हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण पर चिंता व्यक्त की, अवैध रूप से उगाए गए सेब के पेड़ों और बागों को राज्य भर में हटाने का आदेश दिया
Amir Ahmad
21 July 2025 1:28 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी या वन भूमि पर उगाए गए अवैध सेब के पेड़ों/बागों को राज्य भर में हटाने का आदेश दिया।
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन सी. नेगी की खंडपीठ ने दो संबंधित जनहित याचिकाओं (CWPIL संख्या 17 2014 और CWPIL संख्या 9, 2015) की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि सेब के पेड़ों और बागों को केवल उन भूखंडों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, जहां अतिक्रमणकारी वन भूमि पर फिर से कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके बजाय, सरकारी या वन भूमि पर अवैध रूप से उगाए गए सभी सेब के पेड़ों और बागों को हटाया जाना चाहिए।
न्यायालय ने टिप्पणी की,
"राज्य से अपेक्षा की जाती है कि वह सभी मामलों में समान रूप से व्यवहार करे और हिमाचल प्रदेश राज्य में सरकारी/वन भूमि पर जहां कहीं भी सेब के पेड़ उगाए गए हैं, वहां से हर अतिक्रमित वन भूमि से उन्हें हटाए, क्योंकि उपरोक्त के विपरीत कोई भी आचरण भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के अधिदेश का उल्लंघन होगा।"
खंडपीठ ने राज्य को 15 जुलाई, 2025 तक सभी लंबित निर्देश सामग्री दाखिल करने का निर्देश दिया।
16 जुलाई 2025 को न्यायालय ने राज्य द्वारा प्रस्तुत प्रगति रिपोर्ट पर ध्यान दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि चैथला गांव में 2,456 से अधिक सेब और फलों के पेड़ काटे गए, जबकि रोहड़ू में 713 और कोटगढ़ वन प्रभागों में 490 पेड़ हटाए गए थे। बताया गया कि पेड़ों को हटाने का अभियान जारी है।
न्यायालय ने पाया कि प्रगति रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि वन भूमि से अतिक्रमण और बागों को हटाने का कार्य केवल रोहड़ू वन प्रभाग और कोटगढ़ वन प्रभाग में ही किया जा रहा है। इसने एक बार फिर स्पष्ट किया कि फलदार वृक्षों सहित सरकारी/वन भूमि से अतिक्रमण हटाने का कार्य पूरे हिमाचल प्रदेश राज्य में किया जाना चाहिए, न कि केवल कुछ क्षेत्रों तक सीमित।
खंडपीठ ने अधिकारियों को अगली सुनवाई तिथि यानी 29 जुलाई, 2025 तक एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: न्यायालय स्वतः संज्ञान से बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य संबंधित मामले सहित

