The Indian Contract Act में Consideration के बगैर एग्रीमेंट
Shadab Salim
18 Aug 2025 4:12 PM IST

प्रतिफल के बिना भी कोई करार शून्य होता है यदि किसी करार में कोई प्रतिफल नहीं है तो ऐसी स्थिति में करार शून्य हो जाता है। इसके संबंध में अधिनियम की धारा 25 में उल्लेख किया गया है परंतु इसके कुछ अपवाद दिए गए। कुछ अपवादों को छोड़कर प्रतिफल के बिना किए गए करार शून्य होते हैं।
जैसे ख को किसी प्रतिफल के बिना 1000 रूपये देने का क वचन देता है यह शून्य करार है।
कामता प्रसाद बनाम अपर जिला जज द्वितीय मैनपुरी एआईआर 1996 इलाहाबाद 201 के प्रकरण में यह कहा गया है कि यदि कोई करार इस प्रकार का है कि वह प्रतिफल से समर्थित नहीं है तो ऐसी स्थिति में वह करार शून्य होगा।
रामचंद्र बनाम कालू के प्रकरण में कहा गया है कि जहां प्रतिफल के बिना कोई करार किया जाता है तो वह संविदा का रूप ग्रहण ही नहीं कर सकता। इस ही बात को गोपाल कंपनी लिमिटेड बनाम फर्म हजारी लाल एंड कंपनी एआईआर 1963 मध्य प्रदेश 30 के प्रकरण में दोहराया गया है।
सर्वमान्य नियम यह है कि प्रतिफल रहित करार शून्य होता है किंतु कभी-कभी यह देखा जाता है कि प्रतिफल के बगैर करार विधिमान्य माने जाते हैं। संविदा हेतु प्रतिफल की आवश्यकता होती है परंतु जब कोई संविदा स्नेह के अंतर्गत की जाती है तो संविदा की वैधता के लिए प्रतिफल की अपेक्षा नहीं होती।
इसके कुछ अपवाद बताए गए हैं, जो निम्न है-
यदि कोई करार नैसर्गिक प्रेम और स्नेह से संबंधित है तो ऐसी स्थिति में बिना प्रतिफल के किया गया करार विधिमान्य होगा। वेंकट स्वामी बनाम रंगास्वामी 1903 के प्रकरण में कहा गया है कि भाइयों के मध्य आपस में कोई संविदा होती है तो यह बिना प्रतिफल के भी विधि मान्य होगी।
नैसर्गिक प्रेम एवं स्नेह के आधार पर बिना प्रतिफल के भी कोई संविदा विधिमान्य होती है। इस प्रकार यदि कोई करार लिखित है और दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए तद समय प्रवर्त विधि के अंतर्गत पंजीकृत है और एक दूसरे के साथ निकट संबंध रखने वाले पक्षकारों के मध्य प्राकृतिक प्रेम व स्नेह के कारण किया गया है तो ऐसी स्थिति में बिना प्रतिफल के भी मान्य होगा।
विशेष बनाम शिवराम के प्रकरण में कहा गया है कि रक्त संबंध और विवाह संबंध द्वारा सृजित संबंध निकट के संबंध होते हैं तथा इन संबंधों में प्राकृतिक प्रेम और स्नेह होता है।
धारा 25 के अनुसार संविदा भूतपूर्व सेवा से संबंधित है जिसमें प्रतिफल दिए जाने का वचन निहित होता है। भारतीय विधि में भूतकालीन प्रतिफल को एक अच्छा प्रतिफल माना गया है यदि बिना प्रतिफल के किया गया करार उस समय विधिमान्य था तब प्रवर्तनीय होगा जबकि वह किसी ऐसे कार्य को संपूर्ण या आंशिक रूप में प्रतिफल के लिए प्रतिज्ञा की गई है जिसने वचनदाता के लिए कोई कार्य से स्वेच्छा से किया है या कोई ऐसा कार्य किया है जिसे करने के लिए वचनदाता ने कहा यह था। इस प्रकार इस खंड के अंतर्गत बिना प्रतिफल के भी करार विधि मान्य होगा किंतु ऐसे व्यक्ति के संदर्भ में कोई कार्य किया गया हो और उसके बदले वचन मिला हो।
यदि भूतकाल में कोई काम किया गया है और उसके बदले कोई प्रतिकर दिया जा रहा है तो यह भी बिना प्रतिफल की संविदा है।
जैसे कोई किसी के बच्चे का पालन करता है और ऐसे बच्चे को पालने के बदले बच्चे का पिता कुछ रुपए देने का वचन देता है तो यह संविदा प्रवर्तनीय है।
श्रीमान कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स बनाम कामेश्वर सिंह एआईआर 1953 पटना 231 के मामले में कोर्ट ने निर्णय दिया कि यदि प्रतिवादी ने वादी द्वारा अपनी इच्छा अर्पित की गई सेवाओं को स्वीकार कर लिया है और उसके बदले में कुछ धन संपदा देने का वचन दिया है तो संविदा विधिमान्य मानी जाएगी और ऐसी संविदा बिना किसी प्रतिफल के प्रवर्तनीय मानी जाएगी।
संविदा अधिनियम का अपवाद तीन उन मामलों से संबंधित है जिनमें काल रहित कर्ज के भुगतान के लिए कोई प्रतिज्ञा की गई है। संविदा अधिनियम की धारा 25 खंड- 3 के अनुसार जिस ऋण का भुगतान परिसीमा विधि से बाधित होने की दशा में लेनदार द्वारा प्राप्त कर पाना संभव नहीं है तो ऐसे ऋण के भुगतान के लिए बगैर प्रतिफल के भी संविदा की जा सकती है और यह संविदा विधिमान्य होगी।
भगवान बनाम मुंशी 1917 के प्रकरण में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि उक्त प्रकार का करार लिखित रूप में होना चाहिए। अर्थात कर्ज़ का भुगतान करने का वचन लिखित में दिया जाना चाहिए।
धारा 25 के खंड 3 को लागू होने के लिए यह आवश्यक है कि कर्ज इस प्रकार हो जो इस कारण से नहीं वसूला जा सकता है कि वह काल तिरोहित हो चुका है क्योंकि यह खंड उसी ऋण की बाबत लागू होगा जो काल तिरोहित हो चुका है बिना प्रतिफल के किया गया करार प्रवर्तनीय होगा
यदि वह ऐसा वचन है जो लिखित है और उससे भारित किए जाने पर भारित किया जाने वाले व्यक्ति द्वारा इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत उसके अभिकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित है और या उसके पूर्णतः या आंशिक भुगतान के लिए की गई है।

