क्या बिना VVPAT की 100% गिनती के चुनावों की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकती है?

Himanshu Mishra

1 Aug 2025 9:21 PM IST

  • क्या बिना VVPAT की 100% गिनती के चुनावों की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकती है?

    Supreme Court ने Association for Democratic Reforms बनाम Election Commission of India (2024) मामले में Electronic Voting System (EVM प्रणाली) की वैधानिकता और पारदर्शिता (Transparency) से जुड़ी संवैधानिक (Constitutional) बातों पर विचार किया।

    इस मुकदमे में EVM की पारदर्शिता, मतदाता की पुष्टि (Verification) का अधिकार, और न्यायपालिका की भूमिका जैसे मूलभूत मुद्दे (Fundamental Issues) शामिल थे। अदालत ने तथ्यों की बजाय उस व्यवस्था (Systemic Safeguards) पर ध्यान केंद्रित किया जो पहले से ही लागू है और जिनका उद्देश्य स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है।

    पूर्व निर्णयों (Judicial Precedents) में EVM को दी गई वैधता

    अदालत ने पहले दिए गए कई महत्वपूर्ण फैसलों का सहारा लिया। Subramanian Swamy बनाम Election Commission of India (2013) में Court ने कहा था कि VVPAT प्रणाली "free and fair elections" के लिए अनिवार्य है। इसके बाद N. Chandrababu Naidu (2019) में Court ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच EVMs की VVPAT स्लिप की गिनती का निर्देश दिया था।

    इन फैसलों से यह स्पष्ट हुआ कि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पहले से पर्याप्त व्यवस्था की जा चुकी है, और नए निर्देश तभी जरूरी हैं जब किसी गड़बड़ी का ठोस प्रमाण हो।

    मतदाता के अधिकार (Voter's Right to Know) की सीमा

    मामले में याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि Article 19(1)(a) के तहत "Right to Know" (जानने का अधिकार) में यह भी शामिल होना चाहिए कि वोट सही से "गिना" गया है या नहीं। इसलिए वे 100% VVPAT स्लिप की गिनती या बैलेट पेपर (Paper Ballot) की वापसी की मांग कर रहे थे।

    Court ने कहा कि मतदाता का अधिकार यह है कि उसका वोट ठीक से दर्ज (Recorded) और गिना जाए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर वोट की VVPAT स्लिप गिनी ही जाए। यह प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसे चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकाय (Constitutional Authority) के विवेक पर छोड़ देना चाहिए।

    तकनीकी और प्रक्रियागत सुरक्षा (Technical & Procedural Safeguards)

    Court ने विस्तार से बताया कि EVM-VVPAT प्रणाली में सुरक्षा के कई स्तर हैं:

    • Burnt Firmware Memory (स्थायी प्रोग्राम कोड): EVM की Control Unit में एक ऐसा Memory Chip होता है जो केवल एक बार ही Program किया जा सकता है और बाद में उसे बदला नहीं जा सकता।

    • VVPAT Display: जब वोट डाला जाता है, तब मतदाता 7 सेकंड तक VVPAT स्लिप पर उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह देख सकता है।

    • Randomization & Sealing (क्रम निर्धारण और सीलिंग): मतदान से पहले दो चरणों में मशीनों का बेतरतीब (Random) आवंटन किया जाता है और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में उन्हें सील किया जाता है।

    • Mock Polls & Audit Trail (पूर्व परीक्षण और जाँच रिकॉर्ड): मतदान से पहले और बाद में EVM और VVPAT की जाँच होती है, ताकि कोई त्रुटि या गड़बड़ी न रहे।

    इन सभी व्यवस्थाओं के कारण Court ने माना कि मतदाता का अधिकार सुरक्षित है और छेड़छाड़ की संभावना बहुत कम है।

    अनुभवजन्य आंकड़े (Empirical Data) के आधार पर निर्णय

    Court ने याचिकाकर्ताओं की उन दलीलों को खारिज किया जो केवल शक या मीडिया रिपोर्ट पर आधारित थीं। इसके बदले उसने वास्तविक डेटा का सहारा लिया:

    • अब तक 4 करोड़ से अधिक VVPAT स्लिप की ईवीएम डेटा से तुलना की गई, जिसमें सिर्फ एक मामला गड़बड़ी का मिला—और वह भी मानवीय भूल (Human Error) थी।

    • Rule 49MA के तहत 26 शिकायतें हुईं, परंतु एक भी मामला सही साबित नहीं हुआ।

    इस आधार पर Court ने यह निष्कर्ष निकाला कि 100% VVPAT स्लिप गिनती की मांग तथ्यों पर आधारित नहीं है।

    क्यों Court ने मांगें खारिज कीं? (Why the Court Rejected the Demands)

    Court ने Paper Ballot की वापसी और 100% VVPAT गिनती दोनों मांगों को अस्वीकार कर दिया:

    • Paper Ballot की वापसी: इससे चुनाव में गड़बड़ी, फर्जी मतदान (Bogus Voting) और देर से परिणाम जैसी समस्याएं लौटेंगी।

    • 100% गिनती: इससे मतगणना में देरी होगी, अधिक जनशक्ति की ज़रूरत पड़ेगी, और मानवीय त्रुटियाँ बढ़ सकती हैं। यह पहले से उपलब्ध तकनीकी साक्ष्यों (Technical Evidence) से भी मेल नहीं खाता।

    सुप्रीम कोर्ट के निर्देश (Directions by the Court)

    हालांकि Court ने मांगें खारिज कीं, फिर भी पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए दो सुझाव दिए:

    1. Symbol Loading Unit की सीलिंग: जब VVPAT में प्रतीक (Symbol) लोड किए जाएँ, तब उस प्रक्रिया में प्रयुक्त उपकरणों को सील करके सुरक्षित रखा जाए।

    2. Post-Poll Verification: मतगणना के बाद दूसरे और तीसरे नंबर के उम्मीदवार, यदि चाहें, तो 5% EVM की जांच के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो खर्च उन्हें वापस किया जाएगा।

    Supreme Court ने यह स्पष्ट किया कि लोकतंत्र की रक्षा केवल संशय या आशंका से नहीं, बल्कि साक्ष्य और व्यवस्था की मजबूती से होती है। Court ने मतदाता के अधिकारों को मान्यता दी लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि हर प्रक्रिया पर अदालत का नियंत्रण नहीं हो सकता।

    इस निर्णय से यह संदेश गया कि न्यायपालिका व्यवस्था की पारदर्शिता की निगरानी कर सकती है, लेकिन बिना ठोस प्रमाण के संस्थानों पर संदेह करना लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

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