कथित घटना से इनकार करने वाले गवाहों के बयान के आधार पर बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ POCSO केस रद्द नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

Amir Ahmad

19 Dec 2024 12:49 PM IST

  • कथित घटना से इनकार करने वाले गवाहों के बयान के आधार पर बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ POCSO केस रद्द नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रथम दृष्टया अपना मत व्यक्त किया कि धारा 161 (IO के समक्ष) के तहत दर्ज गवाहों के बयानों के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ दर्ज POCSO केस रद्द करना संभव नहीं है, जिन्होंने कथित घटना के बारे में पीड़िता के विपरीत राय दी।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा,

    "धारा 161 और धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज बयानों के आधार पर कार्यवाही रद्द करने का मेरा प्रथम दृष्टया मत है। मुझे एक भी ऐसा निर्णय दिखाइए, जिसमें धारा 161 और धारा 164 के तहत दिए गए बयानों पर भरोसा करते हुए कार्यवाही रद्द की जा सके।"

    इसके अलावा उन्होंने कहा,

    "यह POCSO के तहत मामला है। गवाहों के साक्ष्य कि पीड़िता को कमरे के अंदर नहीं ले जाया गया, क्या उसकी क्रॉस एग्जामिनेशन नहीं की जानी चाहिए? पीड़िता से भी क्रॉस एग्जामिनेशन की जानी चाहिए। सुनवाई में नहीं लाया जाता है तो दोनों में से कोई भी बयान सत्य हो जाता है। (गवाहों के) बयान को सही मानकर पूरी कार्यवाही को रद्द कर देना चाहिए। क्या इसे सुनवाई में नहीं लाया जाना चाहिए। आप कैसे कह सकते हैं कि पीड़िता के बयान झूठे हैं?"

    वकील को अदालत को यह संतुष्ट करने का सुझाव देते हुए कि क्या बयान रद्द करने की कार्यवाही का हिस्सा बन सकते हैं, पीठ ने कहा,

    “बयानों को पढ़ने के बजाय उस मुद्दे पर ध्यान दें। शुरुआती चरण में ही यह दर्ज करना कि ये गवाह इस अदालत का विश्वास नहीं जगाते हैं, इसलिए मैं उन्हें रद्द करता हूँ, थोड़ा मुश्किल है।"

    पूरे मामले में आगे कहा गया,

    "धारा 161 के बयानों पर विश्वास नहीं किया जाता है क्योंकि वे किस परिस्थिति में लिए गए हैं, यह आप नहीं जानते। हालांकि, धारा 164 का बयान उच्च स्थान पर है क्योंकि यह मजिस्ट्रेट के सामने है।"

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सी.वी. नागेश ने CrPC की धारा 2(H) का हवाला देते हुए अपनी दलीलें शुरू कीं और कहा कि जांच का उद्देश्य साक्ष्य एकत्र करना है। यह शिकायतकर्ता के आरोपों के समर्थन में नहीं है। लेकिन जांच में शिकायतकर्ता के बयान को परखा जाता है।

    उन्होंने कहा,

    "उस दिन याचिकाकर्ता के निवास पर मौजूद गवाहों के बयानों से पता चलता है कि उस दिन कुछ भी नहीं हुआ था।"

    धारा 164 CrPC के तहत दर्ज पीड़िता के बयान के साक्ष्य मूल्य के बारे में अदालत के सवाल पर नागेश ने कहा,

    "मेरा कहना है कि दोनों बयान एक दूसरे के बराबर हैं और दोनों को मिलाकर पढ़ना जरूरी है।"

    नागेश ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह उठाए गए सवाल पर अदालत को संतुष्ट करने की कोशिश करेंगे। विशेष लोक अभियोजक प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने घटना के बारे में पीड़िता के बयान में बताए गए विवरण पढ़े।

    उन्होंने तर्क दिया,

    "येदियुरप्पा ने पूरी घटना को स्वीकार किया है। हम यहां क्या कर रहे हैं आरोपी ने सब कुछ स्वीकार कर लिया।"

    उन्होंने यहां तक ​​दावा किया कि पीड़िता की एकमात्र गवाही ही दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त है इसकी पुष्टि होना जरूरी नहीं है।

    अदालत ने मामले की अगली सुनवाई गुरुवार शाम 5 बजे तय की।

    पूरा मामला

    17 वर्षीय लड़की की मां द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार आरोपी ने फरवरी में बेंगलुरु में येदियुरप्पा के आवास पर एक बैठक के दौरान उसकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया। 14 मार्च को सदाशिवनगर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। बाद में इसे आगे की जांच के लिए सीआईडी ​​को सौंप दिया गया जिसने फिर से एफआईआर दर्ज की और आरोप पत्र दायर किया।

    केस टाइटल: बी एस येदियुरप्पा और आपराधिक जांच विभाग

    Next Story