लापरवाही से वाहन चलाने से हुई मौत के मामले में परिवीक्षा का लाभ नहीं दिया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
Amir Ahmad
19 Sept 2025 3:27 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि लापरवाही और तेज रफ्तार से वाहन चलाकर किसी की मौत का कारण बनने वाले व्यक्ति को परिवीक्षा अधिनियम 1958 (Probation of Offenders Act, 1958) का लाभ नहीं दिया जा सकता।
जस्टिस वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को परिवीक्षा का लाभ देना अनुचित है। उन्होंने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया।
यह मामला 2014 का है जब एक आरोपी पर IPC की धारा 279 (तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाना), 337 (जीवन को खतरे में डालने वाले कार्य से चोट पहुंचाना) और 304ए (लापरवाही से मौत का कारण बनना) के तहत आरोप लगाए गए। बाद में 2024 में अपीलीय अदालत ने आरोपी की दोषसिद्धि को बरकरार रखा। हालांकि, सजा को बदलते हुए उसे तीन साल के लिए परिवीक्षा पर छोड़ दिया था।
राज्य सरकार ने अपीलीय अदालत के इस आदेश को चुनौती दी यह तर्क देते हुए कि लापरवाही और तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के कारण मौत होने से जुड़े अपराध में परिवीक्षा अधिनियम का लाभ नहीं दिया जा सकता।
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दलबीर सिंह बनाम हरियाणा राज्य (2000) के फैसले को दोहराते हुए कहा कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते चलन और उनके पीड़ितों व परिवारों पर पड़ने वाले विनाशकारी परिणामों को देखते हुए आपराधिक अदालतें IPC की धारा 304ए के तहत होने वाले अपराध को परिवीक्षा अधिनियम के उदार प्रावधानों के तहत नहीं मान सकती हैं। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में परिवीक्षा देना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने अपीलीय अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से विचार के लिए वापस भेज दिया।

