समझौता (Written Agreement) न हो। इसके साथ ही, इस समझौते की जानकारी दोनों पक्षों को मिलकर Rent Authority को देनी होगी। यह जानकारी एक विशेष फॉर्म में दी जानी चाहिए, जिसे Schedule-D कहा गया है।

    धारा 22-B(2) पुराने किरायेदारी मामलों से जुड़ी है, जो संशोधन अधिनियम के लागू होने से पहले शुरू हुई थीं।

    इसमें दो स्थितियाँ बताई गई हैं:

    • (a) यदि पहले से ही कोई लिखित समझौता (Written Agreement) हुआ है, तो उसकी जानकारी Schedule-D फॉर्म में Rent Authority को दी जानी चाहिए।

    • (b) यदि पहले कोई लिखित समझौता नहीं हुआ था, तो अब Landlord और Tenant को एक नया Written Agreement बनाना होगा और उसकी जानकारी Schedule-D में देनी होगी।

    प्रावधान यह भी करता है कि यदि Landlord और Tenant मिलकर यह जानकारी नहीं देते या आपसी सहमति नहीं बना पाते, तो वे अलग-अलग (Separately) भी Rent Authority को किरायेदारी की जानकारी दे सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी पुराना या विवादित किराया समझौता भी कानून के दायरे में आ जाए।

    धारा 22-B(3) समय सीमा (Time Limit) के बारे में है। कोई भी नया किरायेदारी समझौता किरायेदारी शुरू होने से पहले ही लिखित रूप में करना होगा। और पुराने मामलों में (जिन पर Clause (b) लागू होता है), नया Written Agreement 2017 संशोधन अधिनियम के लागू होने की तारीख से एक साल के भीतर बनाना होगा।

    धारा 22-B(4) Rent Authority को यह जिम्मेदारी देती है कि वह जो भी जानकारी प्राप्त करे, उसे एक पंजी (Register) में दर्ज करे। यह पंजी खास तौर पर Tenancy Agreements के रिकॉर्ड के लिए होगी और उसमें Schedule-D के अनुसार सभी विवरण होंगे। Rent Authority को इसके बाद Landlord और Tenant को एक पंजीकरण संख्या (Registration Number) प्रदान करनी होगी।

    धारा 22-B(5) इस जानकारी की प्रमाणिकता (Evidentiary Value) से जुड़ी है। इसका मतलब यह है कि जो जानकारी Rent Authority को दी गई है, वह किसी भी न्यायिक कार्यवाही में प्रमाण (Evidence) मानी जाएगी। यदि Written Agreement में कुछ ऐसा लिखा गया है जो Schedule-D में दी गई जानकारी से मेल नहीं खाता, तो उसे प्रमाण के रूप में नहीं माना जाएगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि Rent Authority को दी गई जानकारी ही प्राथमिक रूप से मान्य होगी।

    धारा 22-B(6) Rent Authority को यह आदेश देती है कि वह हर किरायेदारी के विवरण को, जिसमें Registration Number भी शामिल हो, अपनी वेबसाइट पर 15 दिनों के अंदर अपलोड करे। यह पारदर्शिता (Transparency) सुनिश्चित करता है और किरायेदारी संबंधी धोखाधड़ी से सुरक्षा देता है।

    Chapter V-A राजस्थान में किरायेदारी कानून को अधिक आधुनिक और व्यवस्थित बनाता है। अब हर किराया समझौता लिखित रूप में होना अनिवार्य है और उसे Rent Authority के पास रजिस्टर करवाना भी जरूरी है। इससे Landlord और Tenant दोनों को कानूनी सुरक्षा (Legal Protection) मिलती है।

    Rent Authority और Rent Tribunal जैसे विशेष तंत्र इस व्यवस्था को सरल और प्रभावी बनाते हैं। Rent Authority की नियुक्ति से किरायेदारी मामलों को जल्दी और कुशलता से हल किया जा सकता है। साथ ही, डिजिटल रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन रिकॉर्ड व्यवस्था किरायेदारी को पारदर्शी और सुरक्षित बनाती है।

    इस प्रकार, धारा 22-A और 22-B राजस्थान में किरायेदारी से जुड़े नियमों को कानूनी रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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