क्या Certified Copy मिलने में लगे समय को Appeal की Limitation में जोड़ा जा सकता है? Limitation Act और E-Filing से जुड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

Himanshu Mishra

29 May 2025 12:20 PM

  • क्या Certified Copy मिलने में लगे समय को Appeal की Limitation में जोड़ा जा सकता है? Limitation Act और E-Filing से जुड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

    Supreme Court ने Sanket Kumar Agarwal बनाम APG Logistics Pvt. Ltd. (2023) के फैसले में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया संबंधी सवाल का समाधान किया कि Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 (IBC) के तहत National Company Law Tribunal (NCLT) के आदेश के खिलाफ Appeal दायर करने की समय सीमा (Limitation) कैसे गिनी जानी चाहिए, खासकर जब Certified Copy मिलने में देरी हो जाती है।

    Court ने यह भी जांचा कि क्या E-Filing के साथ-साथ Physical Filing की अनिवार्यता आज के Digital युग में तार्किक है या नहीं। इस फैसले में Section 61(2) IBC, Section 12 Limitation Act और NCLAT Rules, 2016 की व्याख्या करते हुए न्यायिक दक्षता और तकनीकी आधुनिकता पर ज़ोर दिया गया।

    Section 61(2) IBC और Appeal की Limitation (Time Limit under Section 61(2) IBC)

    IBC की Section 61(2) कहती है कि NCLT के आदेश के खिलाफ Appeal 30 दिन के अंदर NCLAT में दाखिल की जानी चाहिए। यदि कोई उचित कारण (Sufficient Cause) हो तो NCLAT इस 30 दिनों की अवधि को अधिकतम 15 दिनों तक बढ़ा सकता है। इसका मतलब है कि कुल 45 दिनों की सीमा है, जिसके बाद Appeal को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

    Supreme Court ने साफ किया कि Limitation की गणना करते समय जिस दिन आदेश (Order) सुनाया गया, उस दिन को गिनती से बाहर रखा जाना चाहिए। यह Rule 3 NCLAT Rules और Section 12(1) Limitation Act के अनुसार है।

    Limitation Act की Section 12 और IBC की Section 238A का असर (Effect of Section 12 Limitation Act and Section 238A IBC)

    IBC की Section 238A यह स्पष्ट करती है कि Limitation Act, 1963 की धाराएं IBC की Proceedings और Appeals पर लागू होंगी। इसका मतलब है कि जब किसी आदेश के खिलाफ Appeal करनी हो, तो Certified Copy प्राप्त करने में जो समय लगता है, उसे Limitation की गणना से बाहर रखा जाएगा—बशर्ते कि Certified Copy के लिए समय पर आवेदन कर दिया गया हो।

    Section 12(2) Limitation Act कहता है कि Appeal की समय सीमा की गणना करते समय Certified Copy प्राप्त करने के लिए Court द्वारा लिया गया समय (Time Requisite) Limitation से बाहर किया जाएगा।

    NCLAT Rules और Administrative Orders की व्याख्या (Interpretation of NCLAT Rules and Administrative Orders)

    NCLAT Rules की Rule 22 के अनुसार Appeal दाखिल करते समय Certified Copy साथ में लगानी आवश्यक है। Rule 3 यह बताता है कि जिस दिन से समय गिना जाना है, वह दिन गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा। Rule 103 के अनुसार Appeal को Electronic Mode (जैसे E-Filing) से दाखिल किया जा सकता है।

    2021 और 2022 में NCLAT द्वारा जारी विभिन्न Administrative Orders में Limitation की गणना को लेकर भ्रम रहा कि E-Filing की तारीख से Limitation गिनी जाएगी या Physical Filing की तारीख से। पहले 21 अक्टूबर 2022 को कहा गया कि Physical Filing की तारीख से Limitation गिनी जाएगी, लेकिन 24 दिसंबर 2022 को इसे बदलकर E-Filing की तारीख को Limitation की गणना के लिए मानक माना गया, और कहा गया कि Physical Copy E-Filing के 7 दिन के भीतर दी जानी चाहिए।

