S.125 CrPC | बहू सास-ससुर से भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती: कर्नाटक हाइकोर्ट
Amir Ahmad
11 March 2024 2:12 PM IST
कर्नाटक हाइकोर्ट ने माना कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत बहू अपने सास-ससुर के खिलाफ भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती।
जस्टिस वी श्रीशानंद की एकल न्यायाधीश पीठ ने बुजुर्ग दंपति द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली और ट्रायल कोर्ट के 30-11-2021 का आदेश रद्द कर दिया। उक्त आदेश में उन्हें अपने मृत बेटे की पत्नी को 20,000 रुपये और उसके बच्चों को 5,000 रुपये देने का निर्देश दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि मजिस्ट्रेट के पास सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उत्तरदाताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। उन्होंने पुनर्विचार याचिका की अनुमति देने की मांग की।
उत्तरदाताओं ने तर्क दिया कि पहली प्रतिवादी के पति और प्रतिवादी नंबर 2 से 5 के पिता खाजा मैनुद्देन अगादी की मृत्यु के बाद पुनर्विचार याचिकाकर्ता सास-ससुर होने के नाते उत्तरदाताओं के कल्याण की देखभाल करने में विफल रहे। इसलिए उन्हें अवार्ड दिया गया। भरण-पोषण की राशि न्यायसंगत और उचित है और पुनर्विचार याचिका को खारिज करने की मांग की गई।
सीआरपीसी की धारा 125 का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा,
“कानून के प्रावधानों में कहा गया कि पत्नी गुजारा भत्ता के लिए दावा कर सकती है। इसी तरह माता-पिता अपने बालिग बच्चों के खिलाफ याचिका दायर कर सकते हैं। इसलिए नाबालिग बच्चे भी दावा कर सकते हैं।”
इसके बाद यह कहा गया,
"सीआरपीसी की धारा 125 के तहत न्यायालय में निहित किसी भी शक्ति के अभाव में बहू द्वारा अपने सास-ससुर के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने के लिए इस न्यायालय की सुविचारित राय है कि संपूर्ण क्षेत्राधिकार के अभाव में आदेश ईमानदार है।”
तदनुसार, इसने आदेश रद्द कर दिया और उत्तरदाताओं को उचित राहत के लिए कानून के अनुसार पुनर्विचार याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आगे बढ़ने की स्वतंत्रता दी।
केस टाइटल- अब्दुल खादर और अन्य बनाम तस्लीम जमीला अगाड़ी और अन्य