हाईकोर्ट ने Congress के खिलाफ कथित आपत्तिजनक वीडियो को लेकर BJP प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाई

Amir Ahmad

31 Aug 2024 6:13 AM GMT

  • हाईकोर्ट ने Congress के खिलाफ कथित आपत्तिजनक वीडियो को लेकर BJP प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाई

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अंतरिम आदेश के माध्यम से कर्नाटक राज्य BJP अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र के खिलाफ शुरू की गई आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी, जो पार्टी की कर्नाटक इकाई द्वारा राज्य कांग्रेस द्वारा कथित मुस्लिम तुष्टिकरण पर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किए गए कथित आपत्तिजनक एनिमेटेड वीडियो पर दर्ज की गई FIR के संबंध में है।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने अंतरिम आदेश पारित किया।

    उन्होंने कहा,

    "जब तक प्रतिवादी अपनी आपत्तियां दर्ज नहीं करेंगे तब तक याचिकाकर्ता के खिलाफ आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश रहेगा।"

    इससे पहले हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और BJP आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को अंतरिम राहत दी थी।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप IPC की धारा 505 (2) के तहत दंडनीय अपराध है। आरोप का आधार राजनीतिक दल द्वारा विशेष समुदाय के खिलाफ किया गया ट्वीट है, जिसके अध्यक्ष याचिकाकर्ता हैं। इसलिए वह अपराध के जाल में फंस गए।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अरुणा श्याम ने कहा कि एक ही तथ्यों के आधार पर दो अपराध दर्ज किए गए। एक अपराध पर इस अदालत ने रोक लगा दी। याचिकाकर्ता की आशंका है कि पुलिस किसी भी समय आरोप पत्र दाखिल कर सकती है।

    इसके बाद न्यायालय ने कहा,

    "मुद्दा यह है कि क्या यह IPC की धारा 505 (2) या जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तत्वों को पूरा करता है। इस तरह की गई शिकायत पर गौर करने से प्रथम दृष्टया यह राजनीतिक दल द्वारा दूसरे राजनीतिक दल के खिलाफ की गई शिकायत लगती है। इसलिए इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। यह जांचना आवश्यक है कि क्या यह बिलाल अहमद कालू, 1997 (7) एससीसी 431 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तत्वों को पूरा करता है।"

    याचिका में आरोप लगाया गया कि सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के इशारे पर अपराध दर्ज किया गया। एफआईआर में लगाए गए आरोप इतने बेतुके और स्वाभाविक रूप से असंभव हैं कि कोई भी विवेकशील व्यक्ति याचिकाकर्ता के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए कभी भी उचित निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकता है।

    केस टाइटल- विजयेंद्र और कर्नाटक राज्य

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