चेक बाउंस मामला | केरल हाईकोर्ट का फैसला: आरोपी के रिश्तेदार को नोटिस देना तब तक वैध नहीं, जब तक आरोपी को जानकारी न हो
Amir Ahmad
10 July 2025 7:43 AM

केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि चेक बाउंस होने पर भेजा गया वैधानिक नोटिस आरोपी के किसी रिश्तेदार को दिया गया हो तो उसे NI Act की धारा 138 के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए तब तक वैध नहीं माना जा सकता, जब तक यह साबित न हो कि आरोपी को उस नोटिस की जानकारी थी।
जस्टिस पी. वी. कुन्हिकृष्णन ने कहा,
"अगर शिकायतकर्ता की ओर से यह साबित नहीं किया जाता कि आरोपी को नोटिस के रिश्तेदार द्वारा प्राप्त किए जाने की जानकारी थी तो यह माना जाएगा कि आरोपी को धारा 138(b) के तहत आवश्यक नोटिस की सेवा नहीं हुई है।"
यह टिप्पणी अदालत ने उस रिवीजन याचिका पर की, जिसमें एक व्यक्ति ने अपने खिलाफ NI Act की धारा 138 के तहत दोषसिद्धि को चुनौती दी थी।
मामला 2019 में शुरू हुआ था जब आरोपी ने 92,500 का चेक शिकायतकर्ता को दिया, जो निधि की कमी के कारण बाउंस हो गया था।
शिकायतकर्ता ने इसके बाद वैधानिक नोटिस भेजा जो कि NI Act की धारा 138 के तहत मुकदमा दर्ज करने से पहले आवश्यक है। हालांकि याचिकाकर्ता साजू ने दलील दी कि यह नोटिस सीधे उसे नहीं बल्कि उसके रिश्तेदार को दिया गया था।
कोर्ट ने कहा कि गवाह PW1 के बयान से यह स्पष्ट होता है कि नोटिस आरोपी के रिश्तेदार को दिया गया था और शिकायतकर्ता की ओर से यह दावा भी नहीं किया गया कि आरोपी को इसकी जानकारी थी।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के Thomas M D v P S Jaleel (2009) फैसले का हवाला दिया, जिसमें आरोपी की पत्नी को नोटिस दिए जाने को भी पर्याप्त नहीं माना गया था।
इस आधार पर केरल हाईकोर्ट ने साजू की रिवीजन याचिका को स्वीकार कर लिया दोषसिद्धि रद्द कर दी और मुकदमे अथवा अपील के दौरान जमा की गई कोई भी राशि उसे लौटाने का आदेश दिया।
टाइटल: साजू बनाम शालीमार हार्डवेयर्स एवं अन्य