मोटर वाहन दुर्घटना मामले में पंजीकृत मालिक ही जिम्मेदार, कानूनी हस्तांतरण पूरा होने तक दायित्व बरकरार: हिमाचल हाईकोर्ट
Amir Ahmad
23 Oct 2025 11:39 AM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि वाहन के स्वामित्व का औपचारिक हस्तांतरण मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 50 के तहत पूरा होने तक पंजीकृत वाहन मालिक ही दुर्घटना के मामलों में कानूनी रूप से उत्तरदायी बना रहेगा। भले ही दुर्घटना से पहले बिक्री समझौता निष्पादित किया जा चुका हो।
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर की एकल पीठ ने इस सिद्धांत को दोहराया,
"मोटर वाहन अधिनियम की धारा 50 यह प्रावधान करती है कि जहां MV अधिनियम के तहत पंजीकृत किसी मोटर वाहन का स्वामित्व हस्तांतरित किया जाता है, वहां हस्तांतरणकर्ता को हस्तांतरण की सूचना 14 दिनों के भीतर पंजीकरण प्राधिकरण को देनी होती है और क्रेता को इसके बाद 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट करनी होती है।"
कोर्ट ने कहा,
"वर्तमान मामले में 30 दिनों की अवधि समाप्त होने से पहले ही वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया, इसलिए दुर्घटना के समय वाहन का कोई पूर्ण हस्तांतरण नहीं हुआ था।"
यह मामला 2016 का है, जब घनश्या उनकी पत्नी नीतू देवी और उषा एक ड्राइवर ज्ञान चंद के साथ कार में यात्रा कर रहे थे। ड्राइवर द्वारा नियंत्रण खो देने के कारण कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और तीनों यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई।
इसके बाद मृतकों के आश्रितों ने मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (MACT) के समक्ष मुआवजे के लिए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। हालांकि न्यायाधिकरण ने याचिकाओं को इस आधार पर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता मृतक ड्राइवर द्वारा लापरवाही और तेज ड्राइविंग साबित करने में विफल रहे। इससे व्यथित होकर पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट का रुख किया।
हाईकोर्ट ने पाया कि ट्रिब्यूनल ने सबूतों को गलत तरीके से पढ़ा क्योंकि ऐसे स्पष्ट प्रमाण थे, जो मृतक ड्राइवर की लापरवाही दर्शाते थे।
कोर्ट ने एक गवाह के बयान का हवाला दिया, जिससे यह स्पष्ट था कि दुर्घटना ड्राइवर की तेज गति और लापरवाही भरी ड्राइविंग के कारण हुई थी।
इस आधार पर न्यायालय ने टिप्पणी की कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 279 (तेज ड्राइविंग), 337 (लापरवाही से चोट पहुंचाना) और 304A (लापरवाही से मृत्यु कारित करना) के तहत अपराध किया गया।
प्रतिवादी (बॉबी चौहान) जो वाहन का पंजीकृत मालिक है, ने यह दावा करते हुए दायित्व से बचने की कोशिश की कि उसने दुर्घटना से पहले ही कार ज्ञान चंद को बेच दी थी।
हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने दोहराया कि दुर्घटना के समय मोटर वाहन अधिनियम की धारा 50 के तहत स्वामित्व हस्तांतरण की प्रक्रिया अधूरी थी।
चूंकि बॉबी चौहान ही वाहन का पंजीकृत मालिक बना रहा वह कानूनी रूप से उत्तरदायी ठहराया गया। हाईकोर्ट ने दोनों अपीलों को स्वीकार करते हुए ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया और मुआवजे का रास्ता साफ कर दिया।

