संसाधनों की कमी के आधार पर अनिश्चित अवधि के लिए पेंशन लाभ नहीं रोका जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट

Amir Ahmad

4 April 2024 3:36 PM IST

  • संसाधनों की कमी के आधार पर अनिश्चित अवधि के लिए पेंशन लाभ नहीं रोका जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट की जस्टिस सत्येन वैद्य की एकल पीठ ने सुनीत सिंह जरयाल बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में सिविल रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए कहा कि राज्य सरकार वित्तीय बाधाओं के बहाने अनिश्चित अवधि के लिए पेंशन लाभ नहीं रोक सकती।

    मामले की पृष्ठभूमि

    सुनीत सिंह जरयाल (याचिकाकर्ता) 31.05.2020 को अधीक्षक ग्रेड-II के पद से सेवानिवृत्त हुए। हिमाचल प्रदेश सरकार (प्रतिवादी) ने 03.01.2022 को हिमाचल प्रदेश सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2022 (संशोधित वेतन नियम) अधिसूचित किए, जिसके तहत वेतन संशोधन 1 जनवरी 2016 से प्रभावी हुआ। सरकार ने 25.02.2022 को कार्यालय ज्ञापन भी जारी किया, जिसके माध्यम से पेंशन सेवानिवृत्ति/मृत्यु/सेवा ग्रेच्युटी और पारिवारिक पेंशन को विनियमित करने वाले नियमों को संशोधित किया गया।

    याचिकाकर्ता उक्त संशोधनों के तहत संशोधित ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण और पेंशन लाभों के कम्यूटेशन के लिए हकदार हो गया। हालांकि याचिकाकर्ता को संशोधित वेतन और संशोधित मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी के तहत केवल आंशिक राशि का भुगतान किया गया। इस प्रकार याचिकाकर्ता ने शेष बकाया भुगतान के लिए निर्देश देने के लिए सिविल रिट याचिका दायर की।

    प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता का दावा अस्वीकार नहीं किया। हालांकि उन्होंने याचिकाकर्ता को देय राशि का भुगतान न करने के बचाव के रूप में वित्तीय बाधाओं और संसाधनों की कमी का तर्क दिया।

    न्यायालय के निष्कर्ष

    न्यायालय ने पाया कि संशोधित वेतन नियम और दिनांक 25.02.2022 के कार्यालय ज्ञापन के तहत पेंशन और अन्य लाभों को संसाधनों की कमी के बहाने अनिश्चित अवधि के लिए रोका नहीं जा सकता। इसके अलावा जब एक बार जब किसी सेवारत या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी के पक्ष में कोई कानूनी निहित अधिकार प्राप्त हो जाता है तो उसे वह भी अनिश्चित अवधि के लिए अस्वीकार या रोका नहीं जा सकता।

    कोर्ट ने आगे कहा कि ग्रेच्युटी, छुट्टी नकदीकरण और कम्यूटेशन सहित पेंशन लाभ सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी के लिए सुरक्षा के रूप में कार्य करते हैं, जो सेवानिवृत्ति के बाद अपने और अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के वादे के तहत अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा काम करता है।

    न्यायालय ने यह भी देखा,

    “एक बार सरकार ने अपने कर्मचारियों को उपरोक्त लाभ देने की घोषणा कर दी है तो उसे बाद में न तो अस्वीकार किया जा सकता है और न ही अनिश्चित अवधि के लिए विलंबित किया जा सकता है। खासकर वित्तीय बाधाओं के बहाने से यह नही हो सकता।

    उपरोक्त टिप्पणियों के साथ सिविल रिट याचिका को अनुमति दी गई।

    केस टाइटल- सुनीत सिंह जरयाल बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य

    Next Story