कर्नाटक हाईकोर्ट ने Hate Speech को लेकर दर्ज FIR रद्द करने की पत्रकार राहुल शिवशंकर की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

Amir Ahmad

13 Feb 2025 9:38 AM

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने Hate Speech को लेकर दर्ज FIR रद्द करने की पत्रकार राहुल शिवशंकर की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को पत्रकार राहुल शिवशंकर द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। इस घटना में धार्मिक अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए राज्य सरकार द्वारा कोष आवंटन के बारे में उनके ट्वीट के लिए उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई।

    एकल जज जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने पक्षों की सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रखा।

    शिवशंकर की ओर से पेश हुए एडवोकेट बिपिन हेगड़े ने कहा,

    “मैंने ट्वीट में कोई झूठा बयान नहीं दिया। बजट में जो उल्लेख किया गया है, वह मैंने कहा है।”

    शिवशंकर ने ट्वीट करके पूछा था कि राज्य सरकार के लिए बड़ी मात्रा में राजस्व उत्पन्न करने वाले मंदिरों को बजट में कोई धन आवंटित क्यों नहीं किया गया, जबकि अन्य धार्मिक पूजा स्थलों को बड़ी मात्रा में धन आवंटित किया गया।

    राज्य की ओर से पेश हुए एडिशनल स्पेशल लोक अभियोजक बी एन जगदीश ने कहा,

    “यह ट्वीट ही झूठा है। यह झूठ है और इसका उद्देश्य दो समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करना है।"

    इसके बाद अदालत ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

    पत्रकार पर कोलार पार्षद एन अंबरेश की शिकायत पर आईपीसी की धारा 153ए और 505 के तहत मामला दर्ज किया गया, जिन्होंने वक्फ संपत्तियों, मैंगलोर में हज भवन और ईसाई पूजा स्थलों के विकास के लिए फंड आवंटन के बारे में शिवशंकर के व्यंग्यात्मक ट्वीट का विरोध किया था। पार्षद ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता (शिवशंकर) के ऐसे बयानों में धार्मिक समूहों के बीच नफरत/वैमनस्य भड़काने की प्रवृत्ति है।

    शिवशंकर ने अपनी याचिका में कहा कि विवादित ट्वीट में केवल तीन तथ्यात्मक बिंदु बताए गए और FIR का पूरा आधार कि वह गलत सूचना का प्रचार कर रहे हैं, वह गलत है।

    इसके अलावा यह भी कहा गया कि पत्रकार के रूप में वह अक्सर महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए इस तरह से तथ्यात्मक ट्वीट साझा करते हैं लेकिन इसका इस्तेमाल उनके खिलाफ किसी भी तरह का अपराध करने के लिए नहीं किया जा सकता।

    दावा किया गया,

    "इस तरह के सवाल को किसी भी तरह से धार्मिक समूहों के बीच नफरत/शत्रुता पैदा करने का प्रयास नहीं माना जा सकता है। अगर ऐसे सवालों को धार्मिक समूहों के बीच नफरत/शत्रुता पैदा करने का प्रयास कहा जाता है तो कोई भी पत्रकार या व्यक्ति इस देश में धर्म से जुड़े मुद्दों के संबंध में कभी भी कोई सवाल नहीं पूछ पाएगा, याचिका को खारिज करने में कहा गया है।"

    केस टाइटल: राहुल शिवशंकर और आपराधिक जांच विभाग और अन्य

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