    इस केस में Appeal 10 अक्टूबर 2022 को E-Filed हुई थी और Physical Copy 31 अक्टूबर को दी गई थी। तब तक नया आदेश प्रभाव में नहीं आया था। इसलिए Supreme Court ने माना कि E-Filing की तारीख ही Limitation की सही शुरुआत मानी जाएगी।

    V Nagarajan Case का संदर्भ (Reference to V Nagarajan Case)

    V Nagarajan बनाम SKS Ispat (2022) के फैसले में Court ने कहा था कि Appeal के साथ Certified Copy लगाना अनिवार्य है और अगर Copy के लिए समय पर आवेदन किया गया हो तो उसे Limitation की गणना से बाहर किया जाएगा।

    उस मामले में Copy के लिए कोई आवेदन नहीं किया गया था, इसलिए Appeal समयबद्ध नहीं मानी गई थी। लेकिन वर्तमान मामले में Certified Copy के लिए समय पर आवेदन किया गया था, और Copy भी उचित समय में मिल गई थी। इसलिए Court ने कहा कि V Nagarajan के मामले के विपरीत, इस केस में Limitation से Copy प्राप्ति में लगा समय बाहर किया जाना चाहिए।

    Supreme Court का निर्णय और Procedural Clarity (Supreme Court's Decision and Procedural Clarity)

    Supreme Court ने यह माना कि NCLAT द्वारा यह कहना कि Appeal 46वें दिन दायर हुई गलत था। आदेश के दिन को बाहर करने और Certified Copy के लिए Court द्वारा लिए गए 10 दिन निकाल देने पर Appeal 45वें दिन दायर हुई थी, जो कि कानून द्वारा अनुमत अधिकतम सीमा है।

    Court ने यह भी माना कि अपीलकर्ता द्वारा देरी के लिए दिया गया स्पष्टीकरण (Explanation) उचित और वैध था और उसे स्वीकार कर लिया जाना चाहिए था। NCLAT ने अत्यधिक कठोर रुख अपनाया जिससे न्याय को ठेस पहुंची।

    E-Filing को लेकर आधुनिक दृष्टिकोण की ज़रूरत (Need for Modern Perspective on E-Filing)

    Supreme Court ने इस फैसले में Tribunals के कामकाज में E-Filing को मुख्यधारा में लाने पर ज़ोर दिया। Court ने दोहराया कि आज के समय में Physical Filing की ज़रूरत को बनाए रखना केवल समय और संसाधनों की बर्बादी है। यह ना केवल अनावश्यक है बल्कि पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक है।

    Court ने यह सुझाव भी दिया कि Union Government को Tribunals में Filing System को लेकर एक Working Group बनाना चाहिए जो सभी Tribunals के बीच प्रक्रिया को Uniform बनाए और E-Filing को बढ़ावा दे।

    Court ने स्पष्ट कहा कि अगर कुछ Judges E-Files के साथ काम करने में असहज हैं तो उन्हें Training दी जाए, लेकिन पुरानी प्रक्रियाओं को बनाए रखना उचित नहीं है। IBC जैसे आधुनिक और अर्थव्यवस्था से जुड़े कानून को आधुनिक प्रक्रिया के अनुसार ही लागू किया जाना चाहिए।

    न्यायिक निर्देश और निष्कर्ष (Judicial Directions and Conclusion)

    Supreme Court ने अपने आदेश की एक प्रति NCLAT के Chairperson और केंद्र सरकार के तीन मंत्रालयों – Finance, Corporate Affairs और Law & Justice – को भेजने का निर्देश दिया ताकि आगे इस प्रकार की गलती ना हो और सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।

    Court ने Appeal को Allow करते हुए NCLAT के 9 जनवरी 2023 के आदेश को रद्द कर दिया और Appeal को Merit पर दोबारा सुनने के लिए भेज दिया।

    यह फैसला IBC के तहत Procedural Justice की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। Court ने न केवल Limitation की सही व्याख्या की बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि E-Filing को गंभीरता से अपनाया जाए। Certified Copy प्राप्त करने में जो समय लगता है उसे Limitation से बाहर करना जरूरी है, बशर्ते कि आवेदन समय पर किया गया हो। यह निर्णय तकनीक-समर्थ न्याय प्रणाली की ओर एक मजबूत कदम है जो पारदर्शिता, सुलभता और न्याय को बढ़ावा देता है।

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