व्हाट्सएप ग्रुप पर कथित तौर पर गाय पर गोली चलाने का वीडियो फॉरवर्ड करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला खारिज
Amir Ahmad
30 July 2025 5:28 PM IST

कर्नाटक हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला खारिज कर दिया, जिस पर पुलिस ने व्हाट्सएप ग्रुप पर एक वीडियो फॉरवर्ड करने का आरोप लगाया था। इसमें एक व्यक्ति कथित तौर पर गाय पर गोली चलाता हुआ दिखाई दे रहा था और जिसमें लिखा था कि उक्त गोली चलाने की घटना गलत थी।
जस्टिस एस आर कृष्ण कुमार की एकल पीठ ने याचिका स्वीकार की और 29 वर्षीय विवेक करियप्पा सी के के खिलाफ दर्ज मामला रद्द कर दिया, जिन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोप लगाया गया था।
उक्त धारा 153 इस प्रकार है:
दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना यदि दंगा हुआ हो यदि नहीं हुआ हो।
याचिकाकर्ता ने 08-05-2024 को कोडागु के पोन्नमपेट में अपने खिलाफ दर्ज मामले और दायर आरोपपत्र को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
यह मामला पुलिस द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए याचिकाकर्ता के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505(2) के तहत दंडनीय कथित अपराध के लिए दर्ज किया गया। जांच के बाद प्रतिवादी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 505(2) के तहत अपराध को हटाकर धारा 153 के तहत दंडनीय अपराध के लिए आरोप पत्र दायर किया।
पीठ ने सतीश जारकीहोली बनाम दिलीप कुमार मामले में सीआरएल.पी.8574/2024 में दिए गए समन्वय पीठ के निर्णय का हवाला दिया, जिसका निपटारा 12.12.2024 को हुआ था।
इसके बाद उसने कहा,
“इस मामले में धारा 153 के तहत दंडनीय अपराध के लिए आवश्यक तत्व आरोपित शिकायत और आरोप पत्र की सामग्री से स्पष्ट रूप से अनुपस्थित और गायब हैं, क्योंकि एक व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर गाय को गोली मारने वाले अग्रेषित वीडियो और वीडियो में याचिकाकर्ता द्वारा यह तर्क देने के अलावा कि उक्त गोलीबारी गलत थी। ऐसी कोई अन्य सामग्री नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि याचिकाकर्ता को कथित अपराधों के लिए दोषी ठहराया जा सके।”
उसने आगे कहा,
“यह भी ध्यान देने योग्य है कि आरोप पत्र से ही पता चलता है कि इसके तुरंत बाद याचिकाकर्ता ने उक्त वीडियो को हटा दिया और उस व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर निकल गया, जहां उसने कथित तौर पर उक्त वीडियो पोस्ट किया था।”
याचिका स्वीकार करते हुए और कार्यवाही रद्द करते हुए अदालत ने कहा,
“मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपित कार्यवाही की अनुमति दी जानी चाहिए।”
केस टाइटल: विवेक करियप्पा सी.के. और कर्नाटक राज्य